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मध्यप्रदेश उपचुनाव में नेताओं और प्रत्याशियों के बिगड़े बोल हवा हुए मुद्दे …
भोपाल – मध्यप्रदेश के चुनावी समर में भाषा की मर्यादा सभी दलों ने एक तरह से भुला ही नही दी बल्कि उसे तिलांजलि देदी लगती हैं वोट कबाड़ने और मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिये एक दूसरे पर आरोप लगाने के साथ निम्न स्तर पर उतरने से भी पार्टी नेताओं को कोई परहेज नही है तुम सौ कहो तो में सबा सेर परोस दूंगा तुम एक गाली दो तो में हजार दूंगा फिलहाल तो ऐसी ही प्रतियोगिता बीजेपी और कांग्रेस में देखी जा रही हैं। गंभीर पहलू यह है नेताओं की तू तू मैं मैं, में आमलोगों के मुद्दे हवा हो गये है। बानगी देखे।
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी विपिन बानखेड़े पर हमला करते हुए कहा हम सरपंच विधायकों का शिकार नही करते यदि शोक है तो जंगल जाओ जानवर मारो हम बीजेपी के लोग बुरा करने वालों को जमीन में दफना देते हैं।
वही प्रदेश कांग्रेस किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने मुरैना में एक सभा में कहा कि कमलनाथ शिवराज सिंह की तरह भूखे नंगे गरीब परिवार से नही आते वे देश के दूसरे सबसे बड़े उद्द्योगपति हैं।
बताया जाता है दिनेश गुर्जर कमलनाथ के करीबी नेताओं में शामिल है तो इसको मुद्दा बनाकर बीजेपी इसका राजनीतिक लाभ उठाने में भी जुट गई हैं।
बड़ा मलहरा से कांग्रेस प्रत्याशी रामसिया भारती ने वोटरों को सबोधित करने के दौरान रामायण की कथा का एक प्रसंग सुनाते हुए बीजेपी प्रत्याशी प्रधुम्न सिंह लोधी की तुलना कालनेमि नामक राक्षस से कर डाली। बाद में उन्होंने कहा उसे अन्यथा ना लें उनका अभिप्राय समय और काम से था।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भांडेर की सभा मे कहा मैं मामा नही हूँ ना ही मैं नारियल जेब में लेकर चलता हूं यह खूबी शिवराज सिंह की है जो कही भी नारियल फोड़ देते है। और एक उनके साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया है जिन्होंने अपने बफादार कुर्ते की सामाधि भी नही छोड़ी उसे भी बेच दिया।
फिर क्या था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और आगे बढ़ गये जबाब में बोले मैं जेब में नारियल लेकर ही तो चलता हूँ कोई शेम्पियंन की बोतल तो लेकर नही चलता। कमलनाथ ने एक सभा में मुख्यमंत्री शिवराज को घेरते हुए कहा पहले काम किया होता तो उन्हे लोगों के सामने घुटने नही टेकने पड़ते।
फिर क्या था शिवराज ने उन्हें जबाब देने में देरी नही की मंदसौर की सभा में बोले कमलनाथ आपातकालीन नेता है जो पैरों तले लोगों को कुचलते हैं और हमारे संस्कार जनता की सेवा है और वो अहंकार में चूर रहते है।