भांडेर (दतिया)/ बुंदेलखंड की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता व विरासत को विलुप्त होने से बचाने के लिए दतिया में अभिनव पहल शुरू की जा रही है जिसके तहत धार्मिक एवं सामाजिक परिवेश से जुड़े प्राचीन बुंदेली सांस्कृतिक खेलों सुवटा, मामुलिया झिंझिया व टेसू को प्रोत्साहित करने के लिए सुनियोजित कदम उठाए जाएंगे। उपरोक्त जानकारी देते हुए डॉ शंकर लाल शुक्ल बुंदेली शोध संस्थान के सचिव रवीन्द्र सत्यार्थी ने बताया है कि उक्त खेलों को खेलने वाले बालक, बालिकाओं को एक विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
संस्थान के सचिव श्रीसत्यार्थी ने बताया कि आधुनिकता की चकाचौंध में बुंदेली सभ्यता व संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर जा पहुंची है। दीपावली पर्व के दौरान बुंदेलखंड के घर घर में खेले जानें बाले सुवटा, मामुलिया, झिंझिया (झाँझी) और टेसू जैसे खेल अब समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। डॉ शुक्ल संस्थान ने बुंदेली सभ्यता व संस्कृति से सम्बद्ध सभी खेलों व परम्पराओं को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है अपने अभियान के अंतर्गत संस्थान उक्त खेलों को खेलने वाले बालक बालिकाओं को एक विशेष समारोह में सम्मानित करेगा।
उन्होंने बताया इसके लिए संस्थान सम्पूर्ण दतिया जिले में अपने सदस्यों के माध्यम से एक सर्वे करा रहा हे। संस्थान ने जिले के समस्त प्रतिभागी बालक बालिकाओं से अनुरोध किया है कि जिन्होने सुवटा मामुलिया झिंझिया व टेसू खेल में अपने अपने घरों पर प्रतिभागिता की है,वह अपने फोटोग्राफ व वीडियो एवं इस सम्बद्ध सभी प्रयोजन संस्थान के भांडेर स्थित कार्यालय पर दिनांक 15 अक्टूबर तक उपलब्ध करांये। इसमें शामिल सभी प्रतिभागियों को जल्द आयोजित एक भव्य बुंदेली समारोह में सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही श्रेष्ठतम प्रस्तुतियों को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सभी प्रतिभागी अपने फोटोग्राफ व वीडियो मोबाइल नम्बर 9826396115 पर भेजने का कष्ट करें।















