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महाराजा की किलेबंदी तहस नहस करने कांग्रेस ने लिया एक किशोर का सहारा

  • महाराजा की किलेबंदी तहस नहस करने कांग्रेस ने लिया एक किशोर का सहारा

भोपाल -ग्वालियर(अलकेन्द्र सहाय)–कांग्रेस के हाथ से 15 साल बाद मिली सत्ता सिर्फ 15 महीनों में चली गई लगता है इसका उसे काफी मलाल हैं कि समय रहते वह अपना आंगन सम्हाल नही पाई और अपनो की बजह से ही उंसके हाथ से यह सत्ता फिसल गई लेकिन लगता है अब प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों पर उसका अभी से पूरा फोकस है।

यही बजह है वह एक ऐसे रणनीतिकार का सहारा ले रही है जिसने नरेंद्र मोदी को 2014 में केंद्र की सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। जैसा कि इन 24 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल की हैं जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का बर्चस्व हैं और यह सभी सीटे उनके प्रभाव क्षेत्र की समझी जाती हैं।

और साफ हैं कि उन्हें घेरे बिना इन सीटों को कांग्रेस को अपने पाले में लाना असंभव नही तो मुश्किल जरूर हैं। यही बजह हैं कांग्रेस अब पीके नाम की दूर की कौड़ी लेकर आई हैं। जिसको कांग्रेस ने सिंधिया की राजनीतिक किलेबंदी तहस नहस करने का जिम्मा दिया हैं।

ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों की 34 सीटों में से 26 विधानसभा सीटों पर 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने फतह हासिल की थी जिसमें कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव काफी कारगर साबित हुआ था लेकिंन समय बदला राजनीति बदली आज सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपाई हो गये हैं।

और उनके समर्थन में जो 16 विधायक इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे उन सीटों पर अब उपचुनाव होना हैं जो कांग्रेस के लिये बदला चुकाने का वक्त हैं और वह औऱ इसके लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार दिखती हैं।

कांग्रेस इन उपचुनावों में ग्वालियर चंबल से बिगुल फूंकने की फिराक में है यही बजह है भोपाल की बजाय उंसने ग्वालियर को इन चुनाव का केंद्र बनाते हुए यहां बार रूम बनाने का फैसला लिया हैं।

ग्वालियर से वह इन उपचुनाव का नेतृत्व ही नही करेगी बल्कि बीजेपी और इस अंचल के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को धराशाई करने की कारगर रणनीति भी बनाएगी यानि सिंधिया को उनके ही गढ़ में राजनीतिक पटकनी देने के लिये कांग्रेस पूरी तैयारी में दिखती हैं और उसकी कमान वह देने जा रही हैं।

कुशल रणनीतिकार प्रशांत किशोर को, यह वही पीके है जो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रणनीतिकार थे और नरेंद्र मोदी को सत्ता तक पहुँचाया इसके साथ ही बिहार में नितीश कुमार और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को भी फिर से सत्ता पर क़ाबिज कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

साफ हैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कोई मौका चूकना नही चाहते क्योंकि कांग्रेस के जिस नेता का सबसे अधिक राजनीतिक नुकसान हुआ उसमें एक ही नाम है वह हैं कमलनाथ का।

जबकि अध्यक्ष होने के नाते उनकी जिम्मेदारी भी हैं कि जल्द होने वाले विधानसभा उपचुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करें और बीजेपी और सिंधिया को उनके ही घर में पराजित कर फिर से प्रदेश की सत्ता हासिल कर इन्हें सबक सिखाये।

यही बजह हैं कि कांग्रेस और कमलनाथ का एक सूत्रीय कार्यक्रम हैं कि ग्वालियर चम्बल की 16 सीटों पर जीत हासिल करना और इसके लिये सिंधिया को घेरना और उनके बर्चस्व को डेमेज करना जरूरी है और यह एक सुनियोजित रणनीति के जरिये ही हो सकता हैं और कमलनाथ उसी लाइन पर चल रहे हैं इसी कड़ी में प्रशान्त किशोर को ग्वालियर लाया जा रहा हैं।

जल्द ग्वालियर में ही कमलनाथ और कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता डेरा डालेंगे यह भी जानकारी सामने आई हैं। इस तरह जहां तक कांग्रेस का सबाल है ग्वालियर इन उपचुनावों का केंद्र बनने वाला है।

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