गांधीनगर / गुजरात में गिर के बब्बर शेरों की लगातार हो रही मौतों से सरकार और वन अमला कटघरे में आ गया है यहां के जंगलों में 2020 में सबसे अधिक 124 शेरों की मौत हो गई थी जबकि पिछले 5 सालों में 555 शेरों की प्राकृतिक और अप्राकृतिक तरीके से मौत हो गई। अब कोर्ट ने खुद इस पर संज्ञान लिया है और वन विभाग और रेल्वे प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि इस वन्य जीव को सुरक्षित माहौल देने के साथ शून्य दुर्घटना चाहिए यानि अब एक भी शेर की मौत बर्दाश्त नहीं की जायेंगी।
आज गुजरात के साथ भारतवर्ष की आन बान शान समझे जाने वाले एशियन बब्बर शेरों (Loin) की जान खतरे में है कारण यहां के इस शानदार दमदार वन्य जीव की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है यदि पिछले 5 साल यानि 2019 से 2023 के बीच की गिनती करें तो 555 शेरों की मौत हो चुकी है यानि हर साल 100 से अधिक शेर मारे जा रहे है गंभीर बात है कि 2020 में सबसे अधिक 124 शेरों की जान चली गई।
गुजरात विधानसभा में सरकार के रखे गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 2 साल में 113 बब्बर शेर 126 बाल शेर 294 तेंदुए और 110 बाल तेंदुओं की मौत हो गई खास बात है इनमें से 21 शेर और 8 बाल शेर के अलावा 101 तेंदुए, 31 बाल तेंदुओ की अप्राकृतिक कारणों से मौत हुई हैं। जबकि 92 शेर ,118 बाल शेर (शावक), 193 तेंदुए और 89 बाल तेंदुओं की मौत प्राकृतिक रूप से हुई है।
इतनी भारी तादाद में इस वन्य प्राणि की मौत के जो प्रमुख कारण सामने आए है उसके अनुसार यह बबर शेर और तेंदुए शिकार की तलाश में यहां से वहा भटकते हुए रेलवे ट्रेक तक पहुंच जाते है और तेज गति से आ रही रेलगाड़ियों जब पटरियों से गुजरती है तो इस वन्य जीव की रेल से कटकर मौत हो जाती है। इस तरह से स्पष्ट होता है गुजरात सरकार और वन विभाग की सुरक्षा के इंतजामात नाकाफी और कितने लचर हैं।
एक तरफ गुजरात सरकार और उसे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से इन बब्बर शेरों की सुरक्षा और सुरक्षित विचरण और आवास देने के बड़े बड़े दावे किए जाते रहे है जो पहले काफी हद तक सही भी माने जाते रहे लेकिन इन दिनों तो एक तरह से इन दावों की पोल खुल गई है साफ है कि गुजरात सरकार के यह दावे इन 5 सालों में तो हवा हवाई हो गए है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जितनी तेजी से गुजरात में बब्बर शेर और तेंदुओं की तादाद बड़ रही है उसी रफ्तार से उनकी मौत भी हो रही है। जिससे वन्य प्राणिविद और वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बड़ती जा रही हैं।
लेकिन अब खुद गुजरात हाईकोर्ट ने “एशियाटिक लायन” की हो रही मौतों पर संज्ञान लिया है और रेलगाड़ियों से शेरों के कटने की घटनाओं को लेकर रेलवे प्राधिकरण और वन विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने रेलवे विभाग से पूछा हैं कि क्या आप इन दुर्घटनाओं से अंजान है? हम दुर्घटनाओं में कमी नही बल्कि शून्य दुर्घटनाएं चाहते है हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि आप शेरों को रोजाना मार रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा रेलवे की उदासीनता के कारण कई शेर मारे गए है। अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे विभाग और वन विभाग को बैठकर आपस में चर्चा करनी चाहिए।