ग्वालियर– रोकने के लिए डिजीटल डिग्री बनाए जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन ये महत्वपूर्ण निर्देश अब तक अमल में नहीं आ सके है। यही कारण है कि आए दिन फर्जी डिग्री और मार्कशीटो की घटनाए हो रही है। ये बात और है कि ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में डिजीटलाइजेशन को लेकर अब तक करीब तीन दर्जन बैठक हो चुकी है। अब यूनिवर्सिटी का कहना है कि 15 दिन में इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। फर्जी मार्कशीटों के रैकेट को ध्वस्त करने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी विश्वविधालयों को डिजिटल डिग्री देने के आदेश दिए थे। उच्च शिक्षा विभाग का मानना था कि कई जालसाज किसी भी विवि की डिग्री तैयार कर उच्चशिक्षा को चपत लगा रहे हैं।
वे अधिकारियों के सील साइन असली जैसे बनाकर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इस बात की पुष्टि समय-समय पर ग्वालियर के साथ भोपाल, इन्दौर में पकड़ी फर्जी मार्कशीटों से हुई हैं। जिसको लेकर छात्र संगठन आएं दिन यूनिवर्सिटी से लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे है। प्रदेश में ग्वालियर की जेयू, भोपाल की बीयू और इन्दौर की देवी अहिल्याबाई विवि की सैंकड़ों फर्जी मार्कशीट को पुलिस ने जब्त किया था। बावजूद इसके डिजीटल डिग्री को लेकर प्रदेश की कोई भी यूनिवर्सिटी आगे कदम नही बड़ा पायी है।
जबकि इस मामले में प्रदेश के सभी विश्वविधालयों की 38 से ज्यादा बैठक हो चुकी है। बावजूद इसके ग्वालियर का जीवाजी विश्वविधालय प्रबंधन कर रहा है कि वह डिजीटल देने के लिए काम कर रहा है। कुलपति संगीता शुक्ला का कहना है कि 15 दिन मे डिजीटलाइजेशन का काम पूरा कर लिया जाएगा।
इसमें डिजीटल लाउंज, मार्कशीट और डिग्री का डाटा को कम्प्यूटर से अटैच कर दो बडे हॅाल तैयार किए जा रहे है। सब कुछ ठीक रहा तो नए सत्र में छात्रों को डिजीटल डिग्री ही मिलेगी क्योकिं इसमें अंकित बारकोड से सिर्फ आधार नंबर डालकर छात्र का पूरा डाटा स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगा। वेरिफिकेशन के लिए आए दिन आने वाली मार्कशीटे और डिग्री भी यहां लाने की जरूरत नहीं होगी।