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ग्वालियरमध्य प्रदेश

करोडो के घोटाले में फंसे इंजीनियरों को हाईकोर्ट से झटका

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ग्वालियर- मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खड़पीठ ने हरसी हाईलेवल नहर घोटाले के आरोपियों की क्रिमिनल रिवीजन याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जिस अधिकारी ने प्रपोजल की फाइल को आगे बढ़ाया है, वह उसके लिए जिम्मेदार है। डीपीआर में संशोधन का अधिकार हाई पावर कमेटी के पास था, अधीनस्थ अधिकारी उसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं। इंजीनियरों ने विशेष सत्र न्यायालय में चल रही ट्रायल को समाप्त कराने के लिए क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की थी। दरअसल हरसी हाई लेवल नहर घोटाले में करीब 350 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था।

खुलासे के बाद ईओडब्ल्यू ने इंजीनियरों के घरों पर छापे मारे और 49 इंजीनियरों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया। ईओडब्ल्यू ने विशेष सत्र न्यायालय में चालान पेश कर दिया, जिसमें ट्रायल चल रही है। इस मामले में चार गवाह हो चुके हैं, लेनिक 25 इंजीनियरों ने विशेष सत्र न्यायाल में चल रही ट्रायल के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दायर की। इंजीनियरों ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि ईओडब्ल्यू ने गलत केस दर्ज किए हैं। ट्रायल चलने योग्य नहीं है।

ईओडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया कि लगभग 700 करोड़ का प्रोजेक्ट था, जिसमें करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। नहर में सीमेंट के पाइपल लगने थे, लेकिन स्टील के पाइपों की खरीद की गई। कोर्ट ने कहा कि डीपीआर में संशोधन का अधिकारी सिर्फ हाई पावर कमेटी के पास था। अगर कोई बदलाव करना था तो हाई पावर कमेटी करती, लेकिन जिन अधिकारियों को अधिकार नहीं था, उन्होंने संशोधन किए हैं। जितने भी अधिकारियों ने प्रपोजल को आगे बढ़ाया है, वे सभी जिम्मेदार हैं। कोर्ट ने क्रिमिलन रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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