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कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त, मालगाड़ी ने मारी टक्कर,9 की मौत 11 घायल,सिग्नल फेल होने से हुआ हादसा

Kanchenjunga Express

सिलीगुड़ी/ त्रिपुरा के अगरतला से पश्चिम बंगाल के सियालदह आ रही कंचनजंघा एक्सप्रेस जलपाई गुड़ी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 9 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 41 लोग घायल हो गए है। बताया जाता है दो स्टेशनों के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम खराब हो गया था और नियमानुसार स्टेशन मास्टर लिखित में रेड सिग्नल पार करने की अनुमति देता है उसी के तहत रेल्वे कर्मी ने ड्राईवर को हरी झंडी दिखाई थी फिर भी गलती ड्राईवर की बताई जा रही है। साफ है इस घटना में रेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही हैं।

यह ट्रेन दुर्घटना न्यू जलपाई गुड़ी स्टेशन से 10 किलोमीटर पहले सोमवार को सुबह करीब 9.48 मिनट पर हुआ, इस जगह कंचनजंघा एक्सप्रेस खड़ी थी तभी उसी ट्रेक पर एक मालगाड़ी ने पीछे से उसमें जोरदार टक्कर मार दी इससे यात्री ट्रेन के 4 कोच बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए और इस एक्सीडेंट के 9 लोगों की मौत हो गई और 41 घायल हो गए। घटना के बाद रेल्वे प्रशासन के साथ स्थानीय प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। इस घटना में मारने वालों में यात्री ट्रेन के गार्ड और मालगाड़ी के लोको पायलट भी शामिल है।

लेकिन इस रेल दुर्घटना की बजह अलग अलग बताई जा रही है।रेल्वे बोर्ड की चेयरमेन जया वर्मा के मुताबिक हादसे का कारण लोको पायलट का सिग्नल की अनदेखी करना है जबकि इंडिया रेल्वे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष संजय पंथी का कहना है सिग्नल खराब था फिर भी बिना सीआरएस जांच के पायलट को दोषी ठहराना गलत है। जबकि इस घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटना स्थल पहुंचे निरीक्षण के बाद कहा कि किसी भी घटना के बाद रेल्वे सेफ्टी कमिश्नर जांच करते है और जांच शुरू हो गई है जांच रिपोर्ट के बाद ही हादसे के सही कारणों का पता चल सकेगा उसके आधार पर ही दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होगी अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। मंगलवार को ट्रेक और उसके आसपास रेस्क्यू का काम पूर्ण कर लिया जायेगा।

बताया जाता है बंगाल के रानीपत्रा स्टेशन और छत्तर हॉट जंकशन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम सुबह 5.50 बजे अचानक खराब हो गया इसी के कारण सुबह 8.27 बजे जब रंगपानी स्टेशन से चली कंचनाजंघा एक्सप्रेस रानीपत्रा और छत्तर हॉट स्टेशन के बीच रोक दी गई थी। रेल्वे का नियम है कि जब ऑटोमेटिक सिग्नल फेल हो जाते है तो स्टेशन मास्टर TA – 912 नामक लिखित गारंटी जारी करता है जिससे रेल का ड्राईवर बीच में आने वाले सभी सिग्नल पार कर सकता है लेकिन इस दौरान ट्रेन की स्पीड सिर्फ 10 किलोमीटर की रखना अनिवार्य होता हैं साथ ही प्रत्येक खराब सिग्नल के पहले गाड़ी को एक मिनट के लिए रोकना पड़ता है।

जानकारी मिली है कि इस दुर्घटना के वक्त तेज बारिश हो रही थी फिर भी रानीपत्रा रेल्वे स्टेशन के स्टेशन मास्टर ने 15 मिनट के अंतराल में दोनों ट्रेनों को रेड सिग्नल क्रॉस करने की अनुमति दे दी। अब यह जांच का विषय है कि क्या मालगाड़ी के ड्राइवर ने ट्रेन को तय रफ्तार से ज्यादा तेज गति से दौड़ाया? जब कि सबाल यह भी है जब बारिश के दौरान विजीविलटी कम थी और सिग्नल खराब थे तो दोनों रेलगाड़ियों के बीच गैप मेंटेन क्यों नहीं किया गया।

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त्रिपुरा में 81 फीसदी वोटिंग, EC का कांग्रेस बीजेपी को नोटिस, टिपरा मोथा प्रमुख का चर्चित बयान

