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विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम INDIA, 11 सदस्यीय समंवय कमेटी बनायेगी आगे की रणनीति, संयोजक का ऐलान मुंबई की बैठक में

Opposition Parties Meet

बैंगलुरू/ विपक्ष की आज बैंगलुरू में हुई दूसरी बैठक में इस गठबंधन के नाम का ऐलान कर दिया गया है अब इस सामूहिक एलाइंस का नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंकल्यूसिव अलाइंस अर्थात INDIA होगा। बैठक में अभी संयोजक के नाम का निर्णय तो नहीं हुआ लेकिन 11 सदस्यीय समन्वय कमेटी के गठन का फैसला जरूर लिया गया जो संयोजक और अन्य मुद्दों पर विचार करेगी साथ ही मुंबई में होने वाली अगली मीटिंग में संयोजक के ऐलान के साथ इस अलाइंस की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जायेगी।

विपक्षी नेताओं की बैठक की अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खड़गे ने की उसके उपरांत मीडिया से बात करते हुए श्री खड़गे ने कहा 26 दलों ने आज जो गठबंधन बनाया है उसका नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंकल्यूसिव अलाइंस अर्थात इंडिया (INDIA) रखा गया है उन्होंने कहा कि बैठक में 11 लोगो की एक समन्वय समिति बनाने का निर्णय हुआ जो आगे के कार्यक्रम और रणनीति को अंतिम रूप देगी वहीं अलाइंस के संयोजक का नाम मुंबई में होने वाली बैठक में तय होगा उन्होंने टिकट शेयर पर कहा यह कोई बड़ी बात नहीं सब मिल जुल कर इस पर विचार कर लेंगे, इससे पहले खड़गे ने एक बड़ी बात भी कही कि कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री पद की दावेदार नहीं है और कहा कि हमारे बीच मतभेद हो सकते है लेकिन मनभेद नहीं है। हमें मंहगाई बेरोजगारी के साथ सीबीआई ईडी के दुर्पयोग से देश को बचाना है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया के समक्ष कहा हमारा अलाइंस “इंडिया” जनता और भारत को बचाने के लिए है आज सभी वर्ग परेशान है मोदी सरकार सिर्फ बेचने और खरीदने का काम कर रही हैं सेफ इंडिया और सैफ पीपुल के लिए इंडिया को जिताना है और भाजपा को हराना है और खरीददारी और सौदेबाजी को रोकना है इसलिए इंडिया जीतेगा तो हमारा इंडिया जीतेगा।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा पटना के बाद आज दूसरी मीटिंग हुई जिसमें 26 पार्टियां साथ आई, 9 साल पहले नरेंद्र मोदी को जिताकर देश के लोगों ने मौका दिया था इनके पास काफी समय था लेकिन उन्होंने देश के हर सेंटर को बर्बाद कर दिया चाहे वह रेल्वे हो देश की इकोनॉमी हो एयरपोर्ट हो जहाज हो सबको बेच दिया यहां तक की धरती आकाश पाताल को भी नहीं छोड़ा आज चाहे आम गरीब हो मजदूर हो व्यापारी हो दुकानदार हो किसान हो प्रत्येक व्यक्ति दुखी है आज देश में नफरत फैलाई जा रही है इसलिए बदलाव जरूरी है।

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा तानाशाही के खिलाफ जनता आज इकट्ठा हो गई है इंडिया इनको लेकर आगे बड़ेगा हमारी विचाराधारा अलग है लेकिन देश हमारा एक परिवार है और हम परिवार के रूप में देश के लिए मिलकर लड़ेंगे और आगे बड़ेंगे,उन्होंने कहा हम किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि तानाशाही पूर्ण नीति के खिलाफ है एक व्यक्ति एक देश नही हो सकता हम सब मुकाबला करेंगे और जरूर कामयाब होंगे। मुंबई में होने वाली बैठक में हम सभी मुद्दों पर विचार करेंगे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा आज संविधान और लोकतंत्र को बचाने इंडिया सामने आया है आप समझ सकते है जब कोई इंडिया के सामने खड़ा होता है तो जीत किसकी होती है देश ने बेरोजगारी मंहगाई चरम पर है केवल मोदी जी के दो तीन अरबपतियों का फायदा हो रहा है आज देश की आवाज को दबाने कुचलने का काम हो रहा है आज लड़ाई एनडीए और इंडिया के बीच है यह लड़ाई नरेंद्र मोदी और उनकी विचाराधारा और इंडिया की विचाराधारा के बीच है हम इसके लिए जल्द एक्शन प्लान तैयार करेंगे और भारत की अपनी सामूहिक विचाराधारा को इंडिया आगे लेकर बड़ने का काम करेंगे।

जबकि सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा है कि हमें देश को बचाना है आज देश के हर तबके के बीच दूरियां बड़ाने का काम हो रहा है यही वजह है कि देश की दो तिहाई से अधिक जनता बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ है। टीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा देश की एकता और हर वर्ग की भलाई के लिए हम सब एकजुट हुए है। जबकि सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा आज हम सबके इकट्ठा होने का मकसद देश को बचाना और उसके संवैधानिक मूल्यों को मजबूत बनाना है।

