कोलकाता /लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में 25 हजार से अधिक सरकारी शिक्षक भारी परेशानी में आ गए है कोलकाता हाईकोर्ट ने 2016 में की गई इनकी नियुक्तियों को अमान्य मानते हुए उन्हें रद्द कर दिया हैं। बताया जाता है इन नियुक्तियों में लाखों रूपए की रिश्वत लेने की बात सामने आई है।
राज्य लेवल सिलेक्शन टेस्ट 2016 के तहत शासकीय शिक्षक पद पर यह नियुक्तियां की गई थी लेकिन इनके खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। जस्टिस देवांशू बसाक और जस्टिस एमडी शब्बर रशीदी ने इस मामले की सुनवाई के बाद 282 पेज का फैंसला सोमवार को सुनाया है जिसमें कोर्ट ने एसबीआई से कहा है कि इनकी नियुक्तियों की जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट दे और यदि जरूरत पड़े तो संबंधित अधिकारियों और इससे जुड़े लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ करें। साथ ही कोर्ट ने निर्देशित किया है कि राज्य स्कूल सेवा आयोग नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे। कोर्ट ने यह ही आदेश दिया है कि जिन लोगों को नियुक्ति दी गई उनसे पिछले 8 साल की सैलरी 4 सप्ताह में वापस ली जाए इस वसूली के लिए कोर्ट ने जिला कलेक्टर्स की ड्यूटी लगाई है। साथ ही 24,640 से अधिक जो नियुक्तियां हुई है उनसे 12 फीसदी सालाना ब्याज की राशि भी वसूली जाएं।
बंगाल सरकार ने 2014 में सरकारी हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के स्कूलों के 24,640 शिक्षक के पदों के लिए भर्ती निकाली थी जिसमें 23 लाख लोगों ने पात्रता परीक्षा दी थी उसमें से 25,753 लोगों को पास कर नियुक्तियां दी गई थी। लेकिन इसके खिलाफ 350 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि इन नियुक्तियों के लिए 5 से 15 लाख की राशि रिश्वत के रूप में ली गई ओएमआर शीट खाली छोड़ने वाले भी नौकरी के लिए चुन लिए गए।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट के इस फैसले को गैर कानूनी बताया है जबकि आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा है कि कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। जबकि इस मामले की सीबीआई जांच में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित 12 टीएमसी नेता और अफसर गिरफ्तार हो चुके है।
लेकिन इस मामले में सवाल यह भी उठता है कि किस केटेगिरी के टीचर को कितने पैसे मिले और उसे कितनी राशि लौटाना पड़ेगी। जबकि एक मानवीय पहलू यह भी है कि जिन लोगों को सरकारी शिक्षक की नोकरी मिली उन्होंने 6 साल अपना परिवार चलाया बच्चों की परवरिश की अब उनके पास वापस करने के लिए पैसा है भी या नहीं? यदि नही है वह यह राशि कहा से देंगे? सिलसिलेबार देखा जाएं तो इन शिक्षकों को प्रतिमाह 35 हजार से 55 हजार वेतन मिलता था। इन्हें 2018 में नियुक्तियां मिली 35 हजार प्रतिमाह के हिसाब से 6 साल की कुल वेतन राशि 24 लाख और 38 लाख की बनती है यानि इन्हें यह पैसा लोटाना पड़ेगा। जबकि उत्तर 24 परगना के स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक का कहना हैं मुझे 55 हजार वेतन मिलता था अब इतनी बड़ी रकम एक साथ 4 हफ्ते में कैसे लौटा पाएंगे उन्होंने यह भी कहा कि इसमें हमारा क्या कसूर हैं।