- हरियाणा में किसकी सरकार, बदलाव की लहर?
- बीजेपी का गिरता, कांग्रेस का बड़ता ग्राफ क्या दर्शाता है? जाट वोट बैंक दिखाता है जीत की दिशा
- अभी तक के राजनीतिक परिदृश्य पर एक विश्लेषण …
चंडीगढ़/ हरियाणा में शोर थम गया है और बिसात बिछ गई है यहां 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का मतदान हो चुका है लेकिन उससे पहले कांग्रेस बीजेपी सहित सभी राजनेतिक दलों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा जोर लगाया, और वह अपनी अपनी जीत के दावे भी कर रहे है तो कोई कह रहा है हमारे समर्थन के बिना सरकार नहीं बन रही। लेकिन बताते है कि हरियाणा का गणित और यहां के लोगों का स्वभाव कुछ अलहदा ही हैं यहां पहले से ही जो मन बना लेते हैं और उसी पर अपनी मुहर भी लगाते है लेकिन पिछले दो विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में यहां के मतदाताओं ने राजनेतिक पार्टियों के साथ क्या सलूक किया और उसके आंकड़े क्या परिलक्षित करते है यह देखना भी जरूरी है साथ ही आज यहां का मतदाता क्या चाहता है क्या सोचता है उसके क्या मुद्दे है यह भी बड़ा सबाल है साथ ही जातिगत समीकरण क्या कहते है यह भी अहम है। ऊट किस करवट बैठेगा यह 8 अक्टूबर को ही पता चलेगा जब नतीजे सामने आयेंगे। लेकिन उससे पहले हरियाणा की दशा और दिशा पर एक नजर डालते है।
जैसा कि हरियाणा में 2014 और 2019 में लगातार बीजेपी ने सरकार बनाई लेकिन उसको पहली सफलता अपने दम पर मिली लेकिन दूसरी बार उसे एक प्रादेशिक पार्टी जेजेपी का सहारा लेना पड़ा। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले करीब 4 साल 118 दिन बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदल दिया और मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन लोकसभा चुनाव में परिणाम उसके फेवर में नहीं रहा और 2919 में पूरी 10 सीट जीतकर क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी आधे यानि 5 सीट पर आ गई 5 सीट कांग्रेस ले गई जो बीजेपी का हरियाणा में बर्चस्व में कमी का बड़ा उदाहरण समझा जा सकता है।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान हो चुका है अब लोगों को 8 अक्टूबर का इंतजार है जब नतीजे आएंगे। लेकिन यदि 2014 के नतीजों पर नजर डाली जाए तो बीजेपी ने 33.2 वोट शेयर के साथ 90 में से 47 सीटें हासिल की और अपने बलबूते सरकार बनाई लेकिन 2019 में 36.5 वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीत सकी और सरकार बनाने के लिए उसे जेजेपी का समर्थन लेना पड़ा। पहले जहां कई पार्टियां मैदान में अपना प्रभाव रखती थी लेकिन इस बार 2024 के चुनाव बाय पोलर हो गए लगते है और बीजेपी का सीधा सीधा कांग्रेस से मुकाबला है जिससे नतीजों में भारी फेर बदल के आसार साफ साफ नजर आ रहे है यानि इन दोनो पार्टियों के बीच हार जीत तय होगी बाकी पार्टियों को हरियाणा की जनता लगभग नकार देगी।
विधानसभा — कुल सीट 90
- 2014 नतीजे। 2019 नतीजे
- पार्टी जीत वोट शेयर जीत वोट शेयर
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बीजेपी 47 33.2% 40 36.5%
कांग्रेस 15 20.6% 31 28.1%
INLD 19 24.1% 01 2.4%
JJP 00 6.0% 10 24.8%
अन्य 04 11.5% 01 8.4%
निर्दलीय 05 10.6% 07 9.7%
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जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुत जोरदार प्रदर्शन किया था और उसने अभूतपूर्व 58.2 फीसदी वोट शेयर के साथ हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीट जीती और क्लीन स्वीप किया लेकिन हाल के 2024 के चुनाव में यह तस्वीर बदल गई और बीजेपी का वोट शेयर घटा और 46.1 फीसदी वोट शेयर के साथ वह 10 में से केवल आधी सीट यानि 5 पर ही जीत हासिल कर पाई और पिछले 2019 के चुनाव में शून्य पर रही कांग्रेस जिसका वोट शेयर 28.5 फीसदी था 2024 के लोकसभा चुनाव में 43.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 5 सीट जीतकर ले गई और बाकी पोल्टिकल पार्टी भी कोई सीट नहीं जीत सकी और उनके लिए यह चुनाव बेमानी साबित हुए।
लोकसभा — 10 सीट
- 2019 के नतीजे 2024 के नतीजे
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पार्टी जीत वोट शेयर जीत वोट शेयर
बीजेपी 10 58.2% 5 46.1%
कांग्रेस 00 28.5% 5 43.7%
आप 00 0.4% 0 3.9%
जेजेपी 00 4.9% 0 0.7%
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हरियाणा में 5 रीजन आते है उनमें 2019 में क्या स्थिति राजनेतिक पार्टियों की रही नजर डालते है …
- रीजन कुल बीजेपी कांग्रेस अन्य
जाटसिंख लैंड 20 6 4 10
अहिरवार 10 6. 2 2
अंबाला डिवीजन 18 9 6 3
जाट लैंड 29 15 2 2
मैवात NCR 13 7 4 2
