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हाथी अकेला चलेगा, किसी से गठबंधन नहीं, मायावती ने कहा लोकसभा चुनाव के बाद फैसला

Mayawati
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नई दिल्ली / बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले अपनी दम पर लड़ेगी आज बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रेस कान्फ्रेस में यह साफ कर दिया। इस तरह बीएसपी के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर अब पूरी तरह से विराम लग गया हैं।

बसपा प्रमुख मायावती ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन के साथ शामिल नहीं हो रही क्योंकि गठबंधन करके चुनाव लड़ने पर पार्टी को नुकसान होता है उसका वोट प्रतिशत घट जाता है। उन्होंने कहा कि लोग मेरे सन्यास की झूठी अफवाह फैलाते रहते है लेकिन बता दू मैं अंतिम सांस तक पार्टी को मज़बूत बनाने के लिए उसके साथ खड़ी रहूंगी।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि धर्म के आधार पर राजनीति लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है जिससे देश का नुकसान हो रहा है इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर हमला करते हुए उन्होंने कहा अन्य पार्टियों की सोच संकीर्ण है जो पूंजीवाद को बढ़ावा देती है मायावती ने कहा देश में पिछड़े और दलितों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिला जिससे इन प्रमुख पार्टियों की मंशा समझी जा सकती है। उन्होंने कहा बीजेपी सरकार फ्री राशन देकर लोगों को लाचार और गुलाम बना रही हैं। उन्होंने सपा पर हमला करते हुए कहा कि उसके नेता अखिलेश यादव बार बार अपना गिरगिट की तरह अपना रंग और रुख बदलते रहते है उससे हमें सावधान रहने की ज़रूरत है।

बसपा प्रमुख ने कहा हमने 2002 में अकेले चुनाव लडा 100 सीटें आई थी 2007 में भी अपने दम पार चुनाव लड़ा तो पार्टी सत्ता में आई थी लेकिन पिछले कुछ चुनावों के दौरान EVM के जरिए धांधली हो रही है जिससे कही न कही हमारा भी नुकसान हुआ हैं।

मायावती के इस तरह पलटी मारने से कांग्रेस के प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है लेकिन मायावती हमेशा से ही अपनी अहमियत आगे रखते हुए फायदे वाली राजनीति में विश्वास रखती आई है उनके इस निर्णय से कि लोकसभा चुनाव के बाद फैसला लेंगे, उससे स्पष्ट होता है कि जिसके उनके सांसदों की जरूरत होगी वह अपनी शर्तो पर उसे साथ जायेंगी। लेकिन चर्चा यह भी है कि पिछले दिनों यूपी के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे बीएसपी को इंडिया गठबंधन में शामिल कराने के प्रयासों में लगे थे उनके कुछ बयान भी सामने आए थे। लेकिन बीएसपी के इंडिया के साथ जाने से बीजेपी को नुकसान होने की संभावना पैदा हो रही थी और उसका दलित वोट जाने का डर था, इससे कयास लगाए जा रहे है मायावती के अकेले मैदान में उतरने के फैसले के पीछे कही बीजेपी का तो कोई दबाव नहीं हैं? लेकिन इससे यह भी लगता है कि मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी 2024 में अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगी।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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