तानसेन समारोह” में यूरोपीय संगीतकार योहानेस ने अपने करिश्माई गिटार वादन से जिता लोगों का दिल
ग्वालियर- मंद-मंद बह रही सर्द बयार के साथ जब गिटार से झर रहे हिंदुस्तानी और वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक के सुर मिले तो वातावरण में गरमाहट दौड़ गई।
शनिवार की भोर में तानसेन समारोह के तहत सजी प्रातःकालीन सभा के पहले कलाकार थे स्वीडन से आए योहानेस मॉलर। यूरोपीय संगीतकार योहानेस ने अपने करिश्माई और भावपूर्ण गिटार वादन से रसिकों की खूब वाहवाही लूटी। योहानेस यूरोप के प्रतिष्ठित जीएफए कॉन्सर्ट आर्टिस्ट प्रतियोगिता के विजेता रह चुके हैं। उन्होंने डच वियेंडेनक्रास कौन्सर्ट भी जीता है। संगीत शिरोमणि तानसेन की याद में आयोजित हो रहे सालाना महोत्सव “तानसेन समारोह” में शनिवार को सुबह से ही हल्की-हल्की सर्द हवा चल रही थी। राग-मनीषियों ने जब मीठी-मीठी राग-रागनियाँ छेड़ीं तो रसिक सर्दी का अहसास ही भूल गए।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित पाँच दिनी महोत्सव के दूसरे दिन की प्रातरूकालीन सभा में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ हुईं। तानसेन समाधि परिसर में मुरैना के बटेश्वर मंदिर श्रृंखला की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच से “नाद ब्रम्ह” के सीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं। समारोह के दूसरे दिन प्रातःकालीन सभा का आगाज भारतीय संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से हुआ। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं आचार्यों द्वारा तानसेन द्वारा रचित बंदिश का पूरे मनोयोग से गायन किया। राग जौनपुरी में निबद्ध बंदिश के बोल थे नाद सुघर पुर बसायो।