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दिल्लीदेश

किसान फिर आंदोलन की राह पर 13 फरवरी को “दिल्ली चलो मार्च”, रोकने सरकार ने की किलेबंदी

Farmers Protest
Farmers Protest

नई दिल्ली, चंडीगढ़/ तीन साल बाद देश के किसान फिर से आंदोलन की राह पर आ गए है और उन्होंने 13 फरवरी को पंजाब से हरियाणा होते हुए दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है लेकिन किसानों को रोकने के लिए एक तरह से सरकार ने भी भारी बंदोबस्त के साथ किलेबंदी कर दी है सड़कों पर सीमेंट के आदमकद बेरीगेट्स के साथ मोटी मोटी कीले ठोक दी गई है रास्तों पर खाई खोदकर उन्हें बंद कर दिया गया है सभी बार्डर सील कर दिए गए है वहां पुलिस और सेना ने मोर्चाबंदी कर ली है इसके अलावा शहरों में धारा 144 लगाने के साथ इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है। लेकिन इससे भी अहम है कि पुलिस गांव गांव में जाकर किसानों को चेतावनी दे रही है को जो लोग इस आंदोलन में शामिल होंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही के साथ उनके वाहन जब्त कर लिए जाएंगे साथ ही उनके पासपोर्ट रद्द करने की चेतावनी भी दी जा रही है।

किसान संगठनों की मांग है कि सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी कानून बनाया जाएं स्वामीनाथन आयोग का सी टू प्लस फिफ्टी का फार्मूला लागू हो, किसान पैंशन शुरू की जाएं, भूमि अधिग्रहण बिल 2013 लागू किया जाए, पिछले आंदोलन के दौरान जो 700 किसान शहीद हुए उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाएं,लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने वाले दोषियों को सजा दी जाएं, नया विद्युत अधिनियम बिल रद्द किया जाएं, इस बार मनरेगा को भी लिया गया है और 365 दिन में से 200 दिन का काम और दिहाड़ी मजदूरी बड़ा कर 700 रूपये की जाएं, नकली बीज कीटनाशक दवाईयों उनपर रोक लगाने के साथ उसमें लिप्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएं, मसालों को लेकर एक राष्ट्रीय आयोग का गठन हो और आदिवासी के हित में संविधान की पांचवी अनुसूची को लागू करने के साथ जंगलों और उसकी जमीन पर कार्पोरेट्स के आधिपत्य और कब्जों को हटाया जाएं।

चंडीगढ़ के महात्मा गांधी स्टेट स्टीट्यूट में किसान सयुक्त मोर्चा संगठन के नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्रियों की आज बैठक हो रही है जिसमें उनके मुद्दों पर चर्चा हो रही है बैठक में किसान नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा मोजूद है इधर किसान भी अलग से चंडीगढ़ में बैठक कर अपने आंदोलन को अमली जामा पहनाने के साथ आगामी रणनीति तैयार कर रहे है। बताया जाता है पंजाब हरियाणा और अन्य राज्यो के किसान भी गांव गांव में इस आंदोलन को लेकर पंचायत कर रहे है।

तीन साल पहले एक साल से अधिक समय तक किसानों ने किसान विरोधी तीन कानून वापस लेने एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने और सी टू प्लस फिफ्टी की मांग को लेकर आंदोलन किया था इस दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई थी यूपी चुनाव पास आने पर सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए और अन्य मांगों के लिए एक कमेटी का गठन कर उसपर चिंतन मनन के बाद पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन कमेटी आजतक यह भी नही बता पाई कि एमएसपी को लीगल बनाया जा सकता है या नहीं।

पिछले किसान आंदोलन को कुचलने की भरपूर कोशिश सरकार ने की थी लेकिन हारकर उसे तीन कानून वापस लेने पड़े थे लेकिन इस बार वह आंदोलन करने वाले किसानों को दिल्ली तक आने ही नही देना चाहती सरकार ने इसके लिए काफी तैयारियां की है और किसानों को पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर ही रोकने के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

अंबाला के शंभू बॉर्डर खजेड़ी और फतेहाबाद के बॉर्डर पर सीमेंट के बड़े बड़े बेरीगेट खड़े कर दिए गए है सड़कों पर मोटे मोटे कीले ठोके गए है। अंबाला हिसार सिरसा फतेहाबाद कुरुक्षेत्र कैथला जिंद डब्बाली सहित एक दर्जन जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करदी गई है और 12 से 15 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है जिसमें सोनीपत फतेहाबाद जिंद पंचकुला हिसार झज्जर अंबाला प्रमुख रूप से शामिल है वही दिल्ली से लगे गाजीपुर और उसके आसपास भी धारा 144 लगा दी गई हैं।

हरियाणा पंजाब और राजस्थान से दिल्ली आने वाले किसानों के जत्थे रोकने के लिए सभी बॉर्डर सील कर दिए गए है और सभी जगह स्थानीय पुलिस के साथ सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवान पूरी तैयारी के साथ तैनात कर दिए गए है।

सबसे अहम बात है कि हरियाणा में राज्य सरकार ने पैट्रोल पंप संचालकों को प्रत्येक वाहन को अधिकतम 10 ..10 लीटर पैट्रोल या डीजल देने के आदेश दिए है साथ ही गांव गांव घूमकर पुलिस अपने वाहनों पर लाउडिस्पीकर लगाकर किसान और ग्रामीणों को चेतावनी दे रही है कि कोई भी नागरिक आंदोलन में शिरकत करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जायेगी साथ ही उसके ट्रैक्टर या अन्य वाहन जब्त कर लिए जाएंगे इतना ही नहीं पुलिस उनके पासपोर्ट रद्द करने की धमकी भी दे रही है।

जैसा कि पंजाब में 19 से 23 लाख किसान परिवार है हरियाणा में 15 से 18 लाख राजस्थान में 56 से 72 लाख उत्तर प्रदेश में 92 लाख से 1 करोड़, तेलंगाना में 29 से 36 लाख कर्नाटक में 49 से 53 लाख हिमाचल में 7 से 9 लाख, महाराष्ट्र में लगभग 85 से 1 करोड़ किसान हैं। इस दिल्ली कूच आंदोलन को लेकर किसान मानसिक और शारीरिक रूप से कितना तैयार है यह 13 फरवरी की तारीख बताएगी लेकिन जो तस्वीरें मिल रही है उसमें किसान अपने अपने ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों को त्रिपाल से कवर्ड कर बैनर पोस्टर लगाकर गांव से निकलने लगा है बताया जाता है वह अपने साथ 6 माह का राशन पानी भी लिए हुए हैं।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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