नई दिल्ली/ भोपाल– आज अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस है खुशी की बात है कि भारत में बाघों की संख्या का आंकड़ा 3682 पर जा पहुंचा है जिससे स्पष्ट है कि 50 साल पहले जब देश में टाईगर प्रॉजेक्ट शुरू किया गया था इसके बाद भारत ने इस शानदार वन्य जीव को बचाने संरक्षित करने में अच्छे और कारगर प्रयास किये गए यही वजह है कि एक समय 268 बाघ के बाद आज भारत मे बाघों की तादाद साढ़े 3 हजार से भी ऊपर जा पहुंची हैं और उल्लेखनीय हैं कि दुनिया मे बाघों की कुल संख्या में से 70 फ़ीसदी बाघ भारत की जमीन पर विचरण कर रहे हैं जबकि देश का मध्यप्रदेश वह राज्य है जहां बाघों की तादात और राज्यो की अपेक्षा सबसे ज्यादा 785 हैं और वह एक बार फिर टाइगर स्टेट के रूप में पुरुस्कृत हो रहा है।
दुनिया में 5578 तक है बाघ, संरक्षित करना मुश्किल, 50 फीसदी शावक नही देख पाते उम्र का दूसरा साल-
विश्व मे भारत सहित कुल 13 देश है जहां बाघ हैं या उनको संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे है और दुनिया में बाघों की कुल संख्या करीब 4200 और 5578 के बीच होने का अनुमान है खास बात है बाघ के शावक काफी संवेदनशील होते हैं और 50 फीसदी बच्चें एक साल पूरा होने से पहले ही मर जाते हैं इसके अलावा 55 फीसदी बाघों की मौत नेचुरल होती है और 38 फीसदी का शिकार हो जाता है तो 4 प्रतिशत बाघ हादसा या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। इतनी अधिक चुनोतियों के कारण बाघों को बचाना काफी मुश्किल होता हैं। लेकिन भारत सहित कई देश बाघ संरक्षण के क्षेत्र में मेहनत से जुटे हैं। चूंकि बाघ ऐसा वन्य जीव हैं जो जंगल और वहां के अन्य वन्य प्राणियों का बैलेंस बनाने में सबसे ज्यादा योगदान देता हैं।
विश्व में बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य-
सन 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में ग्लोबल टाइगर समिट हुई थीं जिसमें जिसमें भारत सहित बंगला देश भूटान मलेशिया म्यामार नेपाल इंडोनेशिया कंबोडिया लाओ पीडीआर चीन रूस वियेतनाम और थाईलैंड शामिल हुए थे इस समिट में अधिकांश देशों के प्रतिनिधियों ने दुनिया में बाघों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए 2022 अर्थात अगले 12 सालों में टाइगर्स की संख्या दोगुनी करने का निर्णय लिया था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है एक मात्र देश भारत बाघों की संख्या में इजाफा कर काफी हद तक खरा उतरा हैं।i

भारत में 3682 बाघ, पिछले 12 सालों में देश मे बाघों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हुई –
आज इंटरनेशनल टाइगर डे है चूंकि बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु भी है तो भारत की इस प्रजाति को बचाने की जिम्मेदारी भी अधिक है भारत आज कह भी सकता है कि उसने बाघ जैसे खूंखार और खूबसूरत वन्य प्राणी को बचाने औऱ उसे संरक्षित करने के जो सुनियोजित प्रयास किये वह उसमें पूरी तरह से सफल भी हुआ यही बजह है कि 2006 की गणना के मुताबिक देश में सिर्फ 1411 बाघ थे उंसके बाद 2010 की गणना में बढ़कर वह 1706 हुए 2014 में 2226 बाघ और 20018 की गणना में यह संख्या 2967 पर जा पहुंची उसके बाद 2022 …में प्रोजेक्ट के 50 साल पूरे होने पर बाघों की कुल संख्या 3682 हो गई और 6.1 फीसदी की बड़त के साथ भारत में पिछले 4 साल में 615 बाघों की बढ़ोतरी हुई है।
