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कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में घायल ग्रुप कैप्टन वरुण ने भी ली अंतिम सांस, पीएम ने दुख जताया

Group Captain Varun Martyr

बैंगलूरू – कुन्नूर में हेलीकॉप्टर क्रेश हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का आज बैंगलुरू के सैनिक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। इस तरह इस दुर्घटना के सभी 14 लोग अब हमारे बीच नही रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया हैं।

तामिलनाडू के कुन्नूर में गत 8 दिसंबर को सेना का हेलीकॉप्टर MI -17 VS दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और उसमें लगी भीषण आग में देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी सहित 13 सैन्य अधिकारी और जवान हेलीकॉप्टर के पायलट एवं क्रू मेंबर शहीद हो गये थे। जबकि ग्रुप केप्टम और शौर्य चक्र से सम्मानित ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की जान बच गई थी लेकिन शरीर बुरी तरह झुलसने से उनकी हालत भी काफी गंभीर थी।

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को उचित इलाज के लिये बैंगलुरू स्थित सेना के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहाँ उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी लेकिन आज करीब एक सप्ताह तक जिंदगी और मौत के बीच बिताते हुए उन्होने भी अंतिम सांस ले ली। इस तरह इस हेलीकॉप्टर हादसे में अब सभी 14 सेना अधिकारी और वीर जवान हमारे बीच नही रहे और शहीद हो गए इस तरह से उन सभी का जाना देश के लिये एक बड़ा झटका कहा जा सकता हैं।

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बोम्बई बने कर्नाटक के मुख्यमंत्री ली शपथ, येदियुरप्पा के ख़ास और लिंगायत समाज से है बोम्बई

Basavaraj S Bommai

बैंगलुरू – बसबराज बोम्बई कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गये आज उन्हें राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई, खास बात रही कि बोम्बई पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नजदीकी होने के साथ लिंगायत समाज से ताल्लुक रखते हैं।

जैसा कि पिछले दिनों कर्नाटक में चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था उंसके बाद बीजेपी नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और को पर्यवेक्षक बनाकर कर्नाटक भेजा था और मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में बसवराज बोम्बई को नेता चुना गया था और इस तरह स्पष्ट हो गया था कि बोम्बई कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे।

लेकिन पिछले डेढ़ महिने से ज्यादा वक्त से येदियुरप्पा के खिलाफ कर्नाटक में असंतुष्टों ने मोर्चा खोल दिया था जिससे उनका हटना तय माना जा रहा था परंतु येदियुरप्पा भी काफी खेले खाये नेता थे और एक तरफ वे दिल्ली से लौटने के बाद लगातार पार्टी नेतृत्व का आदेश मानने की बात करते रहे वही अंदर ही अंदर अपना समीकरण भी बैठालते रहे और कामयाब भी रहे आखिर पार्टी में उनकी ही बात को तवज्जों मिली या कहे उनकी ही चली यह कहना गलत नही होगा यही बजह रही अंदर से शांत रहे येदियुरप्पा ने ना केवल अपने खासमखास नेता बरसवराज बोम्बई को मुख्यमंत्री बनवाया।

चूंकि पार्टी हाईकमान के यह निर्णय लेने की कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री लिंगायत समाज से होगा येदियुरप्पा ने बसबराज का नाम आगे बढ़ा दिया और मंगलवार को हुई बैठक में खुद उन्होंने बोम्बई के नाम का प्रस्ताव जिस पर औपचारिक मोहर भी लग गई बाद में पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक से बाहर आने पर बोम्बई के नाम का ऐलान कर दिया। इस तरह येदियुरप्पा ने बोम्बई के लिंगायत समाज का होने से इस समाज को भी साध लिया और पार्टी हाईकमान को भी उनकी हर बात मानना पड़ी।

28 जनवरी 1960 में जन्में बसवराज बोम्बई के पिता एसआर बोम्बई भी पहले कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री रहे है और जनता दल से राजनीति की शुरूआत करने वाले बसबराज बोम्बई येदियुरप्पा सरकार में गृह कानून एव संसदीय कार्य मंत्री थे जिन्होंने मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं।

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येदियुरप्पा का कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, कहा पार्टी और कर्नाटक के लिये काम करता रहूंगा

Yeddyurappa

बैंगलुरू – कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से बीएस येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफा दे दिया है आज बीजेपी सरकार के दो साल पूरे होने के कार्यक्रम में यह घोषणा करने के दौरान वे काफी भावुक भी हो गये उंसके बाद येदियुरप्पा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात के बाद उन्हें अपना इस्तीफा सौप दिया जिसे मंजूर भी कर लिया गया है उनके इस्तीफा देने से पिछले दिनों से चल रही अटकलों को भी विराम मिल गया हैं। इस मौके पर उन्होंने पार्टी के साथ कर्नाटक के लोगों के लिये काम करते रहने की बात भी कही। खास बात है कि येदियुरप्पा देश के एक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जो चार बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अपना कार्यकाल एक बार भी पूरा नही कर सके।

17 जुलाई को ही हो गया था येदियुरप्पा के भाग्य का फैसला –

जैसा कि पार्टी में चल रही खींचतान के चलते पार्टी हाईकमान ने येदियुरप्पा को 17 जुलाई को दिल्ली तलब किया था और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी खबरें निकल कर आई कि पार्टी हाईकमान के कहने पर उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा देने की पेशकश भी की थी हालांकि उस समय उन्होंने इसका खंडन किया था लेकिन आज आखिरकार उनका इस्तीफा हो गया।