एनसीपी नेता शरद पवार और आरएलडी नेता जयंत चौधरी भी आज की बैठक में सम्मलित हुए, उनके अलावा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव जेडीयू नेता नीतीश कुमार अध्यक्ष ललन प्रसाद, टीएमसी नेता एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, टीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती नेशनल कोंफ्रेस नेता फारुख अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला,सपा प्रमुख अखिलेश यादव, डीएमके नेता एवं सीएम एमके स्टालिन आप के संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री भगवंत मान, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे संजय राउत, जेएमएम नेता एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी सीपीआई नेता डी राजा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सहित 26 दलों के नेता प्रमुख रूप से शामिल थे। जिसमें नए आमंत्रित 8 दल एमडीएमके केडीएमके वीसीआईसी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ,इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी केरल कांग्रेस (जोसेफ) इंडियन यूनिवर्सल मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (मणि) के नेता भी बैठक में शामिल रहे।

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बैंगलुरू में विपक्षी पार्टियों महामंथन, सोनिया गांधी ने दिया डिनर, 26 दल के नेता हुए शामिल, बैठक में संयोजक और मोर्चे का नाम आ सकता है सामने

Opposition Parties Meet

बैंगलुरू/ आज विपक्ष की 26 राजनेतिक पार्टियों के नेता बैंगलुरू पहुंच गए है उन्हें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने डिनर पर आमंत्रित किया। 18 जुलाई को विपक्षी राजनीति पार्टियों की होने वाली दूसरी मीटिंग में 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी सरकार के खिलाफ रणनीति पर नेताओं के बीच चर्चा होगी साथ ही अन्य जरूरी जिम्मेदारियों को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना जताई जा रही हैं। साथ ही मोर्चे का नाम और संयोजक कोन होगा इसको अंतिम रूप दिया जा सकता है।

बैंगलुरू में आज डिनर से पहले एक इनफॉर्मल बैठक हुई जिसमें सोनिया गांधी ने टीएमसी नेता ममता को अपने पास बिठाया और नेताओं के आने से पहले भी उनके बीच बातचीत हुई। मुख्य बैठक से पहले आज सभी दलों के नेताओं से कहा गया कि वह इस फ्रंट का नया सोचे लेकिन उसमें इंडिया जरूर शामिल होना चाहिए वही कहा गया कि फिलहाल कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का स्वरूप छोटा रखा जाए, साथ ही एक टैग लाइन “हम एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे” भी सामने रखी गई और बताया गया सभी अपने सुझाव कल 18 जुलाई को होने वाली फॉर्मल बैठक में रखे जिसमें सभी मुद्दों और सुझावों को अंतिम रूप दिया जा सके। इस इनफॉर्मल मीटिंग के बाद सभी नेताओं को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की तरफ से ताज वेस्ट एंड होटल में डिनर पर इनवाइट किया गया।

कांग्रेस के मुताबिक इसमें 26 राजनेतिक दलों के नेता शामिल हुए। जिसमें जेडीयू नेता एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अध्यक्ष ललन सिंह आरजेडी नेता लालूप्रसाद यादव डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव टीएमसी नेता एवं मुख्यमत्री ममता बनर्जी, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री भगवंत मान संजय सिंह, जेएमएम नेता एवं मुख्यमत्री हेमंत सोरेन सपा प्रमुख अखिलेश यादव शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे डीएमके नेता एवं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन टीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला सीपीआई के डी राजा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रमुख रूप से मोजूद रहे। बताया जाता है एनसीपी नेता शरद पवार मंगलवार को होने वाली बैठक में शामिल होंगे।

जो खबरें सामने आ रही है उसके मुताबिक 18 जुलाई को होने वाली बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, राज्यवार गठबंधन संसदीय सीट की शेयरिंग पर विचार विमर्श होने के साथ ही विपक्षी पार्टियों की इस एकजुटता के महागठबंधन को एक नया नाम देने पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा सभी दलों के समन्वय अर्थात कोर्डिनेशन किए एक संयोजक की नियुक्ति को भी अंतिम रूप दिया जा सकता है। पिछली बैठक में महागठबंधन के संयोजक के रूप में नीतीश कुमार का नाम सामने आया था संभावना है उन्हें इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है वही सोनिया गांधी एक सुलझी हुई और सीनियर नेता है साथ ही वह प्रधानमंत्री के पद की दौड़ से भी बाहर है इसलिए वह इस विपक्षी फ्रंट का चेयर पर्सन सोनिया गांधी को बनाया जा सकता है। लेकिन यह सभी संभावनाएं है अंतिम फैसला मंगलवार को विपक्षी पार्टियों की बैठक में ही होगा।

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एनडीए की मीटिंग पर कांग्रेस ने साधा निशाना, विपक्ष की पटना बैठक से घबरा गई है बीजेपी

Congress

बैंगलुरू/ कांग्रेस ने आज बैंगलुरू में कहा कि 23 जून को पटना में हुई 15 विपक्षी पार्टियों की एकजुटता और बैठक से बीजेपी बुरी तरह घबरा गई है और उसे 2024 में अपनी हार दिखने लगी है इसलिए उसे अब उसे अपनी सहयोगी पार्टियों की फिर से याद आ गई है और एनडीए के नाम पर उन्हें फिर से एकजुट करने में लग गई है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कान्फ्रेस में कहा कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों के बल पर विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है पहले बीजेपी कहती थी कि हम अकेले की दम पर अगला लोकसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाएंगे और नरेंद्र मोदी देश के फिर से प्रधानमंत्री होंगे लेकिन अब एनडीए की बैठक बुला रहे है उन्होंने कहा कि विपक्ष की बैंगलुरू में होने वाली बैठक आगामी समय में गेम चेंजर होंगी।

