मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान का बेटा कहते है और उनकी सरकार को गरीबों और किसानों की सरकार कहते है। ..
इतना ही नहीं वो और सहयोगी इस बात का दावा भी करते है कि हमारे प्रदेश ने किसान को कोई तकलीफ नहीं है। .लेकिन इनके सभी दावों की उस समय हवा निकल गई जब ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे एक किसान ने मुख्यमंत्री से ही आत्महत्या करने की अनुमति का आवेदन प्रस्तुत किया। …
दरअसल ग्राम जखारा निवासी सरदार सिंह राणा की खड़ी फसल ओलावृष्टि में नष्ट हो चुकी है। .. सर्वे के बाद सरकार ने 60 हजार रुपये की सहायता राशि मंजूर की और 8 सितंबर 2015 को जारी पहली सूची में इसे स्वीकृत कर ग्वालियर जिला प्रशासन को भेज दी। .. लेकिन इतना लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद ये राशि पीड़ित किसान सरदार सिंह के खाते में नहीं पहुची। …
सरदार सिंह की माने तो उसने तमाम अधिकारियों के चक्कर लगा लिए लेकिन पटवारी से लेकर एसडीएम तक सब उसे परेशां ही कर रहे है। … सरदार सिंह ने यहाँ तक दावा किया कि उसने क्षेत्र के पटवारी को अपनी ही राशि अपने खाते में डलवाने के एवज में 5 हजार रुपये की रिश्वत भी दी लेकिन फिर भी अभी तक उसे उसका मुआवजा नहीं मिला। …
परेशान किसान सरदार सिंह ने अब मुख्यमंत्री से आत्महत्या की अनुमति मांगी है। . उसका कहना है कि फसल बरबाद। घर का खर्च चल नहीं रहा , बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहा, पैसो के लिए रिश्वत देने के बाद भी भटक रहा हूँ . इससे बेहतर है कि मणि अपनी जान देदू। ..
हालाँकि जनसुनवाई में मौजूद प्रभारी कलेक्टर शिवराज वर्मा ने मामले को दिखवाकर मदद का भरोसा दिलाया है