रायपुर/ छत्तीसगढ़ में आज एकसाथ 210 नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया है यह संख्या के आधार पर आतंक मचाने वाले माओवादियों का अभी तक सबसे बड़ा और ऐतिहासिक आत्म समर्पण है। जिसमें 1 करोड़ का इनामी कुख्यात नक्सली कमांडर रूपेश भी शामिल है। इन नक्सलियों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के समझ हथियारों सहित सरेंडर किया। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्रीय सरकार के विशेष प्रयासों के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर के बाद बस्तर के अन्य जिले भी नक्सली आतंक से धीरे धीरे मुक्त होते जा रहे है।
बस्तर के जगदलपुर में ऐतिहासिक मंच पर नक्सलियों का आत्मसमर्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ। 3 बसों में यह 210 नक्सली आयोजन स्थल पर लाए गए रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया गया पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने प्रत्येक नक्सली को भारत के संविधान की प्रति दी और बस्तर वासियों ने गुलाब का फूल देकर उनका मुख्य धारा में लौटने पर आत्मीय स्वागत किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और डिप्टी सीएम विजय शर्मा के समक्ष नक्सलियों के आत्म समर्पण करने की प्रक्रिया संपन्न हुई।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने इस दिन को एतिहासिक बताते हुए कहा मुझे बेहद खुशी है कि रास्ता भूलकर गलत रास्ता अपनाने वाले हमारे ही लोग आज फिर से मुख्य धारा में लौटे है और उन्होंने हमारी पुनर्वास की नीति को माना और अब आगे वह सभी अपना नया जीवन शुरू करेंगे और सरकार हर क्षण उनके साथ खड़ी है।
आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों में सबसे बड़ा 1 करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर सतीश उर्फ के. वासुदेव राव उर्फ रूपेश भी शामिल है खास बात है इन 210 नक्सलियों में महिला नक्सलियों की तादाद 153 है जो पुरुष नक्सलियों से ज्यादा है। जिसमें CCM कैडर का 1, DVCM कैडर के 21, ACM के 61, PLGA/ RPC कैडर के 22 मेंबर, DKSCC के 4 कैडर रीजनल लेबल का 1 कैडर और 98 पार्टी मेंबर शामिल है।
इन नक्सलियों से भारी मात्रा में हथियार भी मिले है जिनकी संख्या 153 से अधिक है जिसमें 19 – AK 47, 303 रायफल 36, इशांश राइफल 23, SLR 17, कार्बाइन 4, 12 बोर की बंदूक 41, BGC लॉन्चर 11, प्रमुख रूप से शामिल है।
बताया जाता है बस्तर का जगदलपुर नक्सलियों का गढ़ रहा है लेकिन इन नक्सलियों के एकसाथ आत्मसमर्पण से अब कांकेर से गरियाबंद होते हुए बीजापुर तक और उसके आगे महाराष्ट्र बोर्डर के गढ़चिरौली तक का नक्सल प्रभावित इलाका नक्सलियों से लगभग शून्य हो जायेगा। जिससे इन इलाकों में रहने वाले गरीब और ग्रामीणों को भारी राहत मिलेगी और अब यह क्षेत्र मुख्य धारा से जुड़ने के साथ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकेगा।