जबकि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जयराम नरेश ने कहा कि पटना की बैठक के बाद लगता है बीजेपी घबरा गई है और पहले जहां कोई जिक्र नहीं था अब प्रधानमंत्री को एनडीए और अपने पुराने साथियों की याद आई है और उसमें जान फूंकी जा रही है साफ है विपक्षी एकता से अब बीजेपी को अपनी हार निश्चित लगने लगी है।

जबकि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा हमारी 18 जुलाई की बैठक के बाद स्पष्ट चित्र सामने आ जायेगा, 15 दिन पहले हमला करते थे सारा विपक्ष भ्रष्ट है पारिवारिक पार्टियां है अब जब जाने आप एनडीए की बैठक में परिवार वाली पार्टियों को नहीं बुलाएं, उन्होंने कहा एनडीए की बैठक होना विपक्षी एकता की जीत है।

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2024 की लड़ाई, विपक्ष की 18 जुलाई को बैंगलुरू में मीटिंग, 17 को भोज, सोनिया गांधी भी होंगी शामिल, कांग्रेस के ऐलान के बाद आप का रास्ता साफ

Opposition Meeting In Patna

नई दिल्ली, बैंगलुरू/ भाजपा के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले विपक्षी राजनेतिक दलों की 18 जुलाई को बैंगलुरू में दूसरी मीटिंग होने वाली है लेकिन इस बैठक में शिरकत करने वाले सभी दलों के नेता 17 जुलाई को ही बैंगलुरू पहुंच जाएंगे और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के द्वारा दिए जा रहे भोज में शामिल होंगे। जैसा की पहली मीटिंग जो पटना में हुई थी उसमें 15 दलों के नेता शामिल हुए थे लेकिन इस बार 9 अन्य दलों को भी इस बैठक में निमंत्रण दिया गया है इस तरह बैंगलुरू की बैठक में अब 24 दलों के नेताओं के शिरकत कराने की संभावना जताई जा रही है। वही महत्वपूर्ण बात है कांग्रेस नेता एवं यूपीए की चेयर पर्सन सोनिया गांधी भी इस बैठक में शामिल हो रही है साफ है 2019 के बाद वह एक बार फिर सक्रिय राजनीति में उतर रही है। जबकि बीजेपी के दिल्ली सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अध्यादेश का कांग्रेस के विरोध करने की घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी भी बैठक में शामिल होगी अब यह भी साफ हो गया है।

मोदी सरकार के खिलाफ समूचा विपक्ष एकजुट हो गया है 23 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की हुई मीटिंग में 15 राजनेतिक दल शामिल हुए थे लेकिन अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 9 और दलो को भी आगामी 18 जुलाई को बैंगलुरू में होने वाली बैठक में शामिल होने का न्यौता चिट्ठी भेज कर दिया है। यदि यह सभी पार्टियां 18 जुलाई को वाली विपक्ष की बैठक में शामिल होती है तो विपक्ष का कुनबा 24 पार्टियों का हो जाएगा जबकि कुछ और पार्टियों के साथ आने का दावा भी विपक्ष ने किया है।

खास बात है दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र की बीजेपी सरकार के अध्यादेश लाए जाने का कांग्रेस विरोध करेगी आज कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कान्फ्रेस में कहा जहां भी संघीय ढांचे पर हमला होगा कांग्रेस उसका पुरजोर विरोध दर्ज करेगी इस घोषणा का आप नेता राघव चड्डा ने स्वागत किया है इस तरह आम आदमी पार्टी के आने या ना आने का संशय अब खत्म हो गया है 18 जुलाई की बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप नेता अब शामिल होंगे। इस तरह पिछली बार जो 15 राजनेतिक पार्टी विपक्ष की बैठक में शामिल हुईं थी उसमें कांग्रेस जेडीयू आरजेडी समाजवादी पार्टी एनसीपी (शरद पंवार गुट) शिवसेना (उद्धव गुट) आप, नेशनल कांफ्रेस, टीडीपी, टीएमसी, सीपीआई (एम), सीपीआई, जेएमएम, डीएमके, इसके अलावा यदि 9 और राजनेतिक दल शामिल होते है तो टीडीए की ताकत 24 विपक्षी पार्टियों की हो जायेगी।

बैंगलुरू की बैठक में जिन खास मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना होगी और विचार विमर्श कर उन्हें अंतिम रूप दिया जायेगा उसमें पहला होगा गठबंधन को लीड कोन करेगा यानि इस विपक्षी गुट की अगुआई कोन करेगा और इसके लिए एक अध्यक्ष या चेयर पर्सन का चयन होना अनिवार्य है साथ ही पार्टियों को एकजुट रखने और आपसी सामंजस्य के लिए एक संयोजन का चुनाव भी करना होगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है लोकसभा की सीटों का बंटवारा यानि बीजेपी के कैंडीडेट के खिलाफ एक सीट पर एक कैंडीडेट का चयन, बीजेपी से वन टू वन मुकावले के लिए लोकसभा की सीटों के इस बंटवारे का क्या फार्मूला होगा, जिससे लोकसभा चुनाव में एक संसदीय क्षेत्र में विपक्ष की एक पार्टी का एक मजबूत प्रत्याशी बीजेपी कैंडिडेट के सामने हो और बाकी दल जो उस प्रदेश में अपना कुछ ना कुछ प्रभुत्व रखते है वह उस प्रत्याशी को जिताने के लिए अपना पूरा जोर लगाएं। प्रत्याशी चयन के दौरान सभी पार्टियां संतुष्ट हो और उनमें कोई दरार पैदा न हो और एकजुट होकर मिलकर चुनाव में उतरे।