चूंकि हर 4 साल में बाघों की गणना होती हैं इस तरह भारत में पिछले 18 सालों में बाघों की तादाद में 75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई हैं खास बात है पिछले 12 सालों में भारत मे बाघों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
भारत मे आज 50 अभ्यारण और टाइगर रिजर्व सेंचुरी-
भारत में 1973 में केवल 9 अभ्यारण और टाइजर रिजर्व थे लेकिन आज यह संख्या 50 पर जा पहुंची है इस तरह पिछले सालों में 41 नये बाघ संरक्षित अभ्यारण भारत मे बने जहां आज यह बाघ फॉरेस्ट के एक्चुअल वे में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। देश के 20 राज्यों में से बिहार केरल और मध्यप्रदेश में जहां बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है वही नागालैंड मिजोरम छत्तीसगढ़ गोवा झारखंड महाराष्ट्र तेलंगाना और राजस्थान में बाघों की संख्या पहले की अपेक्षा घटी हैं।
मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या देश मे सबसे अधिक –
यू तो भारत के 20 राज्यों के वन क्षेत्रों में बाघ पाये जाते हैं लेकिन 5 राज्य वे हैं जहाँ सबसे अधिक बाघ है 2018 की गणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ थे जिनकी संख्या 2022 ..23 में बढ़कर 785 पर जा पहुंची जो एक रिकार्ड है उंसके बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 573 बाघ है तीसरे नंबर पर 560 बाघों के साथ उत्तराखंड है और उसके बाद महाराष्ट्र में 446 और तामिलनाडू में बाघों की संख्या 264 हैं देश के कुल बाघों के 35 फीसदी बाघ मध्यप्रदेश और कर्नाटक दो राज्यों में हैं।
म. प्र. को टाइगर स्टेट का दर्जा एक बार फिर से, पिछले सालों में 259 बाघ और बढ़े –
जहां तक मध्यप्रदेश की बात करें तो यह स्टेट टाइम से बाघों के मामले में काफी आगे रहा है रीवा सहित कुछ रियासतों के राजाओं का बाघ रखना एक खास शौक था यही बजह है कि यहां सफेद टाइगर भी अच्छी तादाद में देखे जाते है पिछली गणना में मध्यप्रदेश में 526 बाघ थे लेकिन अब उनमें 259 बाघों की रिकार्ड बढोतरी होने से प्रदेश में 785 बाघ विचरण कर रहे है और इसे फिर से टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है।
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की बात माने तो मध्यप्रदेश में पिछले दो साल में बाघों की संख्या में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ हैं इस तरह यहां 259 बाघ बढ़े है। जंगल मे मिलने वाले पग मार्ग कैमरा ट्रैपिंग से यह संकेत मिलते है कि मप्र में बाघों का भविष्य सुरक्षित है इस तरह पिछले 12 सालों में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या दोगुनी हो चुकी हैं।

म.प्र. में 6 टाइगर रिजर्व, 750 बाघ रखने की क्षमता –
आज की बात करें तो मध्यप्रदेश में प्रमुख रूप से 6 टाइगर रिजर्व है जिनकी 750 बाघ रखने की क्षमता है …
