सॉफ्टवेयर की मदद से सरकारी जमीनों को किया अपने नाम। तहसीलदार और पटवारियों के किये फर्जी साइन ग्वालियर में हुआ बड़ा घोटाला , जिला प्रशासन हुआ सख्त
ग्वालियर — ग्वालियर जिला प्रशासन इन दिनों अजीब- कशमकश में है क्योंकि जिले की बेशकीमती सरकारी जमीनों को भूमाफिया ने अपने नाम पर दर्ज करवा लिया। और ये सब गडबड़ झाला हुआ, मध्यप्रदेश के भू-अभिलेख (लैंड रिकोर्ड) की साइड से। जो जमीनों के रिकार्ड को कंप्यूटरीकृत करने के लिए शुरू की गयी थी। जिसमें जीआईएस सॉफ्टवेयर की मदद से भूमाफिया ने सेंध लगाते हुए सरकारी जमीनों को अपने नाम करवा लिया गया है। साथ ही उन जमीनों पर तहसीलदार और पटवारियों के भी फर्जी तरीके से डिजीटल साइन भी हो गए थे। तब से तहसीलदार और पटवारियों पर शक की सुई पुलिस की घूमी हुई है। कहीं वे भी इस फर्जीवाड़े से जुड़े नही है।
जिसके बाद तहसीलदार अनिल राघव और उमेश कौरव ने अपना पक्ष रखते हुए पिछले दिनों इसकी शिकायत कलेक्टर डॉ संजय गोयल से की। हालाँकि कलेक्टर का कहना है कि जो फर्जीवाड़ा हुआ है उसके कागजात वेरिफाइड नहीं है। लेकिन मामला गंभीर है इसलिए लेंड रिकॉर्ड कमिश्नर को भी इस मामले से अवगत कराया गया है।
दरअसल ग्वालियर के महलगांव, नौगांव, सांतऊ, पुरासानी, तिलैथाजागीर व सालुपुरा (सभी महलगांव सर्किल) के 10 सर्वे नंबरों की जांच दो दिन पहले हुई। इसमें वेब जीआईएस के पहले मतलब जब एनआईसी के सॉफ्टवेयर पर काम होता था। तब की स्थिति में रिकॉर्ड देखा गया। वर्ष 2014-15 में (एनआईसी के वक्त) महलगांव सर्किल में सरकारी जमीन 1202.932 हेक्टेयर थी जो 1 मई 2015 के बाद वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर पर काम चालू होने के बाद 2016-17 में घटकर1178.594 हेक्टेयर रह गई। सॉफ्टवेयर के जानकारों ने पहाड़ के रूप में दर्ज 24.33 हेक्टेयर अर्थात 115 बीघा जमीन नकटूलाल पुत्र देवलाल गुर्जर सहित कुछ प्राइवेट लोगों के नाम पर कर दी।
- 70 से ऊपर पहुंचीं जमीनों में हेरफेर की संख्या
- ग्वालियर में अपर कलेक्टर रहे विवेक श्रोत्रिय के कार्यकाल में हुई जांच में68 मामलों में फर्जी एंट्री की बात सामने आई। रिपोर्ट के आधार पर जांच चल रही है।
- तहसीलदार अनिल राघव के लॉगइन से बड़ागांव,खुरैरी की 15 बीघा जमीन प्राइवेट हुई। थाने में एफआईआर दर्ज।
- तहसीलदार उमेश कौरव ने पचौरा गांव की112 बीघा जमीन छह लोगों के नाम होने पर रिपोर्ट भेजी, इसकी जांच अभी चल रही है।
- गेंडोनकला डबरा में प्राइम लोकेशन की4500 वर्ग फीट जमीन भी रामगोपाल बगैरह के नाम हुई, इसकी जांच भी अभी पेंडिंग है।