इसके बाद आता है विपक्ष के बीजेपी की मोदी सरकार के खिलाफ क्या मुद्दे होंगे और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का डाटा तैयार करना इसपर सभी पार्टियों के सुझाव के अनुसार अंतिम फैसला लिया जा सकता हैं।

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बैंगलुरू में एयनोटिक्स इंटरनेट कंपनी के एमडी और सीईओ की हत्या

Murdered

बैंगलुरू / बैंगलुरू में एयनोटिक्स इंटरनेट कंपनी के एमडी और सीईओ की धारदार हथियार से निर्ममता से हत्या करने की घटना सामने आई है बताया जाता है इस वारदात को कंपनी के एक पुराने कर्मचारी ने अंजाम दिया हैं।

घटना मंगलवार को शाम 4 बजे की है बैंगलुरू स्थित एयनोटिक्स इंटरनेट कंपनी के दफ्तर में रोजाना की तरह कामकाज चल रहा था तभी कंपनी का पूर्व कर्मचारी फेलिक्स दफ्तर में दाखिल हुआ और पहले डीएम फणीद्र सुब्रमण्यम के पास पहुंचा और उनपर तलवार से हमला कर दिया उसके बाद उसने सीईओ वीनूकुमार को निशाना बनाया और ताबड़तोड़ तरीके से तलवार से हमला बोल दिया इस घटना में दोनों की मौत हो गई। बताया जाता है जब तक अंदर अन्य कर्मचारी कुछ समझते आरोपी वहां से फरार हो गया।

खबर मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसने तफ्तीश शुरू की पुलिस ने दोनों अधिकारियों के शवों को पीएम के लिए रवाना कर दिया और हत्या का प्रकरण दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है फिलहाल आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर बताया जाता हैं।

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कर्नाटक में सिद्धारमैया ने सीएम और शिवकुमार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली, 8 मंत्री भी बने, विपक्षी पार्टियों के नेता भी रहे मोजूद

DK Shivakumar and SIddaramaiah takes Oath

बैंगलुरू / सिद्धारमैया ने आज कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली साथ ही 8 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सभी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर कई विपक्षी पार्टियों के नेता भी समारोह में शामिल हुए। इसके उपरांत केबिनेट की पहली बैठक में कांग्रेस सरकार ने जनता को वायदे के रूप में दी 5 गारंटियों के प्रस्ताव को भी मंजूर कर दिया।

बैंगलुरू के कांटेरवा स्टेडियम में कांग्रेस की सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित जेडीयू नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनसीपी प्रमुख शरद पवार वामपंथी नेता सीताराम येचुरी, डी राजा नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती तामिलनाडू के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सुरेन,आरजेडी नेता एवं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव एमएनएम नेता कमल हासन प्रमुख रूप से मोजूद थे इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी समारोह में शामिल हुए।

राज्यपाल श्री गहलोत ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस के 8 विधायकों को भी शपथ दिलाई जिसमें जी परमेश्वर, केएच मुनिअप्पा, केजे जॉर्ज एमबी पाटिल, सतीश जरकीवेली, रामलिंगा रेड्डी, प्रियांक खड़गे बीजे जमीर अहमद खान शामिल है खास बात है इसमें लिंगायत दलित पिछड़े जनजाति और अल्पसंख्यक जाति वर्ग का विशेष ध्यान दिया गया लेकिन फिलहाल किसी महिला को मंत्री नही बनाया गया है बताया जाता है आज बने यह सभी मंत्री अध्यक्ष खड़गे और हाईकमान से सीधे जुड़े है जानकारी मिली है कि कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल में 34 सदस्य होंगे,और हों सकता है अन्य मंत्रियों के चयन के लिए सिद्धार मैया और डीके शिवकुमार जल्द दिल्ली जा सकते है और संभवत: अगले विस्तार में महिला को मंत्री भी बनाया जा सकता है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह जीत गरीब पिछड़े और दलित वर्ग की है बीजेपी के पास धन है जबकि हमारे पास सच्चाई है उन्होंने कहा कर्नाटक की जनता ने नफरत और भ्रष्टाचार को हराया है और उन्होंने कर्नाटक में मोहब्बत की दुकान को खोला है और यह सरकार जनता की सरकार है राहुल गांधी ने 5 गारंटियो का हवाला देते हुए कहा कि हम जो कहते है वह करके दिखाते है कांग्रेस सरकार कर्नाटक की जनता के साथ किए सभी वायदे पूरे करेगी और आज ही पहली बैठक में इन 5 गारंटियो पर अपनी मुहर लगाएगी।