फिलहाल बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में 135 बाघ ,पन्ना में करीब 70 बाघ ,कान्हा नेशनल पार्क में 105 बाघ ,सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में 62 बाघ, संजय डुबरी रिजर्व में 6 बाघ, रातापानी अभ्यारण में 45 बाघ और पैच टाइगर रिजर्व में 87 बाघ है। इसके अलावा रातापानी अभ्यारण में 45 बाघ है।
जबकि नौरादेही अभ्यारण और रानी दुर्गावती अभ्यारण को जोड़कर एक नया सातवां टाईगर रिजर्व बनने वाला है खास बात है नौरादेही में 16 बाघ आज है 2018 में यहां बांधवगढ़ से एक नर बाघ को लाया गया जबकि कान्हा से राधा नाम की बाघिन यहां लाई गई इस जोड़े ने मेटिंग की और राधा ने पहली बार में 3 शावकों को जन्म दिया और उसके बाद बढ़ कर उनकी संख्या 16 पर जा पहुंची जबकि एक बाघ की हाल में टेरेटरी फाइट में मौत भी हो चुकी है। राधा की कहानी काफी दिलचस्प है बांधवगढ़ रिजर्व में शिकारियों ने उसके पूरे परिवार को जहर देकर मार दिया था तब राधा किसी तरह बच गई 6 महिने की उम्र में इसे कान्हा रिजर्व लाया गया जहां गहन चिकित्सा के बाद इसके प्राण बचा लिए गए 2018 में इसे नौरादेही भेजा गया बुंदेलखंड का यह जंगल इसे रास आया और जो टाईगर स्पेशलिस्ट समझ रहे थे यह जहर के कारण मां नही बनेगी लेकिन पहली बार में इसने 3 शावकों को जन्म देकर इस बात को झुठला दिया और नौरादेही में इसने अपना कुनबा 16 तक पहुंचा दिया जिसका मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट बनाने में बड़ा योगदान रहा।
खास बात है नेशनल पार्क कोर और बफर एरिया में 60 प्रतिशत तो सामान्य वन मंडल में 40 फीसदी बाघ हैं। मध्यप्रदेश में बाघ विस्थापन के 80 फीसदी प्रयोग सफल रहे यही बजह हैँ जिन इलाकों में बाघ नही थे। वहां भी वे दिखाई दे रहे हैं, मध्यप्रदेश में 6 टाईगर रिजर्व में 750 बाघ रखने की क्षमता हैं। जबकि अन्य जंगल वन विहार और चिड़िया घरों में भी बाघ काफी मात्रा में है।
मध्यप्रदेश का टाइगर केपीटल बना भोपाल ..
मध्यप्रदेश की राजधानी और झीलों का शहर भोपाल आज टाईगर केपीटल में तब्दील हो गया है 2018 में यहां 18 बाघ थे लेकिन आज यहां 38 बाघ है जिनमें से 13 नेशनल पार्क में है तो अहम बात 22 बाघ अर्बन क्षेत्र में है यानि ऐसे बाघ जो इंसान की आवाजाही के बीच विचरण करते हैं लेकिन इंसान पर हमला नहीं करते बल्कि इंसान का रास्ता अलग और यह बाघ अपना रास्ता अलहदा रखते है। एक तरह से इंसान और बाघ दोनों अपने हिसाब से एक दूसरे को डिस्टर्ब किए बिना चहल कदमी करते रहते हैं। भोपाल का केरवा, कलियासोत, रातापानी मेंडोरी,भोज यूनिवर्सिटी , चंदनपुर और इनके आसपास के जंगल ऐसे इलाके है जहां यह बाघ बेखौफ विचरण करते है।
क्या बाघ और मनुष्य में टकराव की नोबत आयेगी-
इधर म. प्र. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टाइगर सेंसेक्स की समीक्षात्मक रिपोर्ट जारी हुई थी जिसमें उल्लेख था कि बाघ संरक्षित अभ्यारण रातापानी प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगा हुआ हैं यहां कई बार बाघ को रिहायशी इलाकों और प्रमुख सड़कों पर विचरण करते देखा गया है इसके कारण मानव और बाघों में द्वंद की स्थिति निर्मित हो सकती है लेकिन बाघ इंसानों की मोजुदगी के आदी हो चुके है यही बजह कि पिछले 15 सालों में बाघ के इंसानों पर हमले की एक भी घटना भोपाल क्षेत्र में नही हुई है।