- ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक मामले में अस्पताल में एलईडी लगाने के दिये आदेश के साथ स्वीकार की जमानत
- कहा मेड इन चीन नही होना चाहिये एलईडी
ग्वालियर- गलवान घाटी में 20 जवानों के शहीद होने और देश की सीमाओं पर चीन द्वारा अतिक्रमण की खबरों के बीच लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है, अब इस मामले में हाई कोर्ट भी प्रमुखता से सामने आया है।
हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में दो आरोपियों को सशर्त जमानत का लाभ दिया है, लेकिन जो शर्त रखी गई है वह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपी मुरार जिला अस्पताल के रैनबसेरा में एक एलईडी टीवी लगवाएं लेकिन वह चायना मेक नही होना चाहिए, साथ ही उसकी फोटो हाईकोर्ट की रजिस्ट्री शाखा में पेश करें तो उनकी जमानत स्वीकार कर ली जाएगी।
यहां तक कोई भी असामान्य बात नहीं थी लेकिन हाईकोर्ट ने बेल एप्लीकेशन उसी शर्त पर अनुमति की है, जिसमें आरोपियों को पच्चीस हजार रुपए कीमत का टीवी मुरार जिला अस्पताल के रैन बसेरे में 2 सप्ताह के भीतर लगवाना होगा लेकिन यह भारत अथवा अन्य कहीं भी देश का बना हो लेकिन चीन का बना नहीं होना चाहिए।
क्या था मामला?
दरअसल दतिया जिले के बड़ौनी थाना क्षेत्र में अरविंद पटेल और कमलेश के खिलाफ गाली गलौज और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ था। वह अठारह फरवरी 2020 से ही जेल में है, लोअर कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
इन दिनों कोविड-19 के दौर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई चल रही है न्यायमूर्ति शील नागू ने कमलेश और अरविंद को जमानत का लाभ दिया है लेकिन उन्हें रैन बसेरे में ₹25000 कीमत का एलईडी टीवी लगाने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही टीवी को चाइना मेड नहीं होना चाहिए यह अलग से शर्त रखी गई है इससे पहले हाईकोर्ट कोरोनावायरस के रूप में काम करने पेड़ पौधे लगाने और समाज सेवा करने की-शर्त पर लोगों को जमानत का लाभ देता रहा है।
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