ग्वालियर- खनिज साधन विभाग ने मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम-1996 में संशोधन किया है। संशोधन गत 18 मई से मध्यप्रदेश में लागू हो गया है। संशोधन के बाद प्रदेश में गौण खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन की रोकथाम पर और अधिक प्रभावी ढंग से कार्रवाई हो सकेगी। मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम में अवैध उत्खनन, परिवहन के प्रकरणों में समझौता राशि वसूल कर प्रशमन किये जाने के प्रावधान थे। यदि आरोपी द्वारा प्रशमन के लिये सहमति नहीं दी जाती थी, तब उसे संबंधित जिला कलेक्टर नियमों के तहत दण्डित नहीं कर सकते थे।
खनिज साधन विभाग द्वारा नियमों में किये गये संशोधन के बाद खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के प्रकरणों में दण्ड दिये जाने के अधिकार कलेक्टर को दिये गये हैं।संशोधन के बाद अवैध उत्खनन, परिवहन के प्रकरणों में पहली बार प्रकरण प्रकाश में आने पर अवैध रूप से उत्खनित अथवा परिवहित खनिज की प्रचलित रॉयल्टी का 30 गुना, दूसरी बार रॉयल्टी का 40 गुना, तीसरी बार रॉयल्टी का 50 गुना और चैथी बार रॉयल्टी का 70 गुना दण्ड अधिरोपित किया जा सकेगा। इसी प्रकार अवैध उत्खनन एवं परिवहन के प्रकरणों में समझौते किये जाने के प्रावधान किये गये हैं। पहली बार प्रकरण प्रकाश में आने पर रॉयल्टी का 25 गुना, दूसरी बार रॉयल्टी का 35 गुना, तीसरी बार रॉयल्टी का 45 गुना एवं चैथी बार रॉयल्टी का 65 गुना तक की राशि प्रशमन के लिये प्रावधानित की गयी है।
पूर्व की व्यवस्था में बाजार मूल्य के मान से दण्ड किये जाने के प्रावधान थे। बाजार मूल्य अलग-अलग जिलों में अलग-अलग होता था, जिसके कारण एक ही खनिज पर अलग-अलग राशि का अर्थदण्ड आरोपित होता था, इस विसंगति को समाप्त कर दण्ड एवं प्रशमन में आरोपित राशि में एकरूपता होगी। संशोधित नियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि गौण खनिजों के खदानधारकों द्वारा यदि खदान क्षेत्र में अवैधानिक रूप से परिवहन किया जाता है, तब स्वीकृत खदान में खनन कार्य निलंबित करने और ऐसे परिवहन खनिज पर अतिरिक्त रॉयल्टी वसूल करने का अधिकार अब कलेक्टर्स को दिया गया है।