येदियुरप्पा को चौथी बार बीच मे ही देना पड़ा इस्तीफा –

इस बार दो साल तक येदियुरप्पा मुख्यमंत्री रहे ऐसा चौथी बार हुआ जब कार्यकाल पूरा होने से पहले हर उन्हें अपना इस्तीफा देना पड़ा। सबसे पहले 12 नवंबर 2007 में येदियुरप्पा 7 दिन के लिये कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने, उंसके बाद 30 मई 2008 में उंन्होने फिर मुख्यमंत्री पद सम्हाला लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्होंने 4 अगस्त 2011 को अपना इस्तीफा सौप दिया तीसरी बार 17 मई 2018 को वे कर्नाटक के सीएम बने लेकिन 6 दिन बाद 23 मई को उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और पूरे दो साल बाद चौथी बार आज फिर येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा देना पड़ा।

क्यों हटाये गये येदियुरप्पा –

पार्टी में उनके विरोध के साथ आपसी मनमुटाव के कारण येदियुरप्पा के खिलाफ असंतुष्ट नेताओं ने मोर्चा खोल दिया खासकर पार्टी के उभरते नेता बीएल संतोष उनकी कार्यविधि से खासे नाराज थे कुल मिलाकर इस वक्त वे अलग थलग पड़ गये साथ ही बिगड़ता स्वास्थ्य और उम्रदराज होना उनके लिये अलग परेशानी पैदा कर रहा था इसके अलावा शोभा करंदलाजे का केंद्र में मंत्री बनना भी एक कारण रहा।

कोन कोन है मुख्यमंत्री बनने की लाइन में –

अब सबाल उठता है कि येदियुरप्पा के बाद अब कर्नाटक का मुख्यमंत्री कोन होगा तो इसमें कई नाम सामने आये है जिसमें खनन मंत्री मुरुगेश हेगड़े बसवराज बोम्बई, विश्वेश्वरा हेगड़े कगेरी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी के नाम प्रमुखता से सांमने आये है इनमें से मुरगेश निरानी को पार्टी हाईकमान ने दिल्ली बुलाया भी है जबकि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को भी दिल्ली तलब किया गया हैं। अब देखना होगा कि किसकी किस्मत चमकती हैं।

लिंगायत समाज को साधने की चुनोती का कैसे सामना करेगी बीजेपी –

कर्नाटक में लिंगायात समाज का काफी बोलबाला है और उनकी राज्य की कुल जनसंख्या में 17 फीसदी की भागीदारी है यह समाज कुल 224 सीटों में से 90 से 100 सीटों पर अपना एकाधिकार रखने के साथ उन्हें प्रभावित करने की पूरी क्षमता रखता है और इस लिंगायत समाज पर बीएस येदियुरप्पा की काफी अच्छी पकड़ है पिछले दिनों जब येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाने की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तो लिंगायत समाज के 100 लिंगायत मठों ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए बीजेपी नेतृत्व को खुली चुनोती देने के साथ अप्रत्यक्ष रूप से धमकी तक दे डाली थी। अब अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस समाज को कैसे साधती है भविष्य में उंसके लिये यह बड़ी चुनोती होगी।

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सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबोले, संघ में मिला दूसरा स्थान, भैयाजी जोशी की जगह मिली जिम्मेदारी

Dattatreya Hosbole

बैंगलुरू – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक आज बैंगलुरू में प्रारंभ हुई जिसमें भैयाजी जोशी की जगह दत्तात्रेय हसोबोले को संघ के सरकार्यवाह की जिम्मेदारी दी गई हैं।

यह पहला मौका है जब तीन साल के अंतराल से होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यह बैठक नागपुर की जगह कही बाहर अर्थात आज बैंगलूरू में शुरू हुई हैं। इस बैठक में देश से 1500 सौ प्रतिनिधि शामिल होना थे लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बैंगलूरू में करीब 450 प्रतिनिधि शामिल हुए जबकि 44 स्थानों के 1000 प्रतिनिधि बैठक में वर्चुअल रूप से जुड़े।

जैसा कि भैयाजी जोशी 2008 से संघ में सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे थे लेकिन पिछले सालों में उंन्होने यह पद छोड़ने की इच्छा जताई थी उस दौरान 2019 के चुनाव के मद्देनजर उन्हें इस पद पर बने रहने के लिये कहा गया था। अब उनकी जगह श्री हसोबोले सहकार्यवाह के पद पर जिम्मेदारी का निर्वाहन करेंगे। और आप 2024 के चुनावों के साथ 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के कार्यक्रम के साथ ही संघ के संगठनात्मक ढांचे को मजबूती प्रदान करने में अपना योगदान देंगे।

जबकि सर्वश्री कृष्णगोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुन्द जी अरुणकुमार जी, रामदत्त चक्रधर को सह सरकार्यवाह बनाया गया ही जबकि श्री अशोक अग्रवाल को क्षेत्र कार्यवाह और श्री हेमन्त मुक्तिबोध को सह क्षेत्र कार्यवाह और श्री अशोक पोरवाल को सह क्षेत्र प्रचारक की जिम्मेदारी दी गई है साथ ही श्री स्वप्निल कुलकर्णी को मध्यभारत प्रान्त प्रचारक और श्री विमल गुप्ता को
मध्यभारत सह प्रान्त प्रचारक बनाया गया है।

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