- हार नहीं मानूंगा,रार नहीं ठानूंगा, सर्वमान्य नेता की छवि और बहुमुंखी प्रतिभा के धनी
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कवि पत्रकार से राजनेता का स्वर्णिम सफ़र
नई दिल्ली / पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की छवि सर्वमान्य और राष्ट्रवादी नेता के रूप में रही वे अपनी सक्रिय राजनीति के दौरान अपनो के चहेते तो थे ही वहीं कांग्रेस सहित विपक्षी नेता भी उनका सम्मान करते थे, आजादी के बाद श्री वाजपेयी पहले देश के गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, पोखरण परमाणु परीक्षण उनका बड़ा फ़ैसला देश हित में उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता हैं तो सयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन में विदेश में हिंदी में दिया उनका भाषण राष्ट्र भाषा से उनका प्रेम का धोतक हैं। कवि पत्रकार और उसके बाद राजनेता और देश के प्रधानमंत्री बने अटलजी बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म तो आगरा उ.प्र. के बटेश्वर में हुआ था लेकिन उनकी शिक्षा दीक्षा ग्वालियर में हुई थी बहुमुंखी प्रतिभा के धनी थे श्री वाजपेयी कवि से पत्रकार और उसके बाद राजनेता बने अटल जी आजादी के बाद पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने परंतु खरीद फ़रोख़्त की राजनीति को वे कतई पसंद नही करते थे, उनका तीन बार प्रधानमंत्री बनने का इतिहास भी काफ़ी रोचक हैं, 1996 से लेकर 2004 के बीच श्री अटल जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने पहली बार केवल तेरह दिन उसके बाद तेरह माह और 1998-99 में वे तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और खास रहा इस बार उनकी सरकार ने पूरे 5 साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इससे पूर्व 1977 की मोरार जी देसाई की सरकार में वे विदेश मंत्री बने थे,और उस दौरान सयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में दिया उनका भाषण काफ़ी चर्चा में रहा था।
खास बात हैं प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में वाजपेयी के एक भाषण को सुनकर भविष्य वाणी कर दी थी कि यह प्रतिभाशाली युवक आगे जाकर देश का प्रधानमंत्री जरूर बनेगा। श्री वाजपेयी 1980 में जनसंघ के भारतीय जनता पार्टी में तब्दील होने पर पार्टी के पहले अध्यक्ष बने,श्री वाजपेयी ने 1998 में अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था,तब अमेरिका के साथ कुछ देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया तब भी वाजपेयी नही घबराये और आलोचनाओं का उन्होंने मजबूती से सामना किया।
यह उनका देश हित में बड़ा और साहसी फ़ैसला था, वाजपेयी में कुछ खास था यही बजह वे देश के एकमात्र सर्वमान्य नेता रहे विपक्ष ने भी उनको पूरा मान सम्मान दिया, यही कारण था कि प्रधानमंत्री रहते श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन्हें विपक्ष के नेता होने के बावजूद सरकार का प्रतिनिधि बतौर एक मामले में चर्चा के लिये विदेश भेजा था जो उनके व्यक्तित्व और राजनीति का ही असर था। वही वे विरोध के लिये सरकार का विरोध नही करते थे 1971 में पाकिस्तान से युद्ध में भारत की सफ़लता पर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दुर्गा बताया था जो उनके बड़े दिल का होने का परिचायक था। श्री वाजपेयी को हाल में केन्द्रीय सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था।
कवि के रूप में वे अपनी सटीक प्रतिक्रिया देते थे वीर रस के वे बड़े कवि थे बंटवारे और इमरजेन्सी की पीड़ा की अभिव्यक्ति साफ़ तौर पर उनकी कविताओं में सुनी जा सकती हैं,श्री वाजपेयी ने ग्वालियर के उस समय के विक्टोरिया कॉलेज जो आज एमएलबी कॉलेज कहलाता हैं उसमे स्नातक की शिक्षा ग्रहण की थी और जहां तक पत्रकारिता की बात की जाये तो अटल जी ने राष्ट्रधर्म, पान्चजंय और वीर अर्जुन अखबार का सम्पादन किया।