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बुलावे के बावजूद टीएमसी बीएसपी और समाजवादी पार्टी से कोई शामिल नहीं हुआ जबकि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी भी नही आई जबकि 9 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ओडिसा के मुख्यमंत्री एवं बीजेडी नेता नवीन पटनायक, बीआरएस नेता एवं तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वायएस जगमोहन रेड्डी और केरल के सीएम और वायएसआर कांग्रेस के नेता पी विजयन को कांग्रेस ने न्योता ही नही दिया था।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद सिद्धारमैया सरकार की केबिनेट की पहली बैठक हुई और उसमें जनता को दी इन 5 गारंटियों के प्रस्ताव को केबिनेट ने मंजूर किया , खास बात रही डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने विधानसभा में प्रवेश से पूर्व प्रवेश व्दार पर पहले मत्था टेका। बाद में आयोजित प्रेस कान्फ्रेस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि हमने यह इन 5 वायदों को स्वीकृत कर दिया है केबिनेट की अगली बैठक में इन्हें लागू कर दिया जायेगा। इन 5 गारंटियों में

1. गृह ज्योति योजना – प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट बिजली फ्री,

2. गृह लक्ष्मी योजना – प्रत्येक परिवार की मुखिया महिला को 2 हजार रूपए प्रतिमाह,

3. युवा निधि योजना – प्रत्येक ग्रेजुएट को हर महीने 3 हजार रूपए और डिप्लोमा होल्डर को 1500 रुपए देने का प्रावधान,

4. अन्न भाग्य योजना – प्रत्येक बीपीएल परिवार को हर माह 10 किलो चांवल फ्री,

5 वी गारंटी शक्ति योजना – सरकारी बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर की सहूलियत शामिल है।

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कर्नाटक के 5 जोन में कांग्रेस ने बाजी मारी, एक में पीछे, लिंगायत के साथ एससी एसटी पर चला कांग्रेस का जादू, लिंगायत की नाराजगी ने ढहाया बीजेपी का किला?

Kharge and Bommai

बैंगलुरू / कर्नाटक के छह जोन में से 5 जोन में कांग्रेस ने बीजेपी को बुरी तरह मात दी और उससे सीटें छीन ली लेकिन एक जोन में कांग्रेस बीजेपी से पीछे रही यहां इसे नुकसान उठाना पड़ा खास बात है कांग्रेस की इस बड़ी जीत में अनुसूचित जाति जनजाति और लिंगायत मतदाताओं ने भी उसका खुलकर साथ दिया जिससे कांग्रेस बीजेपी के गढ़ में सैंध लगाने में कामयाब रही।

कर्नाटक के ओल्ड मैसूर में कांग्रेस को भारी सफलता हाथ लगी कुल 64 सीटों में कांग्रेस ने 43 सीटे जीती खास बात है पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस ने यहां बीजेपी से 11 और जेडीएस से 12 सीटें छीनी इस तरह उसने इस बेल्ट में इन दोनों पार्टियों की 23 सीटे अपने नाम कर बड़ी कामयाबी हासिल की। खास बात है यहां बोक्कालिंगा समुदाय निर्णायक है और उसके झुकाव ने कांग्रेस को यहां सफलता दिलाई।

दूसरे जोन मुंबई (महाराष्ट्र) कर्नाटक में कुल 50 विधानसभा सीटें है उनमें से कांग्रेस ने 33 सीटें जीती जबकि बीजेपी को 16 और जेडीएस को 1 सीट मिली यहां बीजेपी से कांग्रेस ने 14 और जेडीएस ने एक सीट छीनी और एक अन्य की अपने खाते में जोड़ी इस तरह इस बेल्ट में कांग्रेस को 5 सीटों का फायदा हुआ, बताया जाता है 2008 में यहां का लिंगायत वोटर्स येदियुरप्पा से जुड़ा और उसने उस समय बीजेपी को 36 सीटें दी थी लेकिन साफ है कि येदी को तबाज्जो ना मिलने से यह लिंगायत वोट बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस के पाले में चला गया।

तीसरा जोन कोस्टल कर्नाटक कभी बीजेपी का गढ़ कहलाता था लेकिन यहां की कुल 19 सीटों में से कांग्रेस ने 6 सीटें जीती जिसमे उसने 3 सीटें बीजेपी से ले ली बीजेपी को यहां 13 सीटें मिली है खास बात है इस हिंदू बाहुल्य वाले इलाके में हिजाब मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे फेल रहे और बीजेपी को 3 सीटों का नुकसान हुआ।

चौथे जोन मध्य कर्नाटक बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है यहां की कुल 23 सीटों में से कांग्रेस ने इस बार 15 सीटें जीती जबकि पिछली बार उसने सिर्फ 4 सीटें जीती थी इन 11 में से उसने 10 सीटें बीजेपी से और 1 सीट जेडीएस से छीन ली बीजेपी को इस चुनाव में 6 और जेडीएस को 1 सीट मिली है। खास बात है यह बेल्ट लिंगायत एससी और एसटी के बेल्ट है जिसमें कांग्रेस ने सीधी सीधी सैंध लगाने का काम कर डाला 11 सीटें ज्यादा जीती।

