नई दिल्ली/ दिल्ली के रामलीला मैदान पर रविवार को देश के राज्यों के लाखों सरकारी कर्मचारी इकट्ठा हुए और रैली कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की, इस मौके पर नेशनल मूवमेंट ऑफ़ ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के नेताओं का कहना था जब देश के नेता खुद ओपीएस का लाभ ले रहे तो हमारे लिए यह दोहरे मापदंड क्यों। लेकिन आज लाखों की संख्या में ओल्ड पेंशन की मांग को लेकर दिल्ली आए कर्मचारियों के हुंकार भरने से कही ना कही मोदी सरकार की मुसीबत जरूर बढ़ गई हैं।
देश के 20 राज्यों से आए इन सरकारी कर्मचारियों से रामलीला मैदान पटा दिखाई दे रहा था पूरे मैदान पर केवल और केवल महिला और पुरुषों के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे जिसमें सभी विभागों के शासकीय कर्मचारी अधिकारी और शिक्षक शामिल थे दिल्ली पुलिस ने इन कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले संगठन एनएमओपीएस को टेंट लगाने की अनुमति नहीं दी थी लेकिन मंच के माध्यम से यहां बड़ी सभा का आयोजन हुआ, और इस दौरान कर्मचारी प्रदर्शन और नारेबाजी भी करते देखे गए, उन्होंने नारा दिया, जुमले वाली यह सरकार नही चलेगी अबकी बार, इससे साफ था कि उनकी नाराजी मोदी सरकार के खिलाफ थी। संगठन से जुड़े नेताओं ने कहा यह हमारा अधिकार है क्योंकि हम पूरा जीवन सरकारी सेवा को देते है लेकिन हमारा यह हक हमसे छीन लिया गया और रिटायर्ड होने पर हम अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कैसे करेंगे ? उनका कहना था जब सरकार सेना जुडीशियल और नेताओं को पुरानी पेंशन का लाभ दे रही है तो हमारे साथ यह अन्याय क्यों यह तो सरकार का दोहरा चरित्र है। वही कुछ का कहना था कि यह नेता खुद पैंशन ले रहे है वे हमें क्या नेतिकता सिखाएंगे। जब कुछ राज्य में ओपीएस लागू हो सकती है तो फिर देश के सभी राज्यों में यह स्कीम क्यों लागू नहीं हो सकती।
इस दौरान राजनेतिक पार्टियों के नेता भी उनके साथ मोजूद थे आप नेता संजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आप सब कुछ फायदा अडानी को ही देंगे क्या ,कई बैंक फ्राड हुए आपने कई उद्योगपतियो के कर्ज माफ कर दिए अब इनका अधिकार भी आप छीन रहे हैं। जबकि कांग्रेस नेता अरविंद सिंह लवली ने कहा इनकी मांग जायज है और कांग्रेस इनकी मांग के साथ है। जबकि बीएसपी सांसद श्यामसिंह यादव ने कहा यह कर्मचारी हमारे देश की रीढ़ है इनमें शामिल शिक्षक देश के बच्चों का भविष्य बनाते है आज हम उनके भविष्य का ही ध्यान नहीं रख रहे।
देश के 5 राज्यों में शासकीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दिया जा रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ राजस्थान हिमाचल प्रदेश कांग्रेस शासित है और झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस की सरकार है जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है जहां यह ओ पी एस स्कीम लागू है। जबकि दो राज्य पश्चिम बंगाल और तामिलनाडू ऐसे है जिसने ओपीएस को बंद करने के केंद्र के आदेश को माना ही नही जो पहले देते थे और 2004 के बाद भी लगातार अपने कर्मचारी को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ दे रहे है।
जैसा कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने 2010 में पुरानी पेंशन योजना को बंद किया था इस योजना का बजट केंद्र को देना होता है लेकिन उसने इस योजना को बंद करने के साथ राज्यों को इसके लिए अतरिक्त बजट देना बंद कर दिया था वहीं राज्य सरकारें बजट नही होने का बहाना बनाकर इस योजना को लागू करने में अपनी मजबूरी जता देती है और इस तरह 2004 से नियुक्त शासकीय कर्मचारी इस योजना के लाभ से वंचित हो गए। लेकिन हाल में 5 राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होना है इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होना है, इस दौरान कांग्रेस और विपक्ष जातिगत जनगणना और ओबीसी का मुद्दा जोरशोर से उठा रहे है अब यह एक और नया मुद्दा ओपीएस का आ गया है अब इसे मोदी सरकार कैसे काउंटर करती है यह देखना होगा।