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यदि हरियाणा के जातिगत समीकरण को जानना है तो यहां 33 फीसदी आबादी जाट की है जबकि 21 फीसदी दलित वोट है बाकी में पिछड़े और गैर जाट आते है यदि कोई पार्टी जाट और दलितों को साध ले तो उसकी सरकार बनने की संभावना प्रबल हो जाती है। किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के साथ हुए प्रकरण से जाट बीजेपी से नाराज था तो इस बार के चुनाव में बीजेपी ने पिछड़ों, दलितों और गैर जाट वोट बैंक पर ज्यादा फोकस किया जबकि कांग्रेस ने जाट और दलितों को साधा।
इस चुनाव में INLD ( इनेलो) के साथ बीएसपी का गठबंधन था तो जेजेपी का चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी से गठजोड़ था जबकि कांग्रेस और बीजेपी स्वतंत्र होकर चुनाव में उतरे थे वहीं हरियाणा में निर्दलीय भी बड़ा फैक्टर रहा है। चुनाव प्रचार की बात करें तो बीजेपी कांग्रेस सहित सभी ने अपनी पूरी ताकत झौंकी। बीजेपी के प्रमुख चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां 4 रैली और सभाएं हुई जबकि अमित शाह और जेपी नड्डा ने भी सभाएं की इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मप्र के सीएम डॉक्टर मोहन यादव और असम के सीएम हैमंता बिस्वा सरमा ने भी यहां चुनावी रैलियां की इसके अलावा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अपने हिसाब से जुटे रहे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर मोदी की रैलियों और प्रमुख कार्यक्रमों से गायब से रहे।जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हरियाणा में 4 रैली सहित 9 जगह स्पीच हुई इसमें उनकी 4 दिन की संकल्प यात्रा भी शामिल है वही प्रियंका गांधी ने 2 रैली और एक राहुल के साथ रोड शो किया अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2 सभाएं की। इसके अलावा हिमाचल के सीएम सुखबिंदर सिंह सुख्खू सहित कई पूर्व मुख्यमंत्रियों की यहां सभाएं हुई। वहीं भूपेंद्र हुड्डा रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा ने भी कई छोटी बड़ी रैलियां की। इस बीच कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा की नाराजी और उन्हें मनाने की खबरें भी आम रही। बीजेपी ने इसे दलितों के पक्ष में भुनाने की कोशिश भी की अब यह अलहदा प्रश्न है वह कारगार साबित नहीं हुई।
खास बात है 2014 का चुनाव त्रिकोणीय था जिसमें बीजेपी कांग्रेस के अलावा INLD पूरे ताकत के साथ मैदान में थे। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ 10 साल की एंटीइंकमबेंसी भी जुड़ी थी जबकि 2019 का चुनाव कांग्रेस बीजेपी के साथ कुछ हद तक जेजेपी के बीच हुआ जो काफी हद तक त्रिकोणीय नही तो असरकारक तो रहा इस तरह 2014 में बीजेपी को कांग्रेस से नाराजी का सीधा सीधा लाभ मिला और 2019 में भी काफी हद तक बीजेपी खुद को अन्य पार्टियों से ऊपर रखने में कामयाब रही और 40 सीट के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी बनी और जेजेपी (10 सीट) के साथ मिलकर उसने दुबारा मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में सरकार बनाई। लेकिन इस बार 2024 में लगता है बीजेपी के सारे समीकरण गड़बड़ा गए है इसके साथ 10 साल की एंटीअंकमबेंसी भी जुड़ गई है।
यदि हरियाणा में मुद्दों की बात की जाए तो नौजवान किसान पहलवान और संविधान तो थे ही बल्कि मंहगाई भी बड़ा मुद्दा थी कांग्रेस ने इस भुनाने का पुरजोर प्रयास भी किया। बीजेपी ने किसान सम्मान निधि में इजाफे और अग्निवीर योजना में राहत देने की बात कर उसे डाल्यूड करने का प्रयास किया। लेकिन कांग्रेस ने उसे खूब हवा दी। साथ ही दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र के जरिए सस्ता गैस सिलेंडर देने के साथ कई योजनाओं का पिटारा भी खोल दिया था।
हरियाणा में चाहे 90 सीट हो लेकिन यहां का चुनाव और जम्मू कश्मीर का चुनाव और इसकी हार जीत नेशनल पॉलिटिक्स में बड़ी भूमिका का निर्वाहन करेगी ऐसा राजनेतिक विशेषज्ञों का मत है कहा यह भी जाता है हरियाणा के चुनाव परिणाम केंद्र की राजनीति में हमेशा से अहम भूमिका निभाते आए है इन चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड राज्य के चुनाव होना है उसके बाद दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे इस तरह 2025 तक इन सभी राज्यों के चुनाव सम्पन्न हो जायेंगे लेकिन हरियाणा के चुनाव परिणाम आगे क्या रंगत दिखाते है और इसका प्रभाव क्या महाराष्ट्र और झारखंड के होने वाले चुनावों में पड़ेगा और कोई बड़ी राजनेतिक तब्दीली आयेंगी और यह कोन सी राजनीति की राह प्रशस्त करेगा और आगे क्या इंडिया ब्लॉक की राजनीति आगे बड़ेगी या फिर बीजेपी और एनडीए को नई शक्ति मिलेगी ..? इस तरह के काफी सबाल उठ रहे है कुल मिलाकर यह चुनाव आगे की राजनीति की नई दिशा तय कर सकते है ऐसा राजनेतिक जानकारी का कहना हैं।