अहमदाबाद / गुजरात में आज पहले चरण के चुनाव में 59.24 फीसदी मतदान हुआ जो पिछले चुनाव से काफी कम रहा यह शाम 5 बजे के आंकड़े है अंतिम समय तक इनमें कुछ इजाफा भी हो सकता हैं। लेकिन कम वोटिंग से राजनेतिक पार्टियों के जीत हार के समीकरण जरूर गड़बड़ा सकते है सबाल यह भी है कि इस चुनाव में मतदाता उदासीन क्यों रहा ?
जैसा कि गुजरात विधानसभा के लिए दो चरणों में चुनाव होना है आज पहले फेस के चुनाव का मतदान हुआ शाम 5 बजे तक जो आंकड़े सामने आए है उसके मुताबिक सौराष्ट्र दक्षिण गुजरात और कच्छ के 19 जिलों की 89 सीटों पर 59.24 फीसदी मतदान हुआ है अंतिम गणना में यह कुछ बड़ भी सकता है।
लेकिन मतदान ने राजनेतिक पार्टियों की चिंताओं में जरूर इजाफा कर दिया है क्योंकि मत प्रतिशत में कमी पार्टियों की जीत हार के दांवे गड़बड़ा देती है यदि पिछले आंकड़े देखे जाएं तो 2012 के चुनाव में 71.46 प्रतिशत और 2017 के चुनाव में 67.3 प्रतिशत मतदान हुआ था। लेकिन इस 2022 के चुनाव में 59.24 मतदान हुआ यह आंकड़े शाम 5 बजे तक के है लेकिन मत प्रतिशत में इस कमी के कई कारण सामने आ रहे है लेकिन इससे यह संकेत जरूर मिलते है कि कही ना कही गुजरात का वोटर इस चुनाव के प्रति उदासीन रहा खासकर सौराष्ट्र में सबसे कम मतदान हुआ है सवाल यह भी है कि इस चुनाव में कोन सी पार्टी है जिसका वोटर वोट देने घर से ही नही निकला।
आज पहले चरण में कुल 89 सीटों पर मतदान हुआ और 788 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें 178 दागी और 100 प्रत्याशी गंभीर अपराधी हैं यदि प्रमुख सीटों पर मत प्रतिशत पर नजर डाली जाएं तो कच्छ में 54.91, राजकोट में 57.48 नवसारी में 65.91 मोरबी में 67.70 नर्मदा में 68.09 पोरबंदर में 53.54 अमरोही में 52.73 भावनगर में 51.81 डांग में शाम 5 बजे तक 64.84 प्रतिशत मतदान हुआ।
आज कच्छ सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की 89 सीटें शामिल है और कच्छ और सौराष्ट्र ही अगली सरकार की तस्वीर तय करता रहा है यदि 2012 के नतीजे देखे तो इन 89 सीटों में से बीजेपी को 63 और कांग्रेस को 22 सीटें मिली थी लेकिन 2017 के चुनाव में बीजेपी को 48 और कांग्रेस को 40 सीटें मिली थी। यदि अलग अलग आंकड़ों को देखें तो पहले दौर में कच्छ और सौराष्ट्र की 54 सीटों पर वोटिंग हुई जिसमें 2012 में बीजेपी को 35 और कांग्रेस को 16 सीटें मिली थी जबकि 2017 के चुनाव में बीजेपी को 23 और कांग्रेस को 30 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि दक्षिण गुजरात की 35 सीटों में से 2012 में बीजेपी को 28 और कांग्रेस को 6 जबकि 2017 में बीजेपी को 25 और कांग्रेस को 10 सीटें मिली थी। खास बात है 2017 के चुनाव में कच्छ और सौराष्ट्र में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का खासा प्रभाव था जिसका फायदा कांग्रेस को मिला था और उस समय पाटीदार आंदोलन के मुखिया हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ थे जो आज बीजेपी में आ गए है और चुनाव लड़ रहे है।
आज कच्छ सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की 89 सीटें शामिल है और कच्छ और सौराष्ट्र ही अगली सरकार की तस्वीर तय करता रहा है यदि 2012 के नतीजे देखे तो इन 89 सीटों में से बीजेपी को 63 और कांग्रेस को 22 सीटें मिली थी लेकिन 2017 के चुनाव में बीजेपी को 48 और कांग्रेस को 40 सीटें मिली थी।
लेकिन इस चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी मैदान में है जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झौक दी और कांग्रेस जमीनी तौर पर अपने को मजबूत करती रही लेकिन आप पार्टी ने भी चुनाव के दौरान प्रचार में कोई कोर कसर नही छोड़ी, यही वजह है गुजरात में त्रिकोणीय संघर्ष होने के आसार नजर आ रहे है। लेकिन ऊट किस करवट बैठता है यह 8 दिसंबर को आने वाले चुनाव के नतीजे बताएंगे।