ग्वालियर- हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का कारगर इलाज अब मधुमक्खी के छत्ते से मिलने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्वों (प्रोपॉलिस) से बनाई गई दवा से हो सकेगा। इस दवा को ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी की जूलॉजी लैब में तैयार किया गया है। दवा का चूहों पर इस्तेमाल किया जा चुका है, जिसके बेहतर परिणाम आए हैं। साथ ही विश्वविधालय ने दवा के फॉर्मूले को पेटेंट कराने के लिए भी दावा भी पेश कर दिया है। अब इंसान की सबसे खतरनाक बीमारी में मधुमक्खी उसे खत्म करने में सबसे अहम रोल अदा करेंगी ग्वालियर के जीवाजी विश्वविधालय में एक रिसर्च हुआ है। रिसर्च के मुताबिक मधुमक्खी के छत्ते से मिलने वाले प्रोपॉलिस में एंटी बैक्टीरियल तत्व से लिवर संबंधी बीमारियां सिरोसिस, हेपेटाइटिस की दवा का फॉर्मूला बनाया गया है। इस फार्मूलें को फिलहाल चूहों पर टेस्ट किया गया है।
जिसके रिजल्ट सकरात्मक आएं है। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविधालय में ये रिसर्च साल 2009 से चल रहा था। रीजनल रिसर्च लैबोरेटरी जम्मू, एम्स और नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेटरी में भी दवा के फॉर्मूले के अलग-अलग फेज का सफल परीक्षण किया जा चुका है। जेयू ने दवा के फॉर्मूले को पेटेंट कराने के लिए दावा भी पेश कर दिया है, जिसमें पेटेंट कमेटी की क्यूरीज के जवाब भी दिए जा चुके हैं। मधुमक्खी जब छत्ता बनाती है तो उसमें वैक्स के बीच में कुछ गैप रह जाता है। इस जगह को मधुमक्खी फूलों के परागकणों से लिए गए प्रोपॉलिस से भरती है। प्रोपॉलिस में एंटी बैक्टीरियल तत्व क्वेरिसिटिन, रुटिन, सिनेमिक एसिड, इलैजिक एसिड, रेसवरसोट्रोल के साथ-साथ एस्टर, एल्डिहाइड और कीटोन्स जैसे तत्व होते हैं। रानी मक्खी जब अंडा देती है तो यही एंटीबैक्टीरियल तत्व उसकी वाइरस से रक्षा करते हैं।
मधुमक्खी के प्रोपॉलिस में 300 एंटी बैक्टीरियल तत्व होते है। प्रोपॉलिस में मिलने वाले इन तत्वों की पहचान रिसर्चर ने नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेटरी की हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी के जरिए की। इसके बाद जम्मू नेशनल रिसर्च लैबोरेटरी में लिवर पर असर करने वाले हानिकारक पदार्थों पर प्रोपॉलिस के असर का अध्ययन किया गया। इस दौरान चूहों के लिवर पर भी प्रोपॉलिस का प्रयोग किया गया। लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस और जॉन्डिस जैसी बीमारियों में की दवाओं के साथ इसकी तुलना की गई तो रिजल्ट काफी बेहतर आए।