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इंफाल में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन और अदालतों पर किया हमला, पुलिस अश्रुगैस छोड़ी 10 घायल, इंफाल में लगा कर्फ्यू

Manipur Violence Shots

इंफाल/ मणिपुर में एक समुदाय ने गिरफ्तार 5 लोगों को छोड़ने के लिए जोरदार प्रदर्शन किया और पुलिस थानों और अदालतों पर भी हमला बोल दिया पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए टियर गैस छोड़ने के साथ स्टंट बम का इस्तेमाल किया जिससे 10 लोग घायल हो गए है। इस प्रदर्शन के बाद इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया हैं।

मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही पिछली 8 सितंबर को टेगनोपोल के पल्लोल में हुई हिंसा में 3 लोग मारे गए और 50 लोग घायल हुए थे उसे बाद 12 सितंबर को कांगपोकपी में एक हथियारबंद लोगों व्दारा की गई फायरिंग में 3 लोगों की मौत हुई थी इस मामले में 16 सितंबर को पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया था उनके पास से वे हथियार भी बरामद हुए जो मई में पुलिस थानों से लूटे गए थे।

इस गिरफ्तारी के विरोध में इंफाल में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आएं और प्रदर्शन के दौरान उन्होंने तीन चार पुलिस थानों और अदालतों पर भी हमला बोल दिया, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस बल भी मैदान में उतर गया जिससे दोनों के बीच गहरी झड़प हो गई पुलिस ने उन्हें रोकने के साथ खदेड़ने के लिए पहले अश्रु गैस के गोले छोड़े लेकिन पीछे नहीं हटने पर उनपर स्टंट बम भी चलाए जिससे 10 से अधिक लोग घायल हो गए है।

इस घटना के बाद इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है जबकि उसके दो जिलों में पहले दी गई ढील भी समाप्त कर दी गई हैं।

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इंफालमणिपुर

मणिपुर में सेना के एक जवान की गोली मारकर हत्या, छुट्टी पर अपने घर आया था जवान

Indian Army Soldier Killed in Manipur

इंफाल / मणिपुर की राजधानी इंफाल के गांव तरुंग स्थित अपने घर छुट्टी पर आए भारतीय सेना के एक जवान को अगवा करने के बाद गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई मृतक जवान आदिवासी समुदाय का बताया जाता है।

इंफाल में आपसी हिंसा लगातार जारी है वही सेना के जवानों को भी आताताई छोड़ नही रहे है पुलिस को इंफाल के गांव खुनिंगथेक के पास एक व्यक्ति का शव मिला जिसकी शिनाख्त इंफाल पश्चिम के तरुंग में रहने वाले सेरतो थांगथांग के रूप में हुई जो सेना की डिफेंस सिक्योरिटी कोप्स (डीएसपी) में कार्यरत थे और कांगपोकपी जिले के लेमाखोंग में तैनात थे और पिछले दिनों छुट्टी पर अपने घर आए थे।

मृतक सेना के जवान के 10 साल के बेटे ने बताया कि शनिवार को अचानक तीन हथियारबंद लोग हमारे घर में घुस आए और उन्होंने उसके पिता के सिर पर पिस्टल अड़ाते हुए घमकाया और उन्हें जबरन अगवा करके ले गए और रविवार को उनका शव मिला । समझा जाता है कि अगवा करने वालों ने उनके सिर में गोली मारकर हत्या करदी।

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इंफालमणिपुर

मणिपुर में हालात फिर बिगड़े हिंसा और फायरिंग में 5 की मौत तीन दिन में 8 लोगों की मौत

Manipur Violence Shots

इंफाल/ मणिपुर में हालात फिलहाल पूरी तरह से ठीक नहीं है टकराव के बीच हिंसा लगातार जारी है हाल में चूराचांदपुर और विष्णुपुर के बॉर्डर इलाके में हुई हिंसा के दौरान हुई गोलाबारी में 3 लोगों की मौत हो गई बताया जाता है मैतईं और कुकी समुदाय के बीच हुए संघर्ष और टकराव के दौरान एक दूसरे पर जमकर फायरिंग की गई जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए है। घायलों में सुरक्षा बल और पुलिस के जवान भी शामिल है। मणिपुर में पिछले तीन दिन में हुई हिंसा में अभी तक 8 लोगों की मौत होने की खबर है।

असम राइफल्स के लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर का कहना है मणिपुर में स्थिति काफी बिगड़ी हुई है बीच में शांति दिखती है लेकिन ऐसे हालात आज तक नही हुए।

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मणिपुर

मणिपुर में देर रात गांव में हमला, पिता पुत्र सहित तीन की जान गई, थाना लूटा भारी तादाद में हथियार कारतूस ले गए उग्रवादी

Manipur Violence Shots

इंफाल/ मणिपुर में टकराव और हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही हैं बीती रात 2 बजे उग्रवादियों ने एक गांव में घुसकर हमला कर दिया जिसमें पिता पुत्र सहित तीन लोगों की मौत हो गई जबकि सुरक्षा बलों और मैतई उग्रवादियों के बीच बफर जोन में हुई गोलाबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। साथ ही कुछ और जगह भी आपसी संघर्ष और झड़पों की खबरें बराबर आ रही हैं।

एक तरफ मणिपुर में पिछले 24 घंटे से मेतई समुदाय और सुरक्षा बलों के बीच झड़प जारी है जबकि शुक्रवार शनिवार की दरमियानी रात 2 बजे हथियार बंद संदिग्ध उग्रवादी कुकी समुदाय के एक गांव में घुस गए और उन्होंने दो घरों के अंदर घुसकर फायरिंग की जिसमें एक घर में पिता पुत्र और बगल के घर में एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई। जबकि मैतई और कुकी समुदाय के बफर जोन में सुरक्षा बलों और मैतई समुदाय के बीच टकराव हो गया मैतई लोग टेराखांग सांगवी कांगवे और थोराबुंग के बीच बॉर्डर को पार करने की कोशिश कर रहे थे जबकि सुरक्षा बल उन्हें अंदर दाखिल होने से रोक रहे थे इससे दोनों के बीच झड़प हो गई जिसमें सुरक्षा बलों की गोली से तीन लोगों की जान चली गई मरने वालों में युमनम जितेन मैतई, युमनम पिशाक मैतई और प्रेमकुमार मैतई शामिल हैं। इन तीन मौतो के बाद मैतईं समुदाय उग्र हो गया है थोरबांग पहाड़ी इलाके में लगातार फायरिंग हो रही है मोर्टार से हमले हो रहे है साथ ही भीड़ ने कई रास्ते जाम कर दिए।

