ग्वालियर, भिंड/ 2023 के विधानसभा चुनाव नजदीक है लेकिन इन दिनों बीजेपी ओर कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस ग्वालियर-चंबल अंचल पर है। यहीं बजह कि संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर दोनों ही प्रमुख राजनेतिक दल खासकर दलित मतदाताओं को लुभाने में लगे दिखाई दिए एक ओर जहां भिंड जिले से सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सरकार की विकास यात्रा को हरी झंड़ी दिखाई है तो वहीं पीसीसी चीफ कमलनाथ ने संत रविदास की जयंती पर ग्वालियर से कांग्रेस की चुनावी बिगुल फूंक दिया है इस दौरान दोनों ही दलों ने अपने आपको, दलितों का हितैशी बताकर एक दूसरे को घेरने की भी कोशिश में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी इसी खींचतान में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर ही सवाल उठाएं है।
इस तरह ग्वालियर चंबल अंचल से 2023 का चुनावी बिगुल बज उठा है एक तरफ शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में है तो दूसरी तरफ पीसीसी चीफ कमलनाथ और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ताल ठोक रहे है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज ग्वालियर पहुंचे उसके बाद चंबल अंचल के भिंड पहुंच कर उन्होंने बीजेपी सरकार की विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाई इस मौके पर उन्होंने मध्यप्रदेश में शुरू विकास यात्रा को लेकर कहा कि आज संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती है, संत रविदास जी महाराज ने कहा था कि “ऐसा चाहूं राज में जहां मिले सबैको अन्न, छोट- बड़े सब संग रहे, रविदास रहे प्रसन्न” इसी भावना के साथ विकास यात्राएं आज से प्रदेश भर में प्रारंभ की है, रविदास जी की जयंती हर पंचायत हर शहर में मनाई जा रही है। विकास यात्रा के माध्यम हम “गरीब कल्याण का संकल्प पूरा कर रहे हैं, सीएम ने कहा कि जनसेवा अभियान से जुड़े हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र मिल गए हैं, इनको योजनाओं का लाभ मिलना प्रारंभ होगा और कोई छूट गया है,उसको जोड़ने का काम करेंगे क्योंकि यह जनकल्याण का महायज्ञ है” और सर्व सूखाय और सर्व हिताय के संत के मंत्र के आधार पर हमारी सरकार सभी का ध्यान रख रही हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा संत रविदास, संतों की श्रेणी में सबसे अव्वल है। कुछ लोग घूम रहे है, जो भारत जोड़ो की बात करते है लेकिन जेब में भारत तोड़ने की साजिश रखते है। उन्होंने कहा बाल्मीकि समाज के लोगों को बीजेपी ने सम्मान दिया है समाज से राष्ट्रपति तक बनाकर भेजा है, संत रविदास की विचारधारा को सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही अपनाया है श्री सिंधिया कार्यक्रम के प्रारंभ में संत रविदास की प्रतिमा पर माला चढ़ाई और आरती उतारी। सिंधिया ने कन्या भोज के दौरान अपने हाथों से उन्हें खाना भी परोसा, जिसके बाद सिंधिया ने ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र की विकास यात्रा को ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर के साथ हरी झंडी दिखा रवाना किया।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ग्वालियर के थाटीपुर स्थित दशहरा मैदान में संत रविदास की जयंती के कार्यक्रम में भक्त रविदास के व्यक्तित्व को याद करते हुए एक सशक्त प्रदेश और देश चुनने का संकल्प लोगों को दिलाया। पूर्व सीएम बोले हैं कि कुछ लोग आज देश प्रदेश को धर्म के आधार पर बांट रहे हैं कल जाति के आधार पर बांटेंगे। पर हमें तय करना है कि आने वाली पीढ़ियों को हम कैसा देश सौंपना चाहते हैं। प्राचीन संत और संस्कृति हमारी पहचान है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने लोगों से कहा कि 7 महीने बाद चुनाव हैं। मैं यह नहीं कहता कि किसी पार्टी को चुनो, लेकिन उसे चुनो जो हमारी संस्कृति और संस्कार को आगे ले जाए। PCC चीफ कमल नाथ ने बिना किसी भाजपा नेता का नाम लिए बिना ही सरकार को आड़े हाथ लिया। उनका कहना था कि 35 साल में पंजाब में अभी तक खालिस्तान का नाम सुनाई नहीं दिया था, लेकिन अब खालिस्तान का नाम सुनाई देने लगा है। लोग संस्कृति, धर्म व जाति के आधार पर बांटने का प्रयास करेंगे, लेकिन हमें सोचना है कि हमारी आने वाली पीढी को हम कैसा प्रदेश व देश सौंपना चाहते हैं।
बहरहाल कांग्रेस ओर बीजेपी ने मिशन 2023 का आगाज कर दिया है कांग्रेस ने सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल अंचल से किया हैं। यह वह गढ़ है जिसके कारण साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी और सिंधिया की नाराजगी के बाद इसी अंचल के कारण 15 महीने की कमल नाथ सरकार मार्च 2020 में गिराई गई थी। यह दलित वोटर मिशन 2023 में विनिंग फैक्टर होने वाला है। कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों की बदौलत ही ग्वालियर-चंबल अंचल में 33 साल बाद ऐतिहासिक कामयाबी हासिल हुई थी। मौजूदा स्थिति में ग्वालियर चंबल अंचल की 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वहीं अन्य 27 सीटों पर भी दलित वोटरों की बड़ी तादाद है। 2018 में दलित वोटरों की नाराजगी के कारण अंचल में भाजपा का सफाया हो गया था। भाजपा यहां 34 में से महज 7 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस ने 1985 के बाद 2018 में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल करते हुए 34 में 26 सीटें जीती थीं।