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किसानों ने गृहमंत्री शाह का प्रस्ताव किया नामंजूर, सशर्त बातचीत नही …
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किसानों ने दिल्ली जाम करने की दी चेतावनी कहा किस किसान से पूछ कर लाई कानून सरकार…
नई दिल्ली – केंद्र के किसान बिल के खिलाफ किसानों आंदोलन लगातार जारी है हजारों किसान सिंघु और टिगरी बॉर्डर पर पूरी तैयारी से जुटे हुए हैं और धरने पर बैठे है और वही उनका लंगर भी चल रहा है। किसानों की भारी तादाद में सड़कों पर धरना देने से दोनों ही बॉर्डर पर जुड़ने वाले सड़को और हाईवे पर जाम जैसी स्थिति बनी हुई हैं। खास बात है गृहमंत्री अमित शाह के बुराड़ी में आकर बातचीत के ऑफर को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया है किसानों का कहना है सशर्त कोई बात किसान नही मानेंगे। वही उन्होंने दिल्ली में दाखिल होने वाले सभी पांचों बॉर्डर जाम करने की चेतावनी भी सरकार को दी है।
हरियाणा पंजाब सहित अन्य प्रांतों के किसान भी जुटे –
हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश कर्नाटक उड़ीसा गुजरात उत्तराखंड सहित अधिकांश प्रांतों के किसान दिल्ली में डेरा डाले हुए है उनकी मांग हैंकि यह तीनों किसान बिल जो क़ानून में बदले है उन्हें केन्द्र सरकार बापस ले या उसमें उनके हिसाब से संशोधन के लिये आश्वासन दे तभी वह अपना आंदोलन बापस लेकर घर लौटेंगे। चार दिन हो गये लेकिन फिलहाल सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है।
गृहमंत्री अमित शाह का प्रस्ताव किसानों ने ठुकराया –
इधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि किसानों से सरकार बात करने को तैयार हैं लेकिन पहले वे पहले बुलाड़ी मैदान में आ जाये जिससे उनसे बातचीत हो सके। इस बीच रात को केंद्रीय गृह सचिव की एक चिट्ठी किसान संगठनों को मिलती हैं जिसमें उन्हें बुराड़ी के निरंकारी मैदान पहुंचने और सभी सड़कें खाली करने को कहा जाता है और अपना आंदोलन बुलाड़ी मैदान में जारी रखने की बात भी कही गई थी। आज किसान संगठनों की हुई बैठक में गृहमंत्री के सशर्त प्रस्ताव को खारिज कर दिया। साथ ही सिंघु और टिकरी बार्डर पर ही डटे रहने का फैसला लिया।
नया कानून किसान हितेषी कहा प्रधानमंत्री ने –
जबकि आज मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा नये किसान कानून किसान हितेषी है इस कानून से देश के किसानों को नये अधिकार मिलेंगे, उन्होंने कहा किसानों के बंधन खत्म हुए और उन्हें नये अधिकार और नये अवसर मिले हैं और इन नए कानून से कम समय में ही किसानों की परेशानी में कमी आई हैं प्रधानमंत्री ने नोजवानों को आव्हान किया कि वे गांव गांव जाकर इस नये किसान बिल की खूबियों के बारे में किसानों को जानकारी दे।
सरकार बताये किस किसान या संगठन ने इस कानून की डिमांड की –
अपनी मांग और और आंदोलन की अगली रणनीति तय करने के लिये किसान संगठनों ने बैठक की उसके उपरांत मीडिया से बातचीत में किसान नेताओं ने साफ कहा कि सरकार से किस किसान या संगठन ने इस कानून की डिमांड की सरकार बताये। जहां तक सरकार बिचौलियों को हटाने की बात करती है तो वह डिफाइन करे how is बिचौलिया हम अनाज लेकर मंडी में जाते है तो वह उसे खाली करता है सफाई करता है माल बोरियों में भरता है उसे ट्रांसफर करता है वह बिचौलिया नही सर्विस प्रोवाइडर है जो केवल अपनी मेहनत का कमीशन लेता है।
यदि वह हमारे माल को सस्ते में लेकर महंगा बेचे तो वह बिचौलिया होगा जबकि ऐसा नही हैं, किसान नेताओं के मुताबिक यह एक देश एक मंडी की बात करते है ग्राउंड सच्चाई है कि आज पूरे देश में किसान अपना माल लेजाकर बेच सकता है महाराष्ट्र के संतरे काश्मीर से सेब हरियाणा पंजाब की सब्जी दिल्ली में आती है पहले ही देश में कोई पाबंदी नही है फिर हमें बंधन में क्यों डाल रहे है किसान नेता ने कहा 1976 में किसानों ने इस तरह की पाबंदी के खिलाफ आंदोलन किया था नवम्बर 76 में कोर्ट ने फैसला दिया 1977 की जनता सरकार में कानून पास हुआ और देश क़ा किसान स्वच्छंद हुआ था आज यह सरकार फिर क्यों यह कानून किसानों पर थोपना चाहती है जबकि देश का कोई भी किसान या किसान संगठन इस कानून के फेवर में नही है।
किसान नेताओ ने साफ कहा यह कानून केवल लूटने की चाल है हमने मंत्री और सरकार के अधिकारियों को बैठक में डॉक्यूमेंट दिये लेकिन आज तक उंसका कोई जबाब हमें नही मिला किसान संगठन के नेताओं का आरोप है कि कांट्रेक्ट एग्रीकल्चर से किसानों की जमीन भी छिन जायेगी क्योंकि कंपनियां किसान की फसल को घटिया गुणवत्ताविहीन बताकर और पेप्सीसाइड का बहाना कर उंसके प्रोडक्ट को रिजेक्ट कर देगी और उसकी सुनवाई भी नही होगी। उनके अनुसार सरकार ने सोशल कॉमोडिटी एक्ट में बदलाव कर कंपनियों को हमारे उत्पाद सस्ते में खरीद कर पांच गुना कीमत बसूलने की खुली छूट दे दी है जिससे प्रोड्यूसर (किसान) तो मरेंगे ही कंज्यूमर (उपभोक्ता )भी मरेगा।