ग्वालियर- प्रदेश में पहली बार अश्व प्रजाति में पायी गई ग्लैडर्स नामक बीमारी अब गर्मी बढने के साथ लगभग समाप्ति की ओर है। लेकिन पशुपालन विभाग ने तीन घोडो में इस बीमारी के लक्षण पाये जाने के बाद उन्हें इंजेक्शन लगाकर मौत दे दी है। ग्लैडर्स नामक इस खतरनाक वायरस का अभी तक कोई इलाज नही निकला है दो माह पहले एक घोडे की संदिग्ध परिस्थितियो में मौत के बाद ग्वालियर नगरनिगम सीमा क्षेत्र से अश्व प्रजाती के करीब ढाई सौ मवेशियो के नमूने हरियाणा के हिसार प्रयोगशाला भेजे गये थे।इनमें सात घोडो में खतरनाक ग्लैडर्स पाये जाने की पुष्टि हुई थी।
खास बात ये है कि रिपोर्ट आने के पहले ही सात संक्रमित घोडो में से चार की मौत हो गई थी।तीन घोडो को पशुपालन विभाग ने वायरस के चलते इजेक्शन लगाकर उन्हें मौत दे दी।पशुपालको को इसके मुआवजे के तौर पर 25 -25 हजार रूपये की सहायता राशी दी गई है। गौरतलब है कि ये बीमारी मवेशियों के जरिए मनुष्यों तक पहुंच जाती है। जो उनके लिए जानलेवा साबित होती है। अभी तक इस बीमारी का कोई वेक्सीन नहीं बना है। इसलिए जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर जिले से अश्वप्रजाति के किसी भी मवेशी के लाने-लेजाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पशु विशेषज्ञ डॅा. ओपी त्रिपाठी कहते है कि तेज गर्मी के कारण ग्लैडर्स का वाइरस खत्म हो जाता है।
लेकिन विभाग के द्वारा इस प्रजाति के सभी मवेशियों पर निगाह रखी जा रही है। तीन घोडो को जिला प्रशासन की अनुमति के बाद मौत दे दी गई। खास बात ये है कि जिन घोडो को वाइरस पॅाजिटिव आने पर मौत का इंजेक्शन दिया गया। उन्हें देखने के बाद एक बारगी भरोसा ही नहीं होता था कि वे ग्लैडर्स बीमारी से संक्रमित हो चुके है।