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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे, अमेरिकी संसद को भी करेंगे संबोधित

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न्यूयार्क / भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार देर रात अमेरिका पहुंच गए है पीएम मोदी की तीन दिवसीय यात्रा दोनों देशों के बीच मैत्री और कूटनीतिक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण है इस दौरान वे अमेरिकी संसद को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह अमेरिका का पहला राजकीय दौरा हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार देर रात अमेरिका के जॉन केनेडी एयरपोर्ट पर उतरे और उनका रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत किया गया और अमेरिका के चीफ प्रोटोकॉल अधिकारी रूफस गिफर्ड, यूएन में भारतीय राजदूत रुभिरा कंबोज और अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने उनको रिसीव किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून को न्यूयार्क में आयोजित योग दिवस कार्यक्रम में शाम साढ़े पांच बजे हिस्सा लिया। 22 जून को पीएम नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी तदोपरांत पीएम मोदी अमेरिकी संसद को संबोधित करेंगे इसके अलावा ओवर हाउस में दोनों देशों के बीच वार्ता होगी। जबकि 23 जून को मोदी के सम्मान में व्हाइट हाउस में स्टेट डिनर होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंत्रियों का एक दल सहित ट्रेड डेलीगेशन भी अमेरिका में रहेगा डेलीगेशन में अलग अलग सेक्टर के जैसे डिफेंस आईटी एविएशन और आर्टी फिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े विशेष लोग भी होंगे। जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत ढोबाल का अमेरिका जाना भी निश्चित माना जा रहा हैं। इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस टेक्नोलोजी स्ट्रेटेनिक और बिजनेस डील होंगी साथ ही प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कंपनियों CEO’s से भी मुलाकात करेंगे।

खास बात है नरेंद्र मोदी वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे जिनकी मेजबानी अमरीका के तीन राष्ट्रपतियों (बराक ओबामा डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन) ने की हो। इसके अलावा मोदी पूर्व ब्रिटिश पीएम विंटन चर्चिल दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेस्की की तरह अमेरिकी कांग्रेस के सत्र को एक से ज्यादा बार संबोधित करेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी से पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरू देश की आजादी के बाद सन 1949 में, प्रधानमंत्री राजीव गांधी 13 जुलाई 1985 में, पीवी नरसिम्हाराव 18 मई 1994 को, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई 14 सितंबर 2000 में, और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 19 जुलाई 2005 को अमेरिकी संसद को संबोधित कर चुके है। अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर मोदी की मौजूदगी में एक रिकार्ड बना करीब 100 से अधिक देशों के लोगों ने एकसाथ योग किया।

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अमेरिकाविदेश

विख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर हमला, हालत गंभीर, वेंटीलेटर पर, “द सेंटेनिक वर्सेज” किताब से आए विवादों में

Salman Rushdi

न्यूयार्क / अमेरिका के न्यूयार्क में एक लाइव कार्यक्रम के दौरान हमले में घायल सुप्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी की हालत गंभीर बनी हुई है और पिछले 12 घंटे से वे वेंटीलेटर पर है डाक्टरों के मुताबिक उनकी एक आंख खराब होने का खतरा भी पैदा हो गया है। जैसा कि रुश्दी अपने एक उपन्यास “द सेटेनिक वर्सेज” से विवादों में आए थे और 33 साल पहले ईरान के एक धार्मिक नेता ने उन्हें जान से मारने का फतवा जारी किया था।

12 अगस्त को न्यूयार्क में एक कार्यक्रम में शामिल सलमान रुश्दी जब मंच की ओर बढ़ रहे थे तभी एक 24 वर्षीय युवक हादी मातन एकाएक मंच की लपका और उसने उनपर चाकुओं से हमला कर दिया था और उनके शरीर पर उसने इस धारदार हथियार से 10 से 15 बार किए जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए इस बीच वहां मोजूद लोग दौड़े आए और बाद में जख्मी रुश्दी को एयर लिफ्ट कर एक अस्पताल में भर्ती कराया गया । बताया जाता है उनकी हालत गंभीर है और पिछले 12 घंटे से वह वेंटीलेटर पर है उनकी चिकित्सा कर रहे डाक्टरों के मुताबिक उनकी एक आंख का खराब हो जाने का खतरा भी है। जबकि पुलिस ने हमलावर हादी मातन को गिरफ्तार कर लिया हैं।

सन 1988 में सलमान रुश्दी ने द सेंटेलिक वर्सेज नाम की किताब लिखी थी सेंटेलिक वर्सेज का हिंदी अर्थ होता है शैतान की आयतें जिससे इनपर पैगंबर की बेअदबी का आरोप लगा और लोगो ने इस किताब को लेकर गहरी आपत्ति जताई इस दौरान 1989 में ईरान के इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला खुमेनी ने उनके खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था।

जबकि 3 अगस्त 1989 को सेंट्रल लंदन के एक होटल RDX से विस्फोट करके सलमान रुश्दी को मारने की कोशिश हुई लेकिन वह बाल बाल बच गए हुआ यू कि एक युवक मानव बम बनके होटल में दाखिल हुआ था और उसने विस्फोट कर रुश्दी को उड़ाने की नाकाम कोशिश की थी। लेकिन 10 साल बाद 1998 में ईरान की सरकार ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अब वह सलमान रुश्दी की मौत का समर्थन नहीं करते।