3 अगस्त को मणिपुर ने कई बड़ी घटनाएं हुई जिससे यहां की स्थिति को जाना जा सकता है इंफाल बेस्ट में उग्रवादियों की फायरिंग में एक पुलिस कांस्टेबल ऋषि कुमार की गोली लगने से मौत हो गई। उसके अलावा भीड़ ने विष्णुपुर जिले के थोईरंग पुलिस थाने पर हमला कर दिया उग्रवादी 685 हथियार और 20 हजार से ज्यादा कारतूस लूट ले गए,जिसमें एके 47, इंसांस राइफल हैंडग्रेनेड मोर्टार कार्बाइन आदि शामिल है इसके अलावा विष्णुपुर के नारानसेना थाने पर भी हमला हुआ जिसका ब्योरा फिलहाल जारी नही हुआ हैं। अभी तक करीब 5 हजार हथियार दोनों समुदाय ने अभी तक लूटे है उनमें से करीब 1600 हथियार ही वापस आए है अभी भी लगभग 3400 हथियार इन लोगों के पास है।

इधर एक बड़ा ही मार्मिक दृश्य कंगपोक्पी जिले में देखा गया जो वहां के डर और दहशत को दर्शाता है यहां कुकी समुदाय की कई महिलाएं सुरक्षा बल के जवानों के पैर पकड़ कर बैठी है और कह रही है कि आप यहां से नही जाएं यदि आप चले जाओगे तो हम सब मारे जाएंगे। बताया जाता है इस जिले में सुरक्षा के लिए असम राइफल्स के जवान तैनात है जिन्हे हटाने के आदेश आए थे लेकिन बाद में उन्हें यहां से हटाने के आदेश को वापस ले लिया गया है।

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इंफालमणिपुर

मणिपुर में म्यांमार के नागरिकों की घुसपैठ, असम राइफल्स ने सरकार को दी जानकारी

Asam Rifles

इंफाल / एक तरफ मणिपुर में नस्लीय हिंसा और टकराव लगातार जारी है स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही, लेकिन अब और एक और परेशानी आ खड़ी हुई है भारत के पड़ोसी देश म्यांमार के 718 नागरिकों ने पिछले दिनों अवेध तरीके से मणिपुर में घुसपेठ कर ली है इसकी जानकारी असम राइफल्स ने मणिपुर सरकार और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दे दी हैं।

भारत के राज्य मणिपुर से म्यांमार देश की सीमा लगती है जिसका दायरा 400 किलोमीटर तक फैला है इस सीमा से 22 और 23 जुलाई को चोरी छुपे 718 म्यांमार के नागरिक मणिपुर में दाखिल हुए है जो हथियारों से लैस है असम राइफल्स के अधिकारियों को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सीमा पार चौकसी बड़ाने के साथ इसकी जानकारी मणिपुर सरकार और उसके मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी है।

भारत के राज्य मणिपुर से म्यांमार देश की सीमा लगती है जिसका दायरा 400 किलोमीटर तक फैला है म्यांमार के इस बॉर्डर पर सुरक्षा और निगरानी के लिए असम राईफल्स की तैनाती की गई है इस सीमा से 22 और 23 जुलाई को चोरी छुपे 718 म्यांमार के नागरिक मणिपुर में दाखिल हुए है असम राइफल्स के अधिकारियों को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सीमा पर चौकसी बड़ाने के साथ इसकी जानकारी मणिपुर सरकार और उसके मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी है।

इस खबर के बाद मुख्यमंत्री ने असम राइफल्स को निर्देश दिए है कि वह जल्द से जल्द इन घुसपैठ करने वाले लोगों को चिन्हित करके मणिपुर की सीमा से बाहर म्यांमार में पहुंचाए। मणिपुर सरकार तो कड़ी कार्यवाही करना चाहती है लेकिन केंद्रीय सरकार क्या रुख अख्तियार करती है यह देखना होगा।

मणिपुर मे इनदिनों जब हालात ठीक नहीं है और हथियारबंद लोगों की घुसपैठ चिंता का बड़ा कारण है कि उनकी मंशा क्या है वह मणिपुर में चोरी छुपे क्यों घुसे और वे कही उग्रवादी तो नही है इस बारे में भी देखना होगा कही यह किसी एक पक्ष के साथ मोर्चाबंदी करने तो भारत की सीमा में दाखिल नहीं हुए।

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मणिपुर

मणिपुर में हजारों महिलाओं का विरोध प्रदर्शन, एक मां और सैनिक पति का दर्द सामने आया नावालिग सहित 6 गिरफ्तार, सियासत तेज

Manipur Women Protest

मणिपुर / मणिपुर में महिलाओं का गैंगरेप के बाद निवस्त्र परेड की शर्मनाक घटना के विरोध में 5 हजार महिलाओं ने काले कपड़े पहनकर चूड़ाचांदपुर में मशाल जुलूस निकाला, इधर पुलिस ने अभी तक इस घटना के 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि एक भूतपूर्व सैनिक ने कहा मैने कारगिल में दुश्मनों से युद्ध लड़ा लेकिन आज अपनी पत्नि को ही इन दरिंदो से नही बचा सका। जबकि बीजेपी और विपक्ष आपस में आरोप प्रत्यारोपों से घिरे दिखाई देते है और तुहारा अपराध मेरे अपराध से छोटा और बड़ा बताने में उलझे हुए है।

