नई दिल्ली/ सयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आज साथ देश के प्रमुख किसान संगठनों ने आज दिल्ली में किसान पंचायत की, जिसमें देश से हजारों किसान और किसान नेता मोजूद रहे। किसानों की मांग में एमएसपी को कानूनी दर्जा देने के साथ 5 प्रमुख मांगे शामिल है। किसान नेताओं ने काफी समय बीतने के वावजूद किसानों की मांगों को पूरा नहीं करने पर केंद्रीय सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया साथ ही पंचायत में 30 मार्च को बैठक कर आगे की रणनीति बनाने का निर्णय लिया गया। जबकि 15 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर चर्चा की और उन्हें एक ज्ञापन सौपा।
जैसा कि किसानों की प्रमुख मांगो में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा,किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवार को मुआवजा, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामले वापस लें, केंद्रीय मंत्री अजय सिंह टेनी को पद से हटाया जाएं,विद्युत संशोधन बिल की वापसी सहित अन्य मांगे शामिल है। जैसा कि केंद्रीय सरकार के कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए किसानों ने नवंबर 2020 से आंदोलन शुरू किया था और एक साल तक सड़कों पर किसानों के यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहा और इस आंदोलन में देश के लाखों किसानों ने हिस्सा लिया और तमाम मुसीबतों और संघर्ष के साथ सर्दी बारिश और गर्मी में भी सड़कों पर डटे रहे आखिर केंद्रीय सरकार झुकी और उसने 19 नवंबर को इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया साथ ही किसान नेताओं को जल्द किसानों की मांगो और उनके हित में शीघ्र निर्णय लेने का आश्वासन दिया तब किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था बाद में सरकार ने 18 जुलाई एक कमेटी का गठन किया जिसका अध्यक्ष केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया लेकिन भारतीय किसान मोर्चा का कोई भी किसान नेता इस कमेटी में शामिल नहीं हुआ कारण था जिन संजय अग्रवाल को कमेटी का अध्यक्ष बनाया उन्होंने ने ही नए किसान कानूनों का ड्राफ्ट बनाया था।
एक तरफ सयुक्त किसान मोर्चा किसान महापंचायत कर रहा था इस बीच किसान संगठनों के 15 किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात की और एक ज्ञापन उन्हें सौंपा जिसमें एमएसपी को।कानूनी दर्जा देने के साथ अन्य मांगे शामिल थी श्री तोमर और किसान नेताओं के बीच काफी समय तक सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई। इस अवसर पर कहा कि मैं किसानों के हित में हमेशा उपलब्ध हूं किसान कभी भी मेरे पास आकर मुलाकात कर चर्चा कर सकते हैं। एसकेएम के इस प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा में शामिल किसान एवं मजदूर नेता प्रेमसिंह गहलावत डॉक्टर सुनीलम, बी बैंकटरमैया सुरेश काठ युद्धवीर सिंह हन्नान मुल्लाह बूटासिंह बुर्जगिल सत्यवान अमर प्रमुख रूप से शामिल थे।
किसान नेता राकेश टिकैत का आरोप है कि केंद्र सरकार ने हमें आश्वासन दिया था लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी हमारी मांगों को लेकर आज तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया इसलिए किसान फिर से सड़कों पर उतरा है उन्होंने बताया कि आगामी 30 मार्च को एसकेएम की बैठक में आगामी रणनीति बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा जो किसान देश की विकास दर में साढ़े तीन फीसदी की भागीदारी रखता है आज वह अपने हितों के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है। किसान नेता युद्धवीर सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार उलटा किसानों के हितों पर कुठाराघात कर रही है उसने हाल में 2 लाख टन गेंहू बाजार में रिलीज कर दिया जब कि अप्रैल में किसानों की गैंहू की फसल बाजार में आने वाली है उन्होंने कहा जब सरसों की फसल तैयार हुई तो सरकार ने पाम ऑयल का आयात कर लिया उन्होंने कहा कि हो सकता हैं मंहगाई कम करने या जरूरतमंद जनता के हित में सरकार का यह निर्णय हो लेकिन जब किसानों की फसल बाजार में आने वाली होती है उससे ठीक पहले यह निर्णय क्या न्यायसंगत है क्योंकि इस आवक से बाजार में किसानों की फसल की कीमत कम होना तय हैं।