ग्वालियर। जड़ेरूआ बांध के समीप बड़े-बड़े पार्क विकसित होंगे, तो महाराज बाड़ा का हैरीटेज स्वरूप बरकरार रखते हुए सुनियोजित विकास व सौंदर्यीकरण होगा। साथ ही बाड़ा को नो-व्हीकल जोन बनाया जायेगा। यहाँ आने वाले नागरिकों के वाहनों को खड़ा करने के लिये मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जायेगी। इन कार्यों को जल्द से जल्द धरातल पर लाने के सिलसिले में कलेक्टर राहुल जैन व नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा ने लगातार लगभग 5 घंटे शहर का मैराथन दौरा किया। इस मौके पर मुख्य अभियंता जल संसाधन एन पी कोरी, सीईओ स्मार्ट सिटी बिदिशा मुखर्जी व अधीक्षण यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी आर एल एस मौर्य सहित अन्य संबंधित अधिकारी व स्मार्ट सिटी के विशेषज्ञ उनके साथ थे।
खासतौर पर मुरार नदी के दोनों ओर के विकास के लिये प्रस्तावित योजना, स्मार्ट सिटी तथा अमृत योजना में शामिल कार्यों को धरातल पर लाने के मकसद से कलेक्टर राहुल जैन एवं नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा ने शहर का भ्रमण किया। उन्होंने रमौआ बांध से अपने भ्रमण की शुरूआत की और जड़ेरूआ बांध, काल्पीब्रिज मुरार, जलालपुर ब्रिज, मोतीझील व तिघरा जलाशय का मुआयना करने के बाद महाराज बाड़ा क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित कार्य स्थल व इमारतों को देखने पहुँचे। मुरार नदी के दोनों ओर प्रस्तावित विकास योजना (रिवर फ्रंट डवलपमेंट ऑफ मुरार रिवर) के प्रस्तावित स्थलों के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर राहुल जैन ने कहा कि मुरार नदी के दोनों ओर वॉक सर्वेक्षण कराया जायेगा।
इस सर्वेक्षण के लिये नगर निगम, राजस्व, वन एवं जल संसाधन विभाग की संयुक्त टीम गठित की जायेगी। उन्होंने निर्देश दिये कि वॉक सर्वेक्षण के दौरान राजस्व भूमि पर सीमा चिन्ह भी अनिवार्यतरू अंकित किए जाएँ। जैन ने निर्देश दिए कि नदी के दोनों ओर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का पालन करें। साथ ही नगर एवं ग्राम निवेश के प्रावधानों के तहत नदी के दोनों ओर रिहायशी क्षेत्र में 15 मीटर तक और बिना रिहायशी क्षेत्र में 30 मीटर तक निर्माण न हों। मालूम हो मुरार नदी की दोनों ओर प्रस्तावित विकास योजना की प्रारंभिक डीपीआर तैयार हो चुकी है। डीपीआर में लगभग 332 करोड़ के कार्य प्रस्तावित हैं। जिसमें प्रथम चरण में कुल लगभग 182 करोड़ 31 लाख की लागत से रिटेनिंग वाल, कलवर्ट्स पुलिया, नदी का गहरीकरण (डीसिल्टिंग), नदी के दायरे में स्थित परिसम्पत्तियों की पुनर्बसाहट और नदी में बह रहे सीवेज को रोकने के लिये ट्रंक लाईन बिछाना प्रस्तावित है। द्वितीय चरण में लगभग 150 करोड़ की लागत से कैरिजवे, साइकिल ट्रैक व वर्षा जल निकासी संरचना निर्माण, फुटपाथ, एक दर्जन फुट ओवरब्रिज कंपाउण्ड वॉल, उद्यानिकी, कृषि व लैण्डस्कैपिंग, स्ट्रीट लाईट तथा अन्य विकास कार्य कराए जायेंगे।
कलेक्टर ने कहा कि रमौआ बांध के भराव क्षेत्र में वृक्षारोपण भी करें। उन्होंने शहर की पेयजल आपूर्ति के लिये रमौआ बांध में पानी की उपलब्धता के बारे में मुख्य अभियंता जल संसाधन से जानकारी देने को कहा है। मालूम हो हरसी बांध से जुड़ीं नहरों व टनल के जरिए रमौआ डेम को भरा जायेगा। जैन ने जड़ेरूआ बांध के समीप शहरवासियों के लिये प्रस्तावित अत्याधुनिक और सर्वसुविधायुक्त पार्क निर्माण स्थल भी देखा। नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा ने बताया कि इस पार्क की भी डीपीआर तैयार हो चुकी है। स्मार्ट सिटी में शामिल कार्यस्थलों का भी मुआयना करने पहुँचे। अधिकारी द्वय ने बाड़े पर पहुँचकर विक्टोरिया मार्केट जीर्णोद्धार कार्य, मुख्य पोस्ट ऑफिस व नगर निगम कार्यालय का पुराना भवन, गोरखी परिसर, स्टेट बैंक भवन, टाउन हॉल, शासकीय मुद्रणालय, केन्द्रीय पुस्तकालय इत्यादि भी देखे। साथ ही यहाँ स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित कार्यों को मूर्त रूप देने के लिये विषय विशेषज्ञों से चर्चा की। कलेक्टर ने महाराज बाड़े पर स्मार्ट सिटी के तहत हैरीटेज होटल बनाने के लिये भवन की संभावनायें भी तलाशीं।
उन्होंने एसडीएम लश्कर को निर्देश दिए कि गोरखी परिसर सहित महाराज बाड़े पर संचालित अन्य कार्यालयों की सूची तैयार करें और इन्हें किसी दूसरे भवन में शिफ्ट कराने का प्रस्ताव तैयार करें, जिससे महाराज बाड़ा पर स्मार्ट सिटी के कार्यों को निर्बाध गति से मूर्त रूप दिया जा सके। शहर की पेयजल आपूर्ति की वस्तुस्थिति समझने के लिये कलेक्टर ने मोतीझील पर संचालित 70 दृ 70 एमएलडी के दोनों ट्रीटमेंट प्लान और तिघरा जलाशय का भी जायजा लिया। उन्होंने तिघरा जलाशय व उससे जुड़े पहसारी, ककेटो व अपर ककेटो जलाशयों में पानी की उपलब्धता की जानकारी ली। कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त ने अमृत योजना के तहत स्वीकृत कार्यों व उनके स्थलों की भी वस्तुस्थिति भी भ्रमण के दौरान जानीं।
अधीक्षण यंत्री पीएचई आर एल एस मौर्य ने बताया कि अमृत योजना के तहत लगभग 330 करोड़ रूपए लागत के पेयजल कार्यों के टेण्डर हो चुके हैं। इन कार्यों में पेयजल की 40 टंकियाँ, 750 कि.मी. पाइपलाईन, शर्मा फॉर्म के समीप 160 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट और इस प्लांट को तिघरा से जोड़ने के लिये 20 किमी. की पाइपलाईन डालना शामिल है।