मणिपुर में मैतई और कुकी के बीच 3 मई से टकराव और हिंसा भड़की थी 19 जुलाई को जो वीभत्स और शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ वह 4 मई का बताया जाता है। इसके सामने आने के बाद पूरा देश अवाक रह गया और सदमे में आ गया।पीएम नरेंद्र मोदी ने कड़ी कार्यवाही की बात कही उसके बाद पुलिस प्रशासन जागा और जो पुलिस ढाई महीने से सोई पड़ी थी उसने आनन फानन उसने कार्यवाही की और एक नाबालिग सहित 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन सबाल है कि क्या इस कार्यवाही से मणिपुर सरकार और उसके मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी पूरी हों गई।

लेकिन इन दो महिलाओं के साथ अश्लील छेड़छाड़ और गैंगरेप के खिलाफ शुक्रवार 21 जुलाई को चूड़ाचांदपुर में 5 हजार महिलाएं सड़कों पर उतरी उन्होंने हाथों में मशाल लेकर काले कपड़ों में अपना विरोध दर्ज कराया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की। इसी तरह गढ़ीमाखा लेइकाई और इंफाल में भी महिलाओं ने प्रदर्शन किए और सड़कों पर टायर जलाकर अपना रोष व्यक्त किया।

एक पीड़ित महिला के पति जो पूर्व सैनिक रहे है उनका बयान बड़ा ही दर्द और बेबसी भरा रहा उनका कहना हैं मैने कारगिल युद्ध में देश के दुश्मनों से लड़ा लेकिन दंगाईयों और हैवानों से अपनी पत्नी को नही बचा सका। यह असम राइफल्स में सूबेदार के पद पर थे। जबकि दूसरी पीड़ित युवती की मां का कहना मैं अंदर से बुरी तरह से टूट गई हूं हम अब अभी गांव में नही लोटेंगे वहां मेरे छोटे बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई मेरी बेटी का सब कुछ लुट गया उसे शर्मिंदा होना पड़ा मेरा सब कुछ खत्म हो गया।

लेकिन एक तरफ मणिपुर जल रहा है हिंसा आगजनी ने सब कुछ बरबाद कर दिया 150 लोगों की मौत हो गई 300 से अधिक घायल है और 60 हजार लोग बेघर हो गए और राहत कैंपों में रह रहे है। लेकिन गंभीर बात है कि विडियो सामने आने के बाद स्थिति एक बार फिर से बिगड़ने लगी है बीते दिन चूड़ाचांदपुर के एक गांव में दो गुटों में कई राउंड फायरिंग हुई और इंफाल में भी हिंसा होने की खबर है जबकि वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने फिलहाल 12 लोगों को आरोपी बनाया था लेकिन पुलिस ने अभी तक एक नावालिग सहित 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया हैं।

इधर राजनीति पूरे शबाब पर है बीजेपी और अन्य पार्टियों के बीच महिला अत्याचार को लेकर एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है जिसमें बीजेपी मणिपुर की घटना को लेकर अपने बचाव में कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों को घेरने में लगी है और राजस्थान और पश्चिम बंगाल में महिला उत्पीडन का हवाला दे रही है। इस में एक तरह से मेरा अपराध तुमसे छोटा है और तुम्हारा बड़ा अपराध है इसे दर्शाते की पुरजोर कोशिश दोनों ही तरफ से हो रही है। जो एक तरह से राजनेतिक रोटियां सैकने से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता। लेकिन यह भी सही है कि पिछले ढाई महिने में मणिपुर में जो हुआ और अभी भी शांति नहीं हुई यह देश का बड़ा मामला हैं।

बीजेपी की महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का आरोप है कि राजस्थान और पश्चिम बंगाल में महिलाओं के साथ जो हो रहा है उसके बारे में कांग्रेस और विपक्षी नेता कुछ नही कहते महिला तो महिला है वह चाहे वह राजस्थान बंगाल की हो या मणिपुर की। बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया राजस्थान लगातार महिला उत्पीड़न में देश में नंबर एक पर है जबकि पश्चिम बंगाल में भी लगातार महिलाओं के साथ रेप और निम्न स्तर की घटनाएं आए दिन हो रही हैं उन्होंने राजस्थान के करोली और जोधपुर और पश्चिम बंगाल के मालदा और हावड़ा की घटनाओं का जिक्र किया। लेकिन कांग्रेस और टीएमसी नेताओं ने राजस्थान और बंगाल में हुई घटनाओं पर कहा की इस मामलों में पुलिस ने तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की है और मालदा में 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और करोली में 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई जो एबीवीपी के कार्यकर्ता थे। ऐसा कांग्रेस का कहना हैं।

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मणिपुर

मणिपुर बेहाल, अब दो महिलाओं का नग्न वीडियो सामने आया, उग्रवादियों का काम, छेड़छाड़ के बाद गैंगरेप, ITLF का आरोप

Manipur Violence Shots

इंफाल / मणिपुर में दो महिलाओं को बिना कपड़ों में नग्न घुमाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है मणिपुर वॉयलेंस से यह वीडियो पोस्ट की गया हैं। इंडियन ट्राइबल्स लीडर्स फोरम (ITLF) ने आरोप लगाया है कि कुकी समुदाय की इन महिलाओं के साथ पहले रेप किया गया इसके बाद नग्न कर उन्हें सार्वजनिक रूप से भीड़ के बीच घुमाया गया। संगठन ने इस मामले में महिला आयोग और जनजाति आयोग से कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

आईटीएलएफ ने कहा है कि वीडियो में साफ दिख रहा है कि उनके साथ भारी भीड़ मोजूद है जो उनके साथ छेड़छाड़ और फब्तियां कसती दिख रही है जबकि बेचारी महिलाएं तो रो रो कर उन्हें छोड़ने की गुहार लगा रही हैं, संगठन के मुताबिक यह घटना इंफाल से 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में 4 मई को हुई थी लेकिन इंटरनेट बंद होने के कारण यह वीडियो इस समय सामने नही आया था।

इस वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया हैं एफआईआर में बताया गया है कि 4 मई को दोपहर 3 बजे अचानक करीब आठ सौ से एक हजार लोग कांगपोकपी जिले में स्थित हमारे गांव में घुस आएं उन्होंने घरों में तोड़फोड़ की घर के बर्तन फर्नीचर इलेक्ट्रोनिक सामान कपड़े और नगदी लूट लिए और घरों में आग लगा दी हमलावरों के डर से कई लोग जंगलों में भाग गए उन्हें नोंगपांग पुलिस ने बचाया, हमलावरों के पास हथियार भी थे जिसके बल पर उन्होंने पकड़े गए लोगों को पुलिस से छुड़ा लिया।

ITLF ने कहा कि हमें शक है कि यह हमलावर मैतई युवा संगठन कांगलेईपाक कनबा लुप अरामबाई तैगगोल, मैतई लीपुन ,विश्व मैतई परिषद और अनुसूचित जनजाति मांग समिति से थे, इन्होंने हमले के दौरान 56 वर्षीय सोईटिंकम बेफेई की हत्या कर दी और तीन महिलाओं को जबरन पकड़ा और उन्हें कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया उसके बाद महिलाओं के साथ गैंगरेप किया जब इन युवतियों में से एक महिला के भाई ने उन्हें बचाना चाहा तो हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी।

पुलिस के अधिकारियों का कहना हैं विडियो में दो महिलाएं बिना कपड़ों के दिखाई दे रही है साथ में भीड़ भी है इस मामले में नांगपोक पुलिस थाने में केस दर्ज कर लिया गया है और जांच के साथ आरोपियों की खोजबीन शुरू कर दी गई हैं।

जैसा कि 3 मई से मणिपुर में मैतई समुदाय को जनजाति में आरक्षण देने के मामले को लेकर कुकी नगा और मैतई समुदायों में टकराव और हिंसा जारी है जिसमें अभी तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जुलाई में भी 10 लोगो की हत्या हो चुकी है हिंसा के साथ घरों में आगजनी और तोड़फोड़ से सैकड़ों लोग बेघर हो गए करीब 50 हजार लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर है। बीच बीच में कुछ शांति होती है लेकिन फिर से आग भड़क जाती है कहा जाएं मणिपुर जल रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

इधर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी और आप नेता अलका लांबा ने अपने ट्वीट के जरिए इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया हैं।

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इंफालमणिपुर

राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे, सड़क से रोका हेलीकॉप्टर से पहुंचे चूड़ाचांदपुर, रिलीफ केंद्र में पीड़ितों से की मुलाकात

Rahul Gandhi at Manipur

इंफाल / कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज दो दिन के दौरे पर आज मणिपुर पहुंच गए है वे यहां वह हिंसा पीड़ितों और सोशल एक्टिविस्ट से मिलने के साथ ही रिलीफ केंपों में भी जाएंगे। लेकिन जब वे सड़क मार्ग से चूड़ाचांदपुर जा रहे थे तब उन्हें जाने से बीच में ही रोक दिया गया प्रशासन का कहना है सुरक्षा के मद्देनजर उन्हे रोका गया उसके बाद वे हेलीकॉप्टर से वहां पहुंचे और राहत शिविरों में पीड़ितों से मिले।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज विमान द्वारा मणिपुर पहुंचे है उनके साथ कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल भी साथ है विमान तल से उनका काफिला स्थानीय वरिष्ठ नेताओं के साथ वे अपने लाव लश्कर के साथ सड़क मार्ग से दंगा प्रभावित क्षेत्र चूड़ाचांदपुर रवाना हुए लेकिन इंफाल से करीब 20 किलोमीटर आगे प्रशासन और पुलिस ने उन्हें रोक दिया और बताया कि आगे विष्णुपुर में हाईवे पर महिलाएं सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रही है और सुरक्षा की दृष्टि से आगे जाना खतरनाक है यदि आपको चूड़ाचांद पुर जाना ही है तो हेलीकॉप्टर से जा सकते हैं। बात की गंभीरता को समझते हुए राहुल गांधी और उनके साथ गाड़ियों में जा रहा कांग्रेसजनों का काफिला वापस इंफाल के एयरपोर्ट लौट पड़ा और वहां पहुंचकर राहुल गांधी और प्रमुख नेता हेलीकॉप्टर से चूड़ाचांदपुर पहुंचे और वहां उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया और सभी से बातचीत कर उनकी स्थिति जानी। बताया जाता है राहुल गांधी आज रात इंफाल में ही रुकेंगे। जानकारी यह भी सामने आई है कि राहुल गांधी को मोईरांग जाने की इजाजत भी नहीं मिली है।

लेकिन पुलिस क्या सुरक्षा की बात कह कहकर राहुल गांधी को विष्णुपुर की तरफ जाने से रोक रही है ? क्योंकि इस प्रदर्शन में शामिल एक महिला एक न्यूज एजेंसी के चैनल को दिए बयान में कह रही है कि राहुल गांधी यहां हम लोगों की जानकारी लेने आया है वह जांच करने आया है हमें देखने आया है कि हम लोग किस हालत में है वह कोई राजनीति फैलाने नही आया है और यह सरकार उसे रोकना चाहती हैं। इस बीच भीड़ राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे भी लगाती दिख रही है।

जैसा कि मणिपुर में गत 3 मई से दो जातिवर्गो के बीच संघर्ष और हिंसा जारी है जिसमें अभी तक 125 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है और चूड़ाचांदपुर भी हिंसाग्रस्त क्षेत्र है और इसके रास्ते के बीच विष्णुपुर में महिलाएं प्रदर्शन कर रही है इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों के बीच झड़प भी हुई और आंदोलन कर रही महिलाओं को नियंत्रित इस दौरान अश्रु गैस के गोले भी छोड़ना पड़े।

इधर बीजेपी ने राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा पर सबाल उठाएं है बीजेपी प्रवक्ता संविद पात्रा ने कहा कि हमें उनके मणिपुर जाने पर कोई ऐतराज नहीं है लेकिन वहां की स्टूडेंट यूनियन और महिला विंग ने राहुल गांधी की यात्रा का बायकॉट करने का ऐलान किया हैं और कहा है कि वह मणिपुर नही आएं,राहुल गांधी वहां चिंगारी भड़काने का काम करेंगे,उन्होंने कहा हम मानते है कि उन्हें मोहब्बत की दुकान खोलने की जल्दी है लेकिन सबाल है उनके वहां जाने से कोई रोक नहीं रहा लेकिन उनकी जिद्द ठीक नहीं है स्थिति कही बिगड़ ना जाएं।

इधर प्रियंका गांधी ने उन्हें रोके जाने पर कहा कि राहुल गांधी शांति का संदेश लेकर मणिपुर गए है लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को लगता है शांति और भाई चारे से नफरत हैं वही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर को नफरत की नहीं बल्कि शांति की जरूरत हैं।

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इंफालदेशमणिपुर

मणिपुर के हालात बेकाबू, कुकी मैतई में एसटी आरक्षण को लेकर टकराव, बीरेन सरकार फेल, हिंसा आगजनी सैकड़ों घर गांव फूंके, 125 की मौत 3 हजार घायल, मंत्री भी महफूज नही, 70 हजार ने मणिपुर छोड़ा

Manipur Violence Shots

Exclusive | इम्फाल (स्पेशल रिपोर्ट)/ भारत के मणिपुर राज्य के हालात लगातार बेकाबू होते जा रहे है अभी तक दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में सैकड़ों गांव और घरों को आग के हवाले कर दिया गया और इस दौरान 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 3 हजार नागरिक घायल हो गए जबकि 70 हजार नागरिक प्रदेश से पलायन कर चुके है और सबसे गंभीर बात है कि केंद्र और प्रदेश के 4 मंत्रियों के घरों को आताताइयो ने जलाकर राख कर दिया। जबकि इस बेहद बुरी स्थिति के लिए जिम्मेदार बीरेन सरकार इस टकराव और हिंसा को रोकने में पूरी तरह से अक्षम साबित हुई है केंद्र सरकार के गृहमंत्री अमित शाह भी यहां का दौरा कर चुके है लेकिन लगता है उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा आज भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।

आदिवासी कुकी और मैतई समाज में टकराव का कारण …

मैतई हाइव यूनियन वर्षो से अपने समुदाय को जनजाति वर्ग का दर्जा और आरक्षण की मांग करता रहा है उनकी याचिका पर कोर्ट ने पिछले दिनों उन्हें एसटी में आरक्षित करने के आदेश मणिपुर सरकार को दिए थे जिससे कुकी समाज भड़क गये और विरोध में उतर आये। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला गया एससी ने कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी उसके साथ यह भी कह दिया हम रिजर्वेशन के मुद्दे पर नही जायेंगे। दूसरा कारण रहा सरकार की अवेध अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही इसका सीधा सीधा प्रभाव पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी कुकी समुदाय पर पड़ा। जिसने आग में घी का काम किया इसके बाद कुकी मैतई समाज को अपना कट्टर शत्रु समझने लगे और दोनों के बीच टकराव की नोबत आ गई और जो आज बड़ा रुप अख्तियार कर चुकी हैं।

हिंसा और दंगे को आज डेढ़ माह हो गया और कैसे हुई शुरूआत …

मणिपुर में 3 मई को कुकी और नगा समुदाय ने आदिवासी एकता रैली की थी वहां से इस हिंसा बलवा और टकराव की शुरूआत हुई थी। कुकी और नगा समुदाय ने यह मार्च मैतई समाज को एसटी का दर्जा दिए जाने के विरोध में निकाला था। जैसा कि मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार के 10 साल पुराने प्रस्ताव पर मैतई समाज को 29 मई तक जनजाति (आदिवासी) वर्ग में आरक्षण देने का सरकार को आदेश दिया था यह मार्च इसके विरोध में था यहां अभी अनुच्छेद सी लागू है उसके मुताबिक मैतई समुदाय कुकी बाहुल्य पहाड़ी स्थानों की जमीन नही खरीद सकता ना ही वहां स्थाई रूप से रहने का हकदार है, लेकिन यदि वह एसटी की श्रेणी में आ जाता है तो वह पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीद सकता है और कुकी समाज को उनकी अपनी जमीनों पर कब्जे होने का डर है। उसके विरोध में भीड़ के रूप में हज़ारों की संख्या में मोजूद आंदोलनकारियों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने जब बल प्रयोग किया तो स्थिति बिगड़ गई और उसके बाद आपस में हुए टकराव के बाद लगातार तीन दिनों तक तांडव चला जिसमें दोनों समुदायों के बीच आपसी टकराव अग्निकांड हिंसा और एक दूसरे पर हमले शुरू हो गए।

चूकि दोनों समुदायों पर हथियार बंद उग्रवादी संगठन थे तो इसे नया मोड़ मिल गया और दोनों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गई। आज स्थिति यह है कि कुकी समुदाय मैतई बाहुल्य इलाकों में नही जाते तो मैतई लोग कुकी के क्षेत्रों में नहीं जा सकते। जो यहां की गंभीर स्थिति को बताता है आज दोनों समुदाय एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए है इससे नौकरीपेशा और दूसरी जगह काम करने वालों पर अपनी जान का खतरा बना रहता है लेकिन उनकी मजबूरी हैं।

मणिपुर सरकार में दोनों समाजों की भागीदारी और अपने अपने तर्क …

मेघालय राज्य में कुल 60 विधानसभा है जिनमें से मैतई समुदाय के 40 विधायक है जबकि कुकी और नगा समाज के विधायकों की तादाद उनसे आधी यानि 20 हैं जिससे साफ है सरकार में मैतई समाज का प्रभुत्व है। जिसके चलते कुकी समुदाय का तर्क है कि मैतई समाज संपन्न होने के साथ राजनेतिक रूप से पॉवर फुल है । उसे एसटी आरक्षण नही दिया जाना चाहिए इसके उलट मैतई समाज का कहना है 1949 में मणिपुर के भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासत काल में आदिवासी जनजाति का दर्जा मिला हुआ था पिछले 70 साल में उनकी जनसंख्या 62 फीसदी से घटकर अब 50 फीसदी रह गई है अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने के लिए आज मेतई समाज आरक्षण की मांग कर रहा हैं। इधर बीजेपी सरकार को समर्थन देने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (11 विधायक) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह मूक दर्शक बनकर नहीं देख सकती वह सरकार से बाहर हो जायेगी पार्टी के नेताओं ने कहा मणिपुर में अनुच्छेद 355 लागू है इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के साथ केंद्र की उतनी ही है।

मणिपुर राज्य की भौगोलिक स्थिति …

भारत का मणिपुर राज्य एक पहाड़ी बहुल प्रदेश है जिसका 90 फीसदी क्षेत्र पहाड़ी और केवल 10 फीसदी मैदानी है पहाड़ी इलाके में कुल आबादी के 42 प्रतिशत लोग रहते है जो कुकी आदिवासी है जबकि 53 फीसदी लोग मैतई समुदाय से आते है जो मैदानी इलाकों और इम्फाल की घाटी में रहते हैं। इम्फाल मणिपुर के केंद्र में आता हैं अन्य जातिवर्गों ने नगा सनमही और मुस्लिम शामिल हैं।

सिलसिलेबार टकराव हिंसा आगजनी और मौत …

मणिपुर में बिगड़े हालात और हिंसा में अभी तक 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है करीब 3 हजार लोग घायल और जख्मी हुए है और करीब 70 हजार लोग अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर चुके है तो कई लोग सुरक्षा केंपो में रह रहे हैं।

संक्षिप्त में एक नजर डालते हैं।

27 अप्रैल .. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह चुराचंदपुर में जिस जिम का उद्घाटन करने वाले थे उस जिम में आताताईयो ने आग लगा दी।
28 अप्रैल .. चुराचांदपुर सहित मणिपुर के 5 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद करने के साथ ही धारा 144 लागू, इस दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारी के साथ झड़प हुई
3 मई .. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ मणिपुर ने इंफाल में रैली की इस दौरान तोरबंद इलाके में हिंसा भड़की और 11 लोग घायल हुए
4 मई.. टकराव और हिंसा को रोकने लिए सेना सीआरपीएफ असम राइफल्स रेपिड एक्शन फोर्स और भारी तादाद में पुलिस बल की तैनाती
5 मई .. इंफाल में भारी बलवा और हिंसा हुई इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 1700 घरों को आग के हवाले कर दिया गया जिसमें सैकड़ों वाहन भी राख हो गए
12 मई.. चुराचांदपुर में भीड़ ने पुलिस पर घात लगाकर हमला किया जिसमें एक पुलिस अफसर की मौत हो गई जबकि 5 पुलिस कर्मी घायल हो गए
14 मई .. सीएम बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य के मंत्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिला और स्थिति की जानकारी दी
28 मई .. दो जिलों सुगनू और फायेंग में फिर हुई हिंसा एक पुलिस कर्मी सहित 5 लोग मारे गए
29 मई .. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचे
30 मई .. ओलंपिक पदक विजेता मीरा बाई चानू सहित अन्य विजेता खिलाड़ियों ने इस हिंसा के विरोध में अपने पदक लौटाने की चेतावनी दी
1 जून .. गृहमंत्री अमित शाह ने राहत शिविरों का दौरा किया साथ ही हिंसा करने वालों से शांति और हथियार सरेंडर करने की अपील की
2 जून .. गृहमंत्री की अपील के बाद करीब 145 हथियार सरेंडर हुए
4 जून .. काकचिंग जिले के सेरो गांव में काफी संख्या में आए लोगो ने करीब 100 घरों और कुछ गिरजा घरों में आग लगा दी, साथ बीएसएफ की पोस्ट पर मोर्टार से हमला किया इस तारीख तक मणिपुर हिंसा में अभी तक 98 लोगों की जान जा चुकी थी।
5 जून से आज तक .. अभी तक अलग अलग इलाकों में हुई हिंसा में करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है और कई गांव और घरों को आग के हवाले कर दिया गया पहले एक हिंसात्मक हमले में 9 लोगों की मौत हुई उसके बाद 3 को मौत के घाट उतार दिया गया इसके अलावा एक बस में आग लगाकर एक महिला और उसके मासूम बच्चे को जला कर खाक कर दिया गया।

केंद्रीय और प्रदेश मंत्री और विधायक भी सुरक्षित नहीं …

यदि इसके घटना क्रम पर गौर करे तो आम तो आम खास भी आज मणिपुर में सुरक्षित नहीं है सभी यहां की आग में जल रहे है 28 मई को कांग्रेस विधायक रंजीत कुमार का घर जला दिया गया 8 जून को बीजेपी विधायक सोरई साम के घर पर आईईडी बम से ब्लास्ट किया गया 13 जून को मणिपुर की उद्योग मंत्री नेमचा किपजेम का सरकारी बंगला आताताईयों ने फूंक दिया जो कुकी समाज से आती है हद तो जब हो गई जब 15 जून को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री आरके रंजन सिंह के बंगले पर हमला हुआ उसमें तोड़फोड़ के साथ उनका घर और सभी वाहनों को जला कर राख कर दिया गया। ताजा घटना में उग्रवादियों ने एकसाथ 5 जगहों को निशाना बनाया जिसमें इम्फाल के पश्चिम इरिंग पुलिस थाने पर हथियार बंद लोगों का हमला, बीजेपी एमएलए विश्वजीत पर हमला इम्फाल के बीजेपी दफ्तर पर आग लगाने की कोशिश और पोरमपैर में बीजेपी की महिला अध्यक्ष के घर हमला और विष्णुपुर में हमला शामिल है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि मणिपुर स्टेट फेल कर गया है और यहां की सरकार फेल साबित हो गई हैं एक केंद्रीय मंत्री का अपनी पार्टी की सरकार को फेल बताना काफी मायने रखता हैं।

भारी फ़ोर्स की तैनाती और आताताईयो ने हथियार छीने या दिए गए ?

प्रदेश में स्थानीय पुलिस के साथ मणिपुर रेपिड एक्शन फोर्स पेरा मिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ और असम राईफल्स के जवानों की तैनाती की गई है जिनकी कुल संख्या 60 हजार के करीब बताई जाती है लेकिन खास बात है केंद्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस को अलग अलग बांट लिया गया है कुकी समुदाय स्थानीय पुलिस पर भरोसा करता है जबकि मैतई समुदाय केंद्रीय सुरक्षा बलों को अपना संरक्षक मानता है यही वजह है कि कुकी लोग यहां तक उनकी महिलाएं भी रात के वक्त अपने इलाकों खासकर हाईवे पर पहरा देती है कि कहीं केंद्रीय बल के जवान उनके क्षेत्र में ना घुस आएं यह अजीब और अविश्वनीय स्थिति भी यहां देखी जा रही है जो आपस में अविश्वास और आपस में बड़ती खाई का परिचायक हैं। बताया जाता है कुकी नगा और मैतई समाज के उग्रवादी संगठनों पर 4 से 5 हजार आधुनिक हथियार और राइफल्स है मणिपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक यह हथियार स्वेच्छा से इन उग्रवादी संगठनों को पुलिस और सुरक्षा बलों में शामिल इन्ही समुदाय के लोगों ने सौप दिए और कह दिया कि छीन लिए गए। जबकि अभी तक केवल एक हजार हथियार ही सरेंडर हुए हैं। इस तरह अभी भी भारी तादाद में इन उग्रवादी संगठनों पर हमारे ही सरकारी हथियार हैं।

मिलीटेंस दोनों ही समुदायों में …

प्राचीन काल से मणिपुर और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में उग्रवादियों की मौजूदगी एक बड़ी समस्या रही है आज भी कुकी और मैतई समुदायों में मिलीटेंस के संगठन है अधिकांश पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय में करीब 40 उग्रवादी संगठन है खास बात है दोनों के महिला विंग भी है जो पुरुष उग्रवादी संगठनों से ज्यादा तेज तर्रार है और यह महिला संगठन हमेशा आगे रहते है लेकिन यह पहला मौका नहीं है कि इनमें टकराव हुआ हो लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया जबकि इन संभावित उग्रवादियों के पास वही हथियार है जो पुलिस या सुरक्षा बलों से इन्हे मिले हैं यदि अभी भी स्थिति को जल्द नहीं सम्हाला गया तो इसके परिणाम और भी भयानक हो सकते हैं।

क्या म्यांमार और वर्मा की मदद मिल रही है उग्रवादियो को …

भारत के मणिपुर राज्य से म्यामार और वर्मा की सीमा लगी हुई है जब यह टकराव जारी था तो पिछले दिनों म्यांमार से मणिपुर के विष्णुपुर में 300 हथियारबंद लोगों के घुसने की जानकारी मिली है गोपनीय सूत्रों के मुताबिक इन्होंने तोरबुंग के जंगली इलाके को अपने छुपने का ठिकाना बनाया, और उसके बाद हिंसा फैलाने यह ग्रुप चूराचांदपुर की और बड़े इनके समूह में चिन और कुकी भी शामिल है जब सुरक्षा एजेंसियों को यह पता चला तो वह सक्रिय हुए और ड्रोन की सहायता से इनका पता लगा रहे है। इस बीच गुरुवार को दोपहर में विष्णुपुर के त्रोंगला ओबी में कुकी हमलावरों ने अचानक पुलिस वाहन पर फायरिंग की जिसमें पुलिस का एक कमांडो शहीद हो गया और दो पुलिस कर्मी गोली लगने से जख्मी हो गए। जबकि इन समुदाय पर यह भी आरोप लगते है कि मणिपुर को नार्को टेरेरिस्ट स्टेट बनाने में इनका हाथ है सरहद से लगे वर्मा से काफी ड्रग मणिपुर आता है और पूरे भारत में सप्लाई होता है इस काम में अनेक राजनेता, संपन्न लोग और इन समुदायों के काफी लोग लगे है और उनकी आय का एक बड़ा स्रोत यह ड्रग माफिया हैं।

डबल इंजन की सरकार मणिपुर में नही कर पा रही शांति की बहाली …

मणिपुर में दिनों दिन बिगड़ते हालात और बड़ती हिंसा पर काबू पाने के लिए पहले असम के मुख्यमंत्री हेमंता विसबा सरमा और बीजेपी नेता राम माधव को वहां भेजा गया लेकिन वह मुख्यमंत्री और समुदाय के नेताओं और अन्य लोगों से मुलाकात और मीटिंग करके लौट आएं जबकि कुकी के एक उग्रवादी संगठन ने तो दोनों नेताओं से यहां तक कह दिया कि हमने आपकी सरकार बनवाने में आपकी मदद की थी। उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह 29 मई को पहुंचे 4 दिन रुके दोनों पक्षों के संगठन और नेताओं से मिले और समझाइश दी राज्यपाल के नेतृत्व में शांति कमेटी बनाने के निर्देश दिए जिसमे दोनो समुदाय के प्रमुख लोग, संगठन सांसद और प्रबुद्ध नागरिक शामिल होंगे जिससे समस्या सुलझाने का भरोसा दिया साथ ही शांति बहाली की अपील के साथ दोनों हथियार वापस करने को भी कहा लेकिन उनके जाने के बाद भी हिंसा रुकी नही लोगों के घर जला दिए चर्च पर हमला और आगजनी हुई कई लोग मारे गए।

बताया जाता है कुकी समुदाय मुख्यमंत्री को फूटी आंख नहीं सुहाते वह उन्हें अपना पक्का दुश्मन समझते है और उन्हें शांति कमेटी में शामिल करने पर कुकी समाज शांति बैठक का वहिष्कार करने का मन बनाया हुआ है साफ है स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया वह आज भी ज्यों की त्यों है लेकिन प्रमुख बात है इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर को लेकर आज तक एक भी बयान नही दिया ना ही वहां के नागरिकों से शांति की अपील करना ही मुनासिब समझा ।

देश के विपक्ष ने प्रधानमंत्री से मणिपुर मसले पर की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग …

देश की 10 विपक्षी राजनेतिक पार्टियों ने गत 10 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिठ्ठी भेजकर मणिपुर में बिगड़ते हालातों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए शीघ्र एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है जिसमें कांग्रेस जेडीयू आरजेडी आप नेशनल कांफ्रेस टीएमसी समाजवादी पार्टी एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख रूप से शामिल है लेकिन केंद्रीय सरकार ने अभी तक विपक्ष के पत्र पर कोई संज्ञान नही लिया इस मामले में एक पीसी के माध्यम से कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जयराम नरेश ने कहा कि आज से 22 साल पहले जब मणिपुर में इसी तरह हालात बिगड़े थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और सभी से इस मामले में सुझाव लिए थे और मिलजुलकर समस्या का हल निकाला और शांति बहाल हुई थी लेकिन ना जाने क्यों आज विपक्ष की बात नही मानी जा रही।

पीएम अटल बिहारी वाजपेई के समय में भी हुआ था बलवा, हिंसा…

सन 2001-02 में भी मणिपुर में इन दोनों समुदायों के बीच बर्चस्व की लड़ाई हुई थी जिसमें झड़प और हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई थी लेकिन उस समय मुश्किल होने के बावजूद वाजपेई सरकार ने संवाद और समझाइश के बाद स्थिति पर नियंत्रण पा लिया था। उस समय की राजनेतिक स्थिति भी अलग थी कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने 18 जून 2001 को मांग की थी और 6 दिन बाद प्रधानमंत्री वाजपेई ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी उसके बाद 8 जुलाई को दोबारा मीटिंग हुई जिसमें गंभीरता से मनन चिंतन कर सभी ने सरकार को अपने अपने सुझाव भी दिए थे।

क्या कहते है देश के रक्षा विशेषज्ञ पूर्व सैन्य अधिकारी और प्रबुद्धजन…

मणिपुर की समस्या विकराल होती जा रही इसका हल कैसे निकले और शांति कायम हो इसको लेकर एक नेशनल चैनल की डिवेट में लेफ्टीनेंट जनरल (रिटायर्ड) संजय कुलकर्णी, मेजर जनरल (रिटायर्ड) विशंभर दयाल, आईबी के पूर्व स्पेशल डीजी यशोवर्धन आजाद और मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर भौमिक ने सयुक्त रूप से अपने सुझाव देते हुए कहा कि वहां की सरकार को शीघ्र बर्खास्त कर मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए,साथ वहां अब टफ एक्शन की जरूरत पुलिस सहित जो सुरक्षा बल कुकी या मैतई समुदाय को अपना समर्थन दे रहे है उन्हें तत्काल हटाया जाएं वहां के डीजी पुलिस सख्ती से आदेश जारी कर हथियार वापसी को कहे अन्यथा जिनके पास हथियार है उनपर केस दर्ज कर कड़ी कार्यवाही करें, केंद्रीय सरकार और प्रधानमंत्री की तरफ से जल्द राजनेतिक प्रोसिज शुरू किया जाएं एक ऐसे नेता को वहां भेजा जाएं जो सर्वमान्य हो वरिष्ठ हो और जिसपर सभी विश्वास करते हो उन्होंने इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी सुझाया, प्रधानमंत्री को विपक्ष को साथ लेकर एक सर्वदलीय शांति की अपील भी की जानी चाहिए और वहां जो भी पार्टियों के नेता जाएं वह रुके नहीं वापस आ जाएं।

जबकि भारत के पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ट्वीट कर कहा है कि मणिपुर की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है शीर्ष नेतृत्व को जल्द उचित कदम उठाने की जरूरत है उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को भी टैग किया है।जबकि एक रिटायर्ड लेफ्टीनेंट कर्नल निशिंका सिंह जो मणिपुर में ही रहते है उन्होंने बड़ी गंभीर टिप्पड़ी की है कहा है आज मणिपुर स्टेट स्टेटस हो गया है और राज्यविहीन हो गया है लाइफ और प्रॉपर्टी (जानमाल) कभी भी लिए जा सकते है आज मणिपुर लेबनान नायजीरिया लीबिया सीरिया जैसी स्थिति में आ गया है उच्च स्तर पर ध्यान देने की जरूरत हैं।

Image Source: Twitter
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इंफाल

मणिपुर में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में 40 आतंकी मारे गए

Terrorist Killed in Encounter

इंफाल / जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में आज आतंकवादियों और पुलिस सुरक्षा बल के साथ हुई मुठभेड़ में 40 आतंकी मारे गए बताया जाता है यह आतंकी भारी मात्रा में आधुनिक हथियारों से लैस थे।

मणिपुर के मुखमंत्री एन बीरेंद्र सिंह ने बताया कि सेना और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान करीब 40 आतंकी मारे गए है उनका कहना है कि यह आतंकवादी भीड़ की शक्ल में कुछ गांवों में घरों को जलाने आए थे और स्थानीय लोगों को।मार रहे थे इनके पास एके 47 और एम 16 जैसे आधुकिन हथियार भी थे मालूम होने पर सेना और सुरक्षा बलों ने उन्हें घेर लिया उनके व्दारा फायरिंग करने पर सेना और सुरक्षा बलों के जवानों ने भी फायरिंग की जिसमें 40 हमलावर मारे गए हैं। फिलहाल इलाके में तनाव बना हुआ है और कोमिंग ऑपरेशन जारी हैं।

जैसा कि मणिपुर में पिछले दिनों जातिगत वैमनस्य फैलने से कई इलाकों में हिंसा हुई है जिसमें अभी तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई है यह टकराव कुकी समुदाय और मैतई समुदाय के बीच शुरू हुआ है मणिपुर हाईकोर्ट ने कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के निर्देश सरकार को जारी किए थे जिससे कुकी समुदाय बुरी तरह नाराज हो गया था और उसने मैतई समझ के लोगों पर हिंसात्मक हमला और उनके घर जलाना शुरू कर दिए जिससे धीरे धीरे इस हिंसा ने भीषण रूप ले लिया था। इस मणिपुर संकट के बीच नगा उग्रवादी और अलगाववादी संगठनों ने ईसाई समुदाय का हितेशी बताकर कुकी समाज से सहानुभूति जताना शुरू कर दिया था। अब दो समुदायों के टकराव के बीच नगा उग्रवादी और अलगाववादी संगठनों के हस्तक्षेप से सरकार की चिंता और बड़ गई थी और जिससे यह उग्रवादी और अलगाववादी संगठन सरकार के निशाने पर आ गए थे।

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