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नादेड़

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महाराष्ट्र में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई, नादेड़ के सरकारी हॉस्पिटल में 48 घंटे में 16 नवजात सहित 35 की मौत, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

Nanded Hospital

नादेड़ / महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात काफी खराब है अकेले नादेड़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 48 घंटे में 35 लोगों की मौत हो जिसमें 16 हाल में पैदा हुए नवजात बच्चें शामिल है अस्पताल में ना दवाई है ना स्टॉफ वही गंदगी का आलम ऐसा है कि स्वस्थ्य व्यक्ति भी बीमार हो जाएं। लगातार हो रही मौत के बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है और वह कल मामले की सुनवाई करेगा।

नादेड़ / महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात काफी खराब है जिससे हाल में यहां के सरकारी अस्पतालो में भर्ती करीब 5 दर्जन मरीजों की देखरेख और दवाई के अभाव में मौत हो गई है ,अकेले नादेड़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 48 घंटे में 35 लोगों की मौत हो जिसमें 16 हाल में पैदा हुए नवजात बच्चें शामिल है अस्पताल में ना तो दवाई है ना ही स्टॉफ, वही गंदगी का आलम ऐसा है कि स्वस्थ्य व्यक्ति भी बीमार हो जाएं। लगातार हो रही मौत के बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है और वह कल मामले की सुनवाई करेगा।

नादेड़ के सरकारी अस्पताल महाराष्ट्र की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था का एक बदनुमा उदाहरण है यहां अधिकांश गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज अधिकांश तौर पर आते है खासकर प्रसूता महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा होती है लेकिन पिछले 2 दिन यानि सिर्फ 48 घंटे में 35 मरीजों की मौत हो गई खास बात है मरने वालों में प्रसूता महिलाओं के साथ 12 नवजात बच्चें शामिल हैं लेकिन भारी तादाद में इतने लोगों की मौत की चिंता ना महाराष्ट्र सरकार और उसके स्वास्थ्य महकमे को है ना ही शिंदे सरकार और उनके मंत्री कोई ध्यान दे रहे है जिससे उनकी संवेदनशीलता साफ तौर पर दिखाई देती है।

इतने पर ही बस नही है यहां ना तो मरीजों को दवाईयां मिलती है ना ही पूरा स्टॉफ है ना डॉक्टर एक वार्ड में कमोवेश 4 नर्सिंग स्टॉफ और 2 सफाई कर्मचारी 24 घंटे तैनात होना चाहिए लेकिन शर्मनाक है कि एक नर्सिंग स्टॉफ 4 वार्डो को सम्हालता है एक पलंग पर दो से तीन मरीज या प्रसूता महिलाएं है।वही साफ सफाई की व्यवस्था तो पूरी तरफ से छिन्न भिन्न है सफाई स्टॉफ नदारद रहता है लेट और बाथरूम में पानी नहीं आता सूअर गंदगी में मुंह मारते दिखाई दे रहे हैं गंदगी का आलम ऐसा कि एक सेकेंड खड़े हो जाओ तो बदबू की बजह से बोमेट आने के साथ सांस लेना।दूभर हो जाता है।

दूर ग्रामीण क्षेत्र से आया परिवार बेटी को लेकर अस्पताल आया था प्रसूता अंजली ने स्वस्थ्य 4 केजी बजन के बच्चे को जन्म दिया अंजली के भाई राजीव ने बताया कि मेरी बहन को डिलेवरी होना थी डिलेवरी के बाद दो दिन पहले बताया कि बच्चे की मौत हो गई और बुद्धवार को स्टॉफ ने बताया कि प्रसूता महिला भी नही रही गरीब होने के बावजूद बाजार से करीब 45 हजार रूपये की दवाईयां भी खरीद कर दी फिर भी जच्चा बच्चा दोनो ही नही रहे पूछने पर स्टॉफ कुछ बता नही रहा है परिवार ने ब्लड दिया वह बहन को ना देकर किसी और को चढ़ा दिया गया अब उस परिवार की महिलाओं का रो रोकर बुरा हाल था। इससे समझा जा सकता है कि अस्पताल की हालत कितनी खराब है कोई सुनने वाला नहीं है डॉक्टर से कहो तो वे कहते है कुछ नही कर सकते।

इन हालातों को लेकर अब हाइकोर्ट ने चिंता जताई है और स्वतः संज्ञान लिया है और बुद्धवार को इस मामले की सुनवाई करेगा बताया जाता है हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग प्रशासन के अधिकारियों को तलब किया है।

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