लंदन की घटना के बाद रुश्दी गोपनीय तरीके से पुलिस के संरक्षण में जिंदगी गुजारने लगे लेकिन इस बीच 2006 में हिजबुल्ला आतंकी संगठन के प्रमुख ने कहा कि सलमान रुश्दी ने ईश निंदा की है और उसका बदला लेने के लिए करोड़ों मुस्लिम तैयार है। वहीं 2010 में आतंकी संगठन अलकायदा ने जो हिट लिस्ट जारी की उसमें भी रुश्दी का नाम शामिल था और उन्हे इस्लाम धर्म के अपमान पर मारने की बात कही गई थी।

इन दिनों सलमान रुश्दी न्यूयार्क सिटी में पहले से ज्यादा आराम और आजाद जिंदगी जी रहे थे जबकि 2019 में वे अपने एक नोबल को प्रमोट करने के लिए मेनहटन के एक प्राइवेट क्लब में खुदाई दिए जहां वे काफी खुलकर बात करते नजर आए और डिनर में भी शामिल हुए।

द सेंटेनिक वर्सेज किताब के विवाद में अभी तक 59 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें इस किताब के प्रकाशक और उसका दूसरी भाषा में अनुवाद करने वाले लोग भी शामिल हैं।

सलमान रुश्दी का जन्म मुंबई में 19 जून 1947 को हुआ था उनका परिवार कश्मीरी मुस्लिम था इनके जन्म के बाद इनका परिवार ब्रिटेन शिफ्ट हो गया और भारतीय मूल के रुश्दी ने अपनी स्कूली शिक्षा इंगलैंड के रग्बी स्कूल में और आगे की पढ़ाई केब्रीज विश्वविद्यालय में पूरी की 1968 में हिस्ट्री में एमए किया 1970 में विज्ञापन एजेंसी में राइटर की नोकरी की।

सलमान रुश्दी की लिखी अभी तक 30 किताबे आ चुकी है 1975 में उन्होंने पहली किताब ग्राईमस लिखी उनके दूसरे उपन्यास मिड नाइट्स चिल्ड्रन के लिए उन्हें 1981 में बुकर और 1983 में बेस्ट ऑफ द बुकर्स पुरुष्कार से सम्मानित किया गया था।

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चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी संसद की स्पीकर नेंसी ताइवान पहुंची, चीन अमेरिका के बीच टकराव की नौबत

Nancy Pelosi

वाशिंगटन/ ताइपे/ अमेरिकन प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नेंसी पेलोसी आज रात सकुशल ताइवान पहुंच गई। इस दौरान अमेरिका ने चीन की चेतावनी के मद्देनजर अपनी स्पीकर की सुरक्षा के भारी इंतजामात किए थे। खास बात है चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि के ताइवान पहुंचने पर चीन का गरूर जरूर टूट गया।

ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है जिसके कारण वह नहीं चाहता कि कोई दूसरे देश का उसमें कोई हस्तक्षेप हो या किसी अन्य देश का कोई जनप्रतिनिधि बिना उसकी मर्जी के ताइवान में दाखिल हो लेकिन अमेरिका ताइवान को एशिया का एक स्वतंत्र देश मानता है और ताइवान भी खुद को एक अलग आजाद देश कहता हैं यही वजह है अमेरिका ने ताइवान की सहमति के बाद अपना जनप्रतिनिधि के रूप में अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नेंसी पेलोसी को ताईवान भेज कर अपने राजनायिक रिश्ते बड़ाने का निर्णय लिया लेकिन यह बात चीन और उसके प्रधानमंत्री जिंग पिंग को बेहद नागवार गुजरी और उसने अमेरिका को नेंसी को वहां नहीं भेजने की चेतावनी दे डाली लेकिन विश्व की महाशक्ति अमेरिका ने चीन की बात को नजरंदाज करते हुए नेंसी को आज ताइवान भेजा हैं ।

जिससे दोनो देशों के बीच टकराव की नौबत आ गई है। चीन ने अमेरिका के इस निर्णय के खिलाफ ताइवान के स्पेस में कई युद्धपोत तैनात कर दिए साथ ही उसने ताइवान की बेवसाइट हैक करने के साथ ही उसका एयर स्पेस भी बंद कर दिया है।

लेकिन अमेरिका ने भी अपनी प्रतिनिधि नेंसी को भेजने से पहले उनकी सुरक्षा के व्यापक इंतजामात किए ताइवान के पास उसने 4 युद्धपोत तैनात करने के साथ एयर क्राफ्ट केरियर को भी मौके पर लगाया इसके अलावा 8 मिराज लड़ाकू विमानों को भी ताइवान जाने वाले हवाई रूट पर तैनात कर दिया। इसके साथ ही 24 फाइटर विमान नेंसी को घेरते हुए आगे बड़ते रहें। इसके अलावा अन्य सुरक्षा के भी इंतजाम किए है।

अमेरिकी जनसंपर्क के मुताबिक अमेरिकी जन प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नेंसी पेलोसी अपने स्पेशल विमान से पहले आज रात आठ बजे से पहले ताइवान पहुंचने वाली थी लेकिन उसके बाद एकाएक समय में बदलाव हुआ और बताया गया वे रात 8.13 pm पहुंचेगी उसके बाद सुरक्षा के मद्देनजर उनके वक्त में फिर तब्दीली हुए और 8.23 pm ताइवान के ताइपे हवाई अड्डे पर उतरेंने का समय सामने आया और निर्धारित समय से करीब 5 मिनट के अंतर पर नेंसी पेलोसी के विमान ने ताइपे विमान तल पर लैंडिंग की उनके साथ एक अन्य अमेरिकी प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति भी थे जिनकी अगवानी ताईवान के राजनेताओं ने की। खास बात है उनके विमान तल पर उतरने के दौरान पूरे एरोड्रम पर ब्लैक आउट था और वह अंधेरे में उतरी और उन्हे भारी सुरक्षा के बीच लेजाया गया। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नेंसी बुधवार को ताईवान के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगी।

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