हैदराबाद कर्नाटक जो पांचवां जोन है उसमें कुल 40 विधानसभाएं है यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ है यहां इस बार कांग्रेस ने रिकार्ड बनाया और 40 में से 26 सीटें जीती और उसने 5 सीटें अधिक जीती जो सभी बीजेपी की थी कांग्रेस ने यहां 2013 में 23 और 2018 में 21 सीटें जीती थी तीसरी बार उसने आधे से अधिक 26 सीटें जीतकर हैट्रिक बना डाली।

बैंगलुरू सिटी छठा जोन जो अरबन इलाका कहलाता है वहां 28 विधानसभा सीटें है यहां बीजेपी आगे रही है बीजेपी को यहां 15 सीटें मिली जबकि कांग्रेस को 13 सीटें मिली है बीजेपी को 2018 में 11 सीटें मिली थी लेकिन इस बार उसे 4 सीटें अधिक मिली जिसमें से 2 कांग्रेस से और 2 जेडीएस से छीनी है। जैसा कि इस शहरी क्षेत्र का वोट प्रतिशत कम रहा था जिसका लाभ बीजेपी को मिला।

कर्नाटक में लिंगायत (17 %) और वोक्कालिंगा (14%) वोट को निर्णायक माना जाता है जिसमें से लिंगायत बीजेपी का कोर वोट कहलाता है लेकिन चुनाव से पहले कर्नाटक में राजनीतिक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि कांग्रेस को फायदा और बीजेपी को बड़ा घाटा हुआ। कर्नाटक में बीजेपी के पास लिंगायट समाज पर सबसे अधिक पकड़ राखने वाले नेता बीएस येदियुरप्पा है जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और डिप्टी सीएम रहे लक्ष्मण सावदी लिंगायत समाज से आते है उनमें से बीजेपी ने येदियुरप्पा को अलग थलग कर दिया और शेट्टार और सावदी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया और दोनों बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। जबकि बोम्मई की लिंगायत समाज में कोई खास पैठ नहीं थी इस सबके चलते लिंगायत वोट बैंक बीजेपी से बुरी तरह नाराज हो गया और उसे छोड़कर उसने इन चुनावों में कांग्रेस का साथ दिया इस तरह लिंगायत की नाराजगी कर्नाटक में बीजेपी का किला ढहने का बड़ा एक बड़ा कारण बनी।

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कर्नाटकबैंगलुरू

कर्नाटक चुनाव, कांग्रेस ने 136, बीजेपी 65 और 19 सीट पर जेडीएस जीती, बीजेपी सरकार के 12 मंत्री चुनाव हारे

BJP JDS and Congress

बैंगलुरू/ कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रिकार्ड 136 सीट पर जीत हासिल की है जबकि बीजेपी ने 65 और जेडीएस ने 19 विधानसभा सीट जीती है और 4 पर अन्य पार्टी के प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया हैं। इस तरह कांग्रेस ने पिछले चुनाव की अपेक्षा 56 सीट ज्यादा जीतकर इतिहास रच दिया जबकि बीजेपी को 39 और जेडीएस को 18 सीटों का नुकसान हुआ है वही अन्य के खाते में एक सीट का इजाफा हुआ है।

लेकिन बीजेपी को तब तगड़ा झटका लगा जब इसके 12 मंत्री चुनाव में पराजित हो गए, गोविंद कराजोला मुधोला से चुनाव हार गए जबकि श्री रामुलू केलारी ग्रामीण, वी सोमन्ना वरुणा जेसी मधुस्वामी चिक्कनायक नहल्ली से वी चोमन्ना चामराजनगर और मुरुगेश रुद्रप्पा निराली बिलगी से चुनाव हार गए जबकि बीसी पाटिल हिरेकेरूर, डॉ के सुधाकर चिक्कावल्लापुर से एटीबी नागराज होसकोटे से नारायण गौड़ा केआर थेठ से बीसी नागेश तितपुर से और शंकर पाटिल मुनेनकोप्पा नवलगुंड विधानसभा से हार गए है एक साथ 12 मंत्रियों के पराजित होने से समझा जा सकता है बोम्मई सरकार की कर्नाटक की जनता में क्या इमेज थी।

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कर्नाटकबैंगलुरू

कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत और बीजेपी की करारी हार, क्या रहे प्रमुख कारण- एक विश्लेषण

Congress

बेंगलुरू/ कर्नाटक में पिछले 37 साल का रिकार्ड है कि सत्तासीन पार्टी दूसरी बार चुनाव नही जीत पाती लेकिन बीजेपी को इतनी करारी हार मिलेगी वह बीजेपी तो दूर किसी ने नहीं सोचा था लेकिन यह आज सच हो गया और कांग्रेस ने कर्नाटक में प्रचंड जीत हासिल कर बीजेपी को बुरी तरह से परास्त कर दिया, कांग्रेस की जीत के क्या कारण रहे तो बीजेपी ने कोन सी गलतियां की जिससे उसे करारी हार मिली राजनीतिक रूप से इस पर निगाह डालना जरूरी हैं।

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को तवज्जों नहीं दी, बजरंगबली का मुद्दा उल्टा पड़ा …

