चंबल अभ्यारण में यदि अवैध उत्खनन होता है तो, कलेक्टर, एसपी, डीएफओ होंगे जिम्मेदार- हाईकोर्ट
ग्वालियर/ मुरैना – चम्बल संभाग के मुरैना जिला और उसमें आने वाले चम्बल अभ्यारण में आगे यदि किसी तरह का अवैध उत्खनन होता है तो सीधे सीधे वहां के कलेक्टर पुलिस अधीक्षक और जिला वन मंडल अधिकारी जिम्मेदार होंगे। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मुरैना सीजेएम की उस रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र में रोक के बावजूद रेत का अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी रहने की बात स्वीकार की है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि इस पर मुरैना कलेक्टर पुलिस अधीक्षक और वन मंडल अधिकारी अविलंब रूप से अपनी रिपोर्ट पेश करें कि उन्होंने इस इलाके में रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए क्या उपाय किए हैं। यदि इसके बावजूद उत्खनन जारी रहता है तो कलेक्टर एसपी और डीएफओ व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होंगे।
दरअसल एक स्थानीय अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र में डेढ़ दशक के प्रतिबंध के बावजूद रेत का उत्खनन रुका नहीं है। रेत माफिया दिन और रात में यहां खनन में जुटे हुए हैं। कहने को अवैध खनन रोकने के लिए टास्क फोर्स बनाया गया है। बावजूद इसके रेत कारोबारी अवैध उत्खनन में जुटे हुए हैं।
याचिका में सैटेलाइट इमेज के जरिए अभ्यारण क्षेत्र को आईडेंटिफाई करने के भी निर्देश जारी करने की अपील की गई है। गौरतलब है कि 2015 में अभी स्थानीय अधिवक्ता ने चंबल नदी में रेत के अवैध खनन को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। जो कई दिशा निर्देशों के बाद डिस्मिस हो गई थी। नई याचिका में यह भी मांग की गई है कि सरकार द्वारा खनन पर रोक नहीं लगा पाने के चलते मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाए ।