नई दिल्ली/ वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन गुरुवार को भी सुनवाई हुई जो करीब एक घंटे तक चली। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जबाव दाखिल करने किए 7 दिन का समय दिया है जबकि सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में अपना जवाब पेश करना होगा। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक तीन महत्वपूर्ण आदेश सरकार को दिए है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ दायर 70 या उससे अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करना असंभव है इसलिए सिर्फ 5 याचिकाएं ही दायर की जाए उन्ही 5 याचिकाओं पर ही सुनवाई की जायेगी। वही बैच ने वक्फ एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली 10 याचिकाएं सूचीबद्ध कर ली। बैच ने तीन नोडल वकीलों ( एजाज मकबूल, विष्णुशंकर जैन और कानु अग्रवाल) की नियुक्ति करते हुए कहा कि यह ये तय करेंगे कि कौन बहस करेगा। 5 मई अंतरिम आदेश के लिए होगी। कोर्ट ने मामले का कॉज टाइटिल बदलकर “इन रे वक्फ अमेडमेंट एक्ट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का जवाब आने तक वक्फ घोषित संपत्ति पर यथा स्थिति बनाए रखने को कहा है तब तक सरकार को तीन निर्देश भी मानना होंगे।
1.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के जवाब तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी।
2.कोर्ट से वक्फ घोषित संपत्ति डी – नोटिफाई नहीं होगी। यह वक्फ बाय यूजर हो या वक्फ बाय डीड हो।
3.वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति न हो।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट के प्रावधानों पर रोक लगाने के कोर्ट के प्रावधानों का विरोध किया। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, संसद में उचित विचार विमर्श के साथ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जा सकती, सरकार और संसद के रूप में हम लोगों के प्रति जवाबदेह है क्या बैंच कुछ धाराओं को फौरी तौर पर पढ़कर रोक लगाने जा रही है तो यह दुर्लभ है आपको कानून के इतिहास में जाना होगा क्योंकि लाखों लोगों के सुझाव के बाद यह कानून बना है।
इस पर बैच ने कहा कि हम अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले रहे है चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने कहा कि यह विशेष स्थिति है हमने कुछ कमियों की और इशारा किया है कुछ सकारात्मक चीजें भी है हम नहीं चाहते इतना बड़ा बदलाव किया जाए कि पक्षकारों के हित और अधिकार प्रभावित हो, 5 साल से इस्लाम मान रहे हो, जैसा प्रावधान भी हैं लेकिन हम उसपर रोक नहीं लगा रहे। एससी ने कहा कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगाते है लेकिन व्यक्तियों के अधिकार भी प्रभावित नहीं होना चाहिए।
सीजीआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बैंच इस बक्फ विधेयक की सुनवाई कर रही है जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता है और कानून के खिलाफ सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सी वी सिंह दलील रख रहे है।