सहमति से समलैंगिक संबंध अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने आज 150 साल पुराने कानून पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिक संबंध कोई मानसिक विकार नही एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैं और सहमति से समलैंगिक संबंध बनाना अपराध नही हैं, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने साफ किया कि धारा 377 समानता के अधिकार अनुच्छेद 14 का स्पष्ट हनन हैं वहीं खंडपीठ ने कहा कि सरकार को अपने अधिकारियों को इस मामले में संवेदनशील बनाना होगा और उनकी पीड़ा, कलंक और उनके प्रति घृणा प्रताड़ना को लेकर सरकार को उनसे माफी मांगना चाहिये।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक समाज के संवैधानिक अधिकारों को लेकर दायर एक याचिका में समलैंगिक वर्ग के हक में यह अपना अभूतपूर्व फैसला दिया हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि समलैंगिक या अन्य सभी को समान रूप से जीने का अधिकार है, और उनकी योन प्राथमिकता जैविक और प्राकृतिक हैं और जो जैसा हैं वह उसी स्वरूप में स्वीकार किया जाये और समलैंगिक वर्ग यदि सहमति से आपसी संबंध बनाता हैं तो उसे अब अपराध की श्रेणी में नही माना जायेगा।वहीं खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि समलैंगिको के बीच असहमति से बनाये गये संबंध सहित बच्चों, और पशुओं के बीच संबंधो पर धारा 377 लागू रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से समलैंगिक वर्ग में खुशी छाई हुई है और उनके जश्न मनाने की खबरें आ रही हैं साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से समलैंगिक वर्ग की सामाजिक स्वीकार्यता बड़ने की आशा हैं।