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अगरतला/ त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों किए गुरुवार को मतदान हुआ शाम 5 बजे तक 81 फीसदी वोटिंग हुई है जिसके बड़ने के आसार हैं चुनाव आयोग ने ट्यूटर पर वोट देने की अपील करने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी किया हैं। वोटो की गिनती 2 मार्च को होना है और इसके साथ ही परिणामों की घोषणा होगी।

2023 में देश के 9 राज्यों में चुनाव होना है जिसमें से त्रिपुरा में गुरुवार को विधानसभा के लिए मतदान हुआ, राज्य की 60 सीटों पर एक चरण में सुबह 7 बजे शुरू हुआ मतदान शाम 4 बजे तक जारी रहा अभी तक जो आंकड़े प्राप्त हुए है उसके मुताबिक 81 प्रतिशत मतदान हुआ है अंतिम रूप से उसके बड़ने की संभावना है। जबकि पिछले 2018 के चुनाव में 90 फीसदी वोटिंग हुई थी। त्रिपुरा की कुल 28.13 लाख की आबादी के लिए 3337 मतदान केंद्र बनाए गए थे जबकि इनमें से 97 महिला मतदान केंद्र बनाए गए थे इन 60 विधानसभा सीटों पर कुल 259 उम्मीदवार मैदान में थे। खास बात है इस चुनाव में ब्रू प्रवासियों ने भी मतदान में हिस्सा लिया जबकि 1997 में जातीय हिंसा के कारण इन्हें मिजोरम छोड़ना पड़ा था इन्हें त्रिपुरा में पुनर्वास दिया गया है।

इधर निर्वाचन आयोग ने ट्वीटर पर मतदान देने की अपील करने पर अचार संहिता उल्लघन मामले में कांग्रेस और बीजेपी को नोटिस जारी किया है।

त्रिपुरा में फिलहाल बीजेपी सत्ता में है लेकिन इस बार एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टी माकपा और कांग्रेस में गठबंधन हुआ है जो मिलकर बीजेपी को चुनौती दे रहे है जबकि टीएमसी भी 27 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं आदिवासी वोटबैंक पर हक जताने वाली टिपरा मौथा पार्टी भी मैदान में हैं खास बात है कि राज्य में 30 फीसदी आदिवासी मतदाता है और इन 60 सीटों में से 20 सीटें आदिवासी बाहुल्य है। और पिछले चुनाव में 18 सीटें बीजेपी ने जीती थी।

लेकिन टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रधोत माणिक्य देववर्मा के एक बयान से त्रिपुरा में सियासी हलचल तेज हो गई है। देववर्मा के मुताबिक उनकी पार्टी के बहुमत हासिल नहीं करने पर वह बीजेपी के विधायकों को खरीदने की सोच रहे है। मीडिया के चुनाव बाद गठबंधन और खरीद फरोख्त के सबाल पर प्रधोत माणिक्य देववर्मा बोले कि मैं अपने महल का कुछ हिस्सा बेचकर बीजेपी के 25 …30 विधायकों को खरीद लूंगा मेरे पास बहुत पैसा हैं उन्होंने आगे कहा ऐसा क्यों माना जाता है कि केवल हम ही बिकाऊ है सिर्फ हम पर ही सबाल उठाएं जाते है बीजेपी वालो को भी खरीदा जा सकता है और यह कुब्बत हम रखते हैं।

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त्रिपुरा में 16 को वोटिंग, मेघालय नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान, 2 मार्च को मतगणना

Election Commision

अगरतला, शिलांग/ त्रिपुरा में 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव होंगे, जबकि नागालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को चुनाव होना है तीनों राज्यों में मतदान के बाद मतगणना का कार्य 2 मार्च को संपन्न होगा। बीजेपी कांग्रेस टीएमसी सहित वाम दलों के बीच मुकाबला होना हैं। खास बात है त्रिपुरा में कांग्रेस ने बीजेपी को हराने के लिए अपनी धुर विरोधी वाम दल के साथ गठबंधन किया है जबकि टीएमसी के मैदान में उतरने से त्रिकोणीय संघर्ष के आसार पैदा हो गए हैं।

