बैंगलुरू / कर्नाटक के छह जोन में से 5 जोन में कांग्रेस ने बीजेपी को बुरी तरह मात दी और उससे सीटें छीन ली लेकिन एक जोन में कांग्रेस बीजेपी से पीछे रही यहां इसे नुकसान उठाना पड़ा खास बात है कांग्रेस की इस बड़ी जीत में अनुसूचित जाति जनजाति और लिंगायत मतदाताओं ने भी उसका खुलकर साथ दिया जिससे कांग्रेस बीजेपी के गढ़ में सैंध लगाने में कामयाब रही।
कर्नाटक के ओल्ड मैसूर में कांग्रेस को भारी सफलता हाथ लगी कुल 64 सीटों में कांग्रेस ने 43 सीटे जीती खास बात है पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस ने यहां बीजेपी से 11 और जेडीएस से 12 सीटें छीनी इस तरह उसने इस बेल्ट में इन दोनों पार्टियों की 23 सीटे अपने नाम कर बड़ी कामयाबी हासिल की। खास बात है यहां बोक्कालिंगा समुदाय निर्णायक है और उसके झुकाव ने कांग्रेस को यहां सफलता दिलाई।
दूसरे जोन मुंबई (महाराष्ट्र) कर्नाटक में कुल 50 विधानसभा सीटें है उनमें से कांग्रेस ने 33 सीटें जीती जबकि बीजेपी को 16 और जेडीएस को 1 सीट मिली यहां बीजेपी से कांग्रेस ने 14 और जेडीएस ने एक सीट छीनी और एक अन्य की अपने खाते में जोड़ी इस तरह इस बेल्ट में कांग्रेस को 5 सीटों का फायदा हुआ, बताया जाता है 2008 में यहां का लिंगायत वोटर्स येदियुरप्पा से जुड़ा और उसने उस समय बीजेपी को 36 सीटें दी थी लेकिन साफ है कि येदी को तबाज्जो ना मिलने से यह लिंगायत वोट बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस के पाले में चला गया।
तीसरा जोन कोस्टल कर्नाटक कभी बीजेपी का गढ़ कहलाता था लेकिन यहां की कुल 19 सीटों में से कांग्रेस ने 6 सीटें जीती जिसमे उसने 3 सीटें बीजेपी से ले ली बीजेपी को यहां 13 सीटें मिली है खास बात है इस हिंदू बाहुल्य वाले इलाके में हिजाब मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे फेल रहे और बीजेपी को 3 सीटों का नुकसान हुआ।
चौथे जोन मध्य कर्नाटक बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है यहां की कुल 23 सीटों में से कांग्रेस ने इस बार 15 सीटें जीती जबकि पिछली बार उसने सिर्फ 4 सीटें जीती थी इन 11 में से उसने 10 सीटें बीजेपी से और 1 सीट जेडीएस से छीन ली बीजेपी को इस चुनाव में 6 और जेडीएस को 1 सीट मिली है। खास बात है यह बेल्ट लिंगायत एससी और एसटी के बेल्ट है जिसमें कांग्रेस ने सीधी सीधी सैंध लगाने का काम कर डाला 11 सीटें ज्यादा जीती।
हैदराबाद कर्नाटक जो पांचवां जोन है उसमें कुल 40 विधानसभाएं है यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ है यहां इस बार कांग्रेस ने रिकार्ड बनाया और 40 में से 26 सीटें जीती और उसने 5 सीटें अधिक जीती जो सभी बीजेपी की थी कांग्रेस ने यहां 2013 में 23 और 2018 में 21 सीटें जीती थी तीसरी बार उसने आधे से अधिक 26 सीटें जीतकर हैट्रिक बना डाली।
बैंगलुरू सिटी छठा जोन जो अरबन इलाका कहलाता है वहां 28 विधानसभा सीटें है यहां बीजेपी आगे रही है बीजेपी को यहां 15 सीटें मिली जबकि कांग्रेस को 13 सीटें मिली है बीजेपी को 2018 में 11 सीटें मिली थी लेकिन इस बार उसे 4 सीटें अधिक मिली जिसमें से 2 कांग्रेस से और 2 जेडीएस से छीनी है। जैसा कि इस शहरी क्षेत्र का वोट प्रतिशत कम रहा था जिसका लाभ बीजेपी को मिला।
कर्नाटक में लिंगायत (17 %) और वोक्कालिंगा (14%) वोट को निर्णायक माना जाता है जिसमें से लिंगायत बीजेपी का कोर वोट कहलाता है लेकिन चुनाव से पहले कर्नाटक में राजनीतिक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि कांग्रेस को फायदा और बीजेपी को बड़ा घाटा हुआ। कर्नाटक में बीजेपी के पास लिंगायट समाज पर सबसे अधिक पकड़ राखने वाले नेता बीएस येदियुरप्पा है जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और डिप्टी सीएम रहे लक्ष्मण सावदी लिंगायत समाज से आते है उनमें से बीजेपी ने येदियुरप्पा को अलग थलग कर दिया और शेट्टार और सावदी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया और दोनों बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। जबकि बोम्मई की लिंगायत समाज में कोई खास पैठ नहीं थी इस सबके चलते लिंगायत वोट बैंक बीजेपी से बुरी तरह नाराज हो गया और उसे छोड़कर उसने इन चुनावों में कांग्रेस का साथ दिया इस तरह लिंगायत की नाराजगी कर्नाटक में बीजेपी का किला ढहने का बड़ा एक बड़ा कारण बनी।