ग्वालियर/ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एवं एडीआर की तरफ से पैरवी कर रहे प्रशांत भूषण ने कहा कि इलेक्टोरल बांड के नाम पर विभिन्न कंपनियों से केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर रिश्वत ली है ।इसकी मनी ट्रेल अब सामने आ चुकी है। यह बात भी सामने आई है कि किस तरह से सरकारी एजेंसियों सीबीआई एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट और इनकम टैक्स विभाग का बेजा इस्तेमाल किया गया। जिन लोगों ने सरकारी दबाव में करोड़ों रुपए की इलेक्ट्रोल बांड के रूप में सत्तारुढ़ दल को रिश्वत दी वह जांच में निकल गया और सरकार से बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में सफल रहा ।इसमें सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने जो इलेक्टरल बॉन्ड से संबंधित दस्तावेज पेश किए हैं उसमें मनी ट्रेल साफ तौर पर नजर आ रही है ।
उन्होंने कहा कांग्रेस शासन में हुए 2G स्पेक्ट्रम और कोलगेट आवंटन को न्यायिक जांच के बाद इसलिए निरस्त किया गया था क्योंकि कोर्ट ने माना था कि अवैध रूप से इनका आवंटन किया गया था। जबकि इन मामलों में कोई मनी ट्रेल नहीं थी। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी कड़ी आपत्ति जताई, कहा कि जिस व्यक्ति ने सत्तारुढ़ दल को 64 करोड़ का चंदा दिया। उसे ईडी ने जमानत पर रिहा कराके सरकारी गवाह बना लिया और एक चुने हुए मुख्यमंत्री को सीखचों के पीछे पहुंचा दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि किस तरह से 25 में से 22 ऐसे राजनीतिक दल के नेता बीजेपी में आने के बाद एजेंसियों की जांच से बच गए जिनके खिलाफ गंभीर मामले चल रहे थे।
एक सवाल के जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि ईवीएम और वीवीपेट मशीन में चिप होती है इसे आसानी से हैक किया जा सकता है ऊपर से सरकार ने 2017 में वीवीपेट के शीशे को ट्रांसपेरेंट से ब्लैक कर दिया ।अब पर्ची दिखाई तो जरूर देती है लेकिन वह कहां जाती है इसका कुछ पता नहीं चलता है। यूरोप के जर्मनी जैसे विकासशील देश में भी ईवीएम को प्रतिबंधित कर दिया गया है और इसमें गड़बड़ी की कोर्ट ने व्यापक संभावना जताई थी। बांग्लादेश जैसे छोटे से देश ने भी ईवीएम को हटाकर भी बैलेट पेपर से चुनाव शुरू किए हैं। ऐसे में सरकार क्यों ईवीएम से ही चुनाव कराने पर आमादा है। इसकी जांच होनी चाहिए ।हालांकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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