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मणिपुर मामला, सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल नही दे पाएं सवालों का जवाब, सीजेआई ने डीजीपी को जानकारी के साथ तलब किया

Supreme-Court
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नई दिल्ली/ मणिपुर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पूछे गए सबालो का सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता कोई पुख्ता जवाब नहीं दे पाए साफ था मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार की गलत कारगुजारियों का वह जवाब भी क्या देते। अब सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को दोपहर 2 बजे होने वाली सुनवाई में प्रदेश के डीजीपी को पूरी तैयारी के साथ तलब किया है।

मणिपुर में हिंसा के दौरान 19 जुलाई को दो महिलाओं के अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि केंद्र और राज्य सरकार इस गंभीर मामले पर ठोस कार्यवाही नही करती तो सुप्रीम कोर्ट खुद इस गंभीर मामले में संज्ञान लेगा। इस बीच पीड़ित दोनों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और न्याय देने की मांग सीजेआई से की। एससी ने 31 जुलाई को इस मामले की सुनवाई की थी और 31 जुलाई को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने मणिपुर सरकार का पक्ष रखने के लिए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। जबकि पीड़ित महिलाओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पैरवी की।

सीजेआई ने उनसे सवाल किया कि 4 मई को महिलाओं के साथ अश्लील हरकतों के साथ गैंगरेप हुआ, 18 मई को जीरो पर एफआईआर हुई, वह एक महीने बाद 20 जून को जुडीशियल मजिस्ट्रेट के पास पहुंची उसे एक महिना क्यों लगा साफ है जबाव दे जांच की गति काफी धीमी है सीजेआई ने कहा कितनी एफआईआर दर्ज हुई उनका वर्गीकरण करें कि कितनी रेप की है कितनी हत्या की है कितनी लूट और आगजनी की घटनाएं है। और इस स्थिति से निबटने और शांति स्थापना के लिए मणिपुर सरकार ने क्या कदम उठाएं।

सीजेआई के इन सबालों के जवाब में सॉलीसीटर का सिलसिलेवार जबाव था कुल 3 मई से अब तक कुल 6532 एफआईआर दर्ज हुई है इसमें कोन सी एफआईआर किस प्रकरण की है इसका अलग अलग डेटा नही है उन्होंने माना कि घटनाएं हुई है लेकिन इसकी अलग अलग जानकारी नहीं है हमारे पास समय कम था रात को ही रिपोर्ट तैयार की गई है उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ दर्ज 11 संगीन मामले दर्ज है इनकी जांच सीबीआई को देने की मांग तुषार मेहता ने की। जब सीजेआई ने सॉलीसीटर जनरल से जीरो एफआईआर की जानकारी मांगी कि कितनी है तो वह जीरो एफआईआर कैसे और कब दर्ज होती है उसकी जानकारी देने लगे इस तरह एसजे पर सीजेआई के पूछे गए सवालों का कोई ठोस जवाब नही था साफ है मणिपुर सरकार के साथ उनकी काफी छीछा लेदर हुई उन्होंने उसके लिए आगे वक्त की मांग जरूर की।

सीजेआई ने कहा 20 जुलाई को पीड़ित महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्याय की मांग की इस बीच आपके पास करीब 11 दिन का समय था उसके बावजूद आप पूरी तैयारी के साथ नही आएं। सीजेआई ने सवाल उठाया कि सभी फेक्ट मीडिया पर है लेकिन ताज्जुब है कि सरकार के पास कोई फेक्ट नही है उसपर अभी नहीं जाते कि पुलिस का क्या रोल रहा यह केस अन्य या निर्भया केस जैसा नहीं है क्योंकि पता चला है कि पहले तीन महिलाओ को उत्पीड़ित किया गया बाद में उनमें से दो महिलाओं को खुद पुलिस ने भीड़ जो सौप दिया। जिनके साथ यौन उत्पीडन के साथ सामूहिक गैंगरेप किया गया।

