- जम्मूकश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का विवादित बयान
- अनुच्छेद 35 ए में छेड़छाड़ हूई तो राष्ट्रीय ध्वज को कन्धा देने वाला नही मिलेगा: मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती
कश्मीर – जम्मूकश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि कश्मीर स्पेशल स्टेट है, इसलिए इसे स्पेशल ट्रीटमेन्ट की जरूरत है, यदि अनुच्छेद 35 ए में किसी तरह का बदलाव किया जाता है तो इसके परिणाम घातक होंगे और जम्मूकश्मीर में भारत के राष्ट्रीय झंडे को थामने वाला भी नही मिलेगा।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि आज हमारी पार्टी हो या यहा कि कोई और राजनैतिक पार्टी हो जब कार्यकर्ता या कोई भी तिरंगा झंडा पकड़ते है तो उनकी जान को खतरा होता है हजारो लोग इसी वजह से बेमौत अभी तक मारे जा चुके है, यदि अनुच्छेद के 35 ए को हटाया जाता है तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ जायेगी जिसे संभालना मुश्किल होगा और मुझे यह कहने से भी गुरेज नही है कि जम्मूकश्मीर मै राष्ट्रीय ध्वज को फ़हराना तो दूर उसे कान्धा देने वाले भी किसी को यहाँ नही मिलेंगे, उन्होने कहा कि हमारा एजेन्डा जनभावना के अनुरूप सर्वहित और विकास का है जो वही आतंकवादियो का इसके विपरीत एजेन्डा है।
महबूबा के इस बयान की काफ़ी मुखालफ़त हो रही है पैन्थर्स पार्टी के भीम सिंह ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया में कहा है कि मुख्यमंत्री महबूबा सत्ता की पावर के नशे मै चूर होकर अनाप शनाप बयान दे रही है उन्होने राष्ट्रीय झंडे का अपमान किया है और हमारी मांग है गवर्नर तत्काल उन्हें मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करे, साथ ही उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी जबाब मांगा है, और कहा है वे मुख्यमंत्री के इस बयान पर अपना मत साफ़ करे।
खास बात है महबूबा मुफ़्ती का यह बयान ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले कीएक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है जिसमे संविधान के अनुच्छेद 35 ए की इस धारा को जम्मूकश्मीर प्रान्त से हटाने की मांग की गई है, जैसा कि यह अनुच्छेद 35 ए, 14 मई 1954 में संविधान में जोड़ा गया था जो जम्मूकश्मीर राज्य में स्थानीय नागरिक की पहचान तय करता है साथ ही रक्षा, वित्त और संचार, विभाग केन्द्रीय सरकार के पास बाकी सभी काम स्टेट के अधिकार में रहेंगे, यही वजह है यहा की राज्य सरकार जो वहा मूल नागरिक है उन्ही की सुख सुविधाओ का ख्याल रखती,
लेकिन आजादी के बाद पाकिस्तान से अनेक हिन्दू परिवार यहा आकर बसे इसके अलावा पंजाब से सफ़ाई कार्य के लिये सैकडो बाल्मीक परिवार यहा बुलाये गये, परंतु यह अनुच्छेद उनकी किसी पहचान को नही मानता, इस धारा की वजह से वे बुनियादी सुविधाओ से वंचित है बल्कि उन्हे वोट देने का भी अधिकार भी नही है वहा के लोगो का कहना है एक तरह से वे यहाँ शरणार्थी जैसा जीवन जी रहे है।