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को कोई खास तवज्जों नहीं दी बल्कि अपने प्रमुख नेता और लिंगायत समाज में खास पकड़ रखने वाले वीएस येदियुरप्पा को भी पीछे रखा जिससे जो लिंगायत वर्ग उनसे परंपरागत रूप से जुड़ा था वह बीजेपी से छिटक गया और उनके नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ और कांग्रेस को वोट देने की अपील तक जारी करदी। इसके अलावा बीजेपी कांग्रेस के बजरंग दल के बेन के निरेटिव में फंस गई और उसने इसे बजरंगवली का अपमान बताकर उसे भुनाने की खास कोशिश की खुद पीएम मोदी ने अपनी 21 सभाओं में से 19 सभाओं में बजरंगवली का नाम लेकर मतदाताओं को धर्म के नाम पर प्रभावित कराने का भरपूर प्रयास किया उत्तर भारत में धर्म के नाम पर जो मुद्दा जनता को जोड़ता था। वह दक्षिण भारत के कर्नाटक और उसके कन्नड़ भाषाई इलाकों में बुरी तरह फ्लॉप ही नही हुआ बल्कि कहे उल्टा पड़ गया क्यों कि इससे मुस्लिम वर्ग का वोट जो कुछ प्रतिशत बीजेपी और आरजेडी को मिलता था वह पूरी तरह एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में चला गया साथ ही लिंगायत समाज और अनुसूचित जाति भी इससे खासी नाराज हो गई । साथ ही बीजेपी के अजान हलाल और हिजाब के मुद्दे बेअसर रहे। जहां तक करेप्शन के इश्यू की बात है पीएम ने भी इसे जोरशोर से उठाया राजीव गांधी के 15/85 के मामले को लेकर वह कांग्रेस पर हमलावर रहे लेकिन कर्नाटक की बीजेपी सरकार के 40 फीसदी के कमीशन के मुद्दे के आगे फेल वह हो गया।

कांग्रेस ने एकजुटता का संदेश दिया तो बीजेपी अंतरकलह से घिरी …

बीजेपी में शुरू से ही अंतरकलह देखी गई हाईकमान ने जैसे ही कुछ नेताओं को टिकट की दौड़ से बाहर करने का ऐलान किया इससे कर्नाटक में तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिली और बीजेपी में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई उनके पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी सहित कमोवेश 47 नेताओं ने बगावत कर दी और बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया, जबकि कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में आई दूरियां कम की बल्कि दोनो में वीडियो के माध्यम से आम कार्यकर्ता में सुलह का एक संदेश देने की भी कोशिश की जिसका प्रभाव भी पड़ा।

बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को चुनावी केंपियन से दूर रखा तो कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को तवज्जों दी…

बीजेपी ने केंद्रीय नेताओं और केंद्रीय योजनाओं को खास अहमियत दी उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधो पर पूरा चुनाव लड़ा उनके अलावा गृहमंत्री अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पार्टी के ब्राह्मण नेताओं को खास तवज्जों दी गई लेकिन अपने प्रमुख नेता पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा सहित कई प्रमुख स्थानीय नेताओं को चुनावी केंपियन से दूर रखा ।जबकि कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को अहमियत दी कांग्रेस ने सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जो खुद कर्नाटक से आते है उनके अलावा सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को खुलकर चुनाव प्रचार का मौका दिया।

Modi and Rahul
PM Narendra Modi and Rahul Gandhi

कांग्रेस के मुद्दे बीजेपी पर हावी रहे …a

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस बड़ी रणनीति के साथ मैदान में उतरी उसने स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी मंहगाई बेरोजगारी किसानों की समस्या के साथ बोम्मई सरकार के भ्रष्टाचार और 40 प्रतिशत कमीशन खोरी को बड़ा मुद्दा बनाया और भ्रष्टाचार के मुद्दे को जन जन तक पहुंचाने में वह कामयाब भी रही, इसके अलावा कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनहित की 5 गारंटी दी उसका भी आम मतदाताओं पर काफी प्रभाव पड़ा। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाने के साथ नंदिनी दूध के खिलाफ अमूल को कर्नाटक में प्रॉजेक्ट करने के मुद्दे को लपक लिया और उसको बीजेपी के खिलाफ खास तूल दिया खुद प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने नंदिनी दूध के केंद्रों पर जाकर इस मुद्दे को हवा दी।

बीजेपी ने केंद्रीय योजनाओ और विकास का हवाला दिया…

जबकि बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को छोड़कर केंद्रीय योजनाओं और विकास के मुद्दे को जनता के सामने रखा और यह भी कहा कि यदि बीजेपी नहीं जीती तो कर्नाटक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से वंचित हो जायेगा जो लगता है कर्नाटक के शिक्षित और स्वाभिमानी वर्ग ने धमकी के रूप में दिल पर ले लिया। जबकि बीजेपी ने अपने प्रजा ध्वनि में जनता के लिए कई मन लुभावन योजनाओं की घोषणा की थी बीपीएल कार्ड धारकों को साल में तीन रसोई गैस सिलेंडर रोजाना आधा किलो नंदिनी दूध श्री अन्न योजना के तहत 5 केजी अनाज, ब्याज मुक्त 5 लाख का लोन,10 लाख बेघरों को मकान सहित कई मन लुभावन योजनाओ की घोषणा की थी जबकि बीजेपी अध्यक्ष जेपी लड्डा ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को रेवड़ी की संज्ञा दी थी। लेकिन कांग्रेस की 5 गारंटी इसपर भारी पड़ गई।