त्रिपुरा … त्रिपुरा में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं इन पर आदिवासी समुदाय का वर्चस्व रहा परंतु कुछ वर्षों से बांग्लादेशी शरणार्थियों के आने से बांग्ला भाषी का वोट बैंक भी यहां डवलप हो गया हैं। इस नए फेक्टर के कारण 2018 में बीजेपी ने त्रिपुरा में बड़ी जीत दर्ज की और उसकी जीत में आदिवासी वोटबैंक का रोल काफी अहम रहा पश्चिमी त्रिपुरा जहां 14 सीटे है वहां बीजेपी ने रिकार्ड 12 सीटे जीती इसके चलते बीजेपी ने पिछले 25 …30 सालों से शासन कर रहे लेफ्ट और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। यू तो 1978 से

त्रिपुरा में वाम दल हावी रहे और हर चुनाव के बाद कांग्रेस का वोटबैंक यहां कम होता गया 2013 के चुनाव में वाममोर्चा ने यहां 50 सीटे जीती जबकि कांग्रेस को 10 सीटों पर संतुष्ट होना पड़ा 2016 में इनमें से 6 विधायक टीएमसी में शामिल हो गए और 2018 में कांग्रेस बुरी स्थिति में आ गई और खाता भी नहीं खोल सकी।

खास बात है बीजेपी सत्ता को दोबारा हासिल करने के लिए उत्तराखंड वाली रणनीति पर काम कर रही है और जिस तरह उसने उत्तराखंड में रिवाज बदला उसी फार्मूले को लेकर आगे बड़ रही हैं पहले यहां विप्लव देव को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन चुनाव से ठीक पहले विप्लव को हटाकर माणिक साहा को नया मुख्यमंत्री बना दिया। साथ ही पार्टी ने क्षेत्रीय आदिवासी संगठन आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) से गठबंधन कर खुद को मजबूत किया हैं।

लेकिन कहते है राजनीति और युद्ध में सबकुछ बाजिव है तो इस 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने अपनी धुर विरोधी रहे वामदलों से गठबंधन किया है जबकि टीएमसी भी मैदान में है और वह अपने बलबूते चुनाव लड़ रही है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है। जबकि बीजेपी की परेशानी है कि आदिवासी अधिकार पार्टी बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी हुई हैं और कई नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।

2018 में त्रिपुरा में दलीय स्थिति पर नजर डाली जाएं तो कुल 60 सीटों में से बीजेपी 35, सीपीएम 16, आईपीएफटी 8 और एक सीट अन्य को हैं।

मेघालय … मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार है कोनाराड संगमा यहां के मुख्यमंत्री है 2018 में कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन बीजेपी सहित अन्य दलों ने सरकार बनाने के लिए 20 विधायक वाली एनपीपी का समर्थन कर इसकी सरकार बनवा दी थी। लेकिन चुनाव से पहले सीएम कोनराड संगमा ने सुर बदले और घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। जबकि कांग्रेस की बात की जाएं तो शिलांग के सांसद विंसेंट एच पाला ही पार्टी का मुख्य चेहरा है क्योंकि पूर्व सीएम मुकुल संगमा 12 विधायको के साथ पार्टी छोड़ चुके हैं।

जहां तक मेघालय में वर्तमान दलीय स्थिति देखी जाएं तो कुल 60 की एसेंबली में कांग्रेस के 21 विधायक, एनपीपी के 20, बीजेपी के 2 और अन्य की तादाद 17 हैं।
नगालैंड… देश का नगालैंड एक ऐसा राज्य है जहां सभी दल सत्ताधारी गठबंधन से जुड़े है लेकिन यहां नगा समस्या सबसे बड़ा मुद्दा बनी हुई है यही बजह है कि नगा जातीय संगठनों ने काफी कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है नगा संगठन पहले ही ऐलान कर चुके है कि जब तक नगा समस्या का समाधान नहीं होता तब तक वह सभी चुनावों का बहिष्कार करते रहेंगे। इधर बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए खुद 20 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ रियो को 40 सीटें देने के प्रस्ताव को मान लिया हैं जबकि पिछले चुनाव में भी बीजेपी इसी फॉर्मूले पर सहमत हुई थी। लेकिन बीजेपी की एक परेशानी का कारण पार्टी के तीन जिला अध्यक्षों का जेडीयू में शमिल होना है जिससे उसे नुकसान होने की संभावना बन सकती हैं।

नगालैंड के वर्तमान 2018 की दलीय स्थिति पर नजर डाली जाएं तो कुल 60 सीटों में से इस समय 27 पर एनपीएफ के विधायक है जबकि एनडीपीपी के 17 बीजेपी के 2 और 4 विधायक अन्य के खाते में हैं।

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