सुनवाई के बीच सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सारंगी स्वराज जो बीजेपी नेता स्व सुषमा स्वराज की बेटी है उन्होंने प्रावेंशन एप्लीकेशन के माध्यम से हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी उन्होंने कहा कि मणिपुर को तूल दिया जा रहा है लेकिन इसी तरह की घटनाएं राजस्थान पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी हो रही है उनपर भी तो सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए तो उसके जवाब में सीजेआई श्री चंद्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर की घटना सामान्य से परे हैं ऐसी घटनाएं देश में आज तक नहीं हुई यह बिल्कुल अलग है इसे यह कहकर जस्टीफॉय नही कर सकते कि ऐसी घटनाएं और प्रदेशों में भी हो रही है इसे निर्भया जैसे मामले से भी नही जोड़ा जा सकता यदि वहां कुछ नही हो रहा तो क्या आप यह कहना चाहती है कि मै सभी महिलाओं की रक्षा करू या फिर सभी घटनाओं को छोड़ने के साथ मणिपुर को भी छोड़ दू ऐसा नहीं हो सकता अन्य घटनाओं को आप बाद में भी उठा सकती है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि हमें ऐसा मेकनिज्म (प्रणाली) बनाना है जिससे इन महिलाओं को न्याय मिले और और मणिपुर हिंसा और उत्पीड़न का समाधान निकले।

वहीं सरकार का पक्ष रखते हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कुकी समुदाय के नशीले पदार्थो की तस्करी (ड्रग) में लिप्त होने का जब मामला उठाया तो एससी ने कहा हम इन पर कोई बात नही करेंगे हम सिर्फ मणिपुर हिंसा मौत गैंगरेप आगजनी जैसी घटनाओं पर ही फोकस करेंगे।

इस दौरान दोनों पीड़ित महिलाओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी करते हुए कहा कि पीड़ित चाहते है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर नहीं भेजा जाएं उन्होंने सीबीआई जांच का खुलकर विरोध किया उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच से पूरा मामला ही भटक जायेगा। हमें इसकी जांच पर कड़ा ऐतराज है। जबकि कुकी समुदाय के अधिवक्ता कोलविन गुंजालविस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा इस पूरे मामले की जांच रिटायर्ड डीजीपी के नेतृत्व में नियुक्त एसआईटी से कराई जाए। जबकि तमाम पीड़ित महिलाओं की वकील इंदिरा जयसिंह ने सुनवाई के दौरान कहा इस मामले की जांच के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित कर उससे कराई जाएं जिसमें जानकार एवं प्रबुद्ध महिलाओं को भी शामिल किया जाएं।

जैसा कि मणिपुर पिछले 89 दिनों से जल रहा है 3 मई से मैतईं और कुकी नगा के बीच आपसी टकराव की शुरूआत हुई जो हिंसा और आगजनी में बदल गई इस दौरान तीन से साढ़े तीन हजार हथियार जिसमें राइफल और बंदूके शामिल थी इन उपद्रवियों को मिल गए जो पुलिस के हथियार थे पुलिस कहती है वह इन्होंने लूट लिए जबकि सच्चाई यह है कि मैतई समाज के पुलिस कर्मियों ने अपने समाज के लोगों को और कुकी समाज के पुलिस वालो ने कुकी समुदाय को अपने हथियार स्वेच्छा से सौप दिए। इनके साथ करीब 6 हजार कारतूस भी उपद्रवियों को पुलिस कर्मियों ने दे दिए।

इस हिंसा में अभी तक 165 लोगों की मौत हो गई 3 हजार लोग घायल हो गए करीब 70 हजार लोग बेघर हो गए जो अपना सब कुछ छोड़कर अपने परिवार और बच्चों के साथ सरकारी राहत कैंपों में रह रहे है। 200 चर्च फूंक दिए गए जबकि 17 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। बड़ी बात यह भी है कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और उनकी सरकार कुकी और नगा समुदाय का पूरा विश्वास खो चुकी हैं।

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