टिकट डिस्ट्रीब्यूशन और घोषणा पत्र में पिछड़ी बीजेपी …

कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जिसमें करीब आधी सीटें शामिल थी चुनाव से करीब डेढ़ महीने पहले ही जारी करदी बकाया प्रत्याशी भी जल्दी घोषित हो गए जबकि बीजेपी ने इसमें देरी कर दी यही हाल घोषणा पत्र का हुआ कांग्रेस ने अपनी 5 गारंटी वाला घोषणा पत्र पहले ही जारी कर दिया और बीजेपी का चुनाव से एक हफ्ते पहले घोषणा पत्र जारी हुआ।इसके अलावा टिकट वितरण में खुद बीजेपी कार्यकर्ता मानते है कुछ गलतियां बीजेपी से हुई साथ ही जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी सहित 47 नेताओं के बीजेपी छोड़ने से स्थानीय तौर पर बीजेपी कमजोर हुई उन क्षेत्रों में उसके कार्यकर्ता मायूस और निष्क्रिय हो गए जिसका असर लिंगायत और वोक्कालिंगा वोटों पर भी पड़ा।

भारत जोड़ो यात्रा का असर …

कर्नाटक से भारत जोड़ों यात्रा की शुरूआत हुई थी और करीब 27 दिन राहुल गांधी ने इस राज्य में पैदल भ्रमण किया इस दौरान वह लोगों से काफी आत्मीयता और नजदीक से रूबरू हुए जिसका लगता है काफी प्रभाव इन चुनावों में देखा गया जिस क्षेत्रों से यह यात्रा गुजरी वहां की 75 फीसदी सीटों से कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

कमजोर मुख्यमंत्री और एंटी अनकंबेंसी, कांग्रेस के निरेटिव में फंसी बीजेपी…?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के व्यक्तित्व और उनकी सरकार का आम जनता पर कोई प्रभाव नहीं था वह केंद्रीय नेताओं के बीच काफी सुस्त और लिजी दिखे साथ ही बीजेपी सरकार की एंटी अनकांबेंसी का खासा असर स्थानीय वोटरों पर देखा गया, खास बात देखने में रहा पहले जो कांग्रेस बीजेपी के बनाएं निरेटिव के जवाब देती घूमती थी लेकिन इन चुनावों में पहली बार देखा गया कि बीजेपी कांग्रेस के बनाएं निरेटिव में फंस गई और उसका जबाव देती रही।

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कर्नाटकबैंगलुरू

कर्नाटक में कांग्रेस प्रचंड बहुमत की ओर सरकार बनना तय, रूझानों में कांग्रेस 137, बीजेपी 63, जेडीएस 20 पर सिमटी

BJP and Congress Flag

बैंगलुरू/ कर्नाटक में आज हुई मतगणना में कांग्रेस शुरू से ही आगे दिखाई दी साफ था कि कर्नाटक में पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है दोपहर के तीन बजे तक आएं रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को 137 बीजेपी को 63 जेडीएस को 20 और अन्य को 4 सीटों पर जीत मिलने वाली हैं। इससे साफ होता है कांग्रेस प्रचंड बहुमत से जीत रही है तो बीजेपी की करारी हार हो रही हैं।

कर्नाटक में प्रमुख रूप से तीन राजनेतिक दल चुनावी मैदान में है जिसमें दो राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी है तो एक प्रादेशिक पार्टी जनता दल सेक्यूलर चुनावी मैदान में थे। लगता है बीजेपी को बोम्मई सरकार की एंटीइंकमबेंसी ने भारी नुकसान पहुंचाया जबकि जेडीएस जो खुद को किंग मेकर की भूमिका में समझ रही थी उसको कर्नाटक के वोटर ने बुरी तरह नकार दिया क्योंकि मतदाता जो बीजेपी को सत्ता से दूर रखना चाहते थे उन्हें संशय था कि जेडीएस कही अच्छी सीट लेने के साथ बीजेपी से हाथ नही मिलाले वह दूसरी बहुमत जीतने वाली पार्टी को वोट देना चाहते थे और जेडीएस का वोट बैंक खासकर मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के खाते में जुड़ गए और उन्होंने जेडीएस की बजाय एकतरफा कांग्रेस को वोट दिया जो कांग्रेस की बड़ी जीत का कारण बना। खास बात है कांग्रेस ने बीजेपी के वोट बैंक ख़ासकर नाराज लिंगायत को भी कुछ हद तक अपने साथ जोड़ा।

अभी तक जो रूझान आए है उसके मुताबिक कांग्रेस को 137 सीट पर बीजेपी को 63 पर जेडीएस 20 सीट पर और अन्य को 4 सीटों पर जीत और बढ़त मिल रही है। इस तरह कांग्रेस को 57 सीट का फायदा बीजेपी को 41 सीट का नुकसान जेडीएस को 17 सीटों का नुकसान और अन्य को एक सीट का फायदा हो रहा हैं।

जहां तक वोट परसंटेज की बात है कांग्रेस को 43 फीसदी बीजेपी को 36 फीसदी जेडीएस को 14 फीसदी और अन्य के खाते में 7 फीसदी वोट आएं है। इस तरह कांग्रेस को पिछली बार से करीब 5 फीसदी वोट ज्यादा मिले है। खास बात है कि बीजेपी को सबसे अधिक मध्य कर्नाटक और महाराष्ट्र कर्नाटक में नुकसान झेलना पड़ा है।

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