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और गिर गया नोएडा का ट्विन टावर, चारों ओर धूल का गुबार भ्रष्टाचार की नीव पर खड़ी 103 मीटर ऊंची बिल्डिंग सिर्फ 9 सेकेंड में जमीदोज

Twins Tower Fell Down

नोएडा / सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज दोपहर के ठीक ढाई बजे भ्रष्टाचार की नीव पर खड़ा गगनचुंबी ट्विन टावर गिरा दिया गया एक विस्फोट हुआ और केवल 9 मिनट में वह ताश के पत्तो की ढह कर सीधा नीचे आ गया इस तरह यह 103 मीटर ऊंचा ट्विन टावर इतिहास की आगोश में समा गया। इसके जमीदोज होने के साथ एक साथ गहरा धूला का गुबार चारों ओर छा गया और कुछ समय के लिए आसपास सिर्फ और सिर्फ धूल और उसकी एक मोटी दीवार छाई दिखाई दे रही थी।

103 मीटर ऊंची गगनचुंबी बिल्डिंग 9 सेकंड में जमीदोज –

शंका आशंकाओ के बीच आखिर यह 103 मीटर ऊंची इमारत बटन दबाते ही केवल 9 सेकंड में ढहा दी गई खास बात रही इसे गिराने के जो योजना बनाई गई उसी के अनुरूप बिना किसी नुकसान के इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस 32 मंजिला इमारत को गिराने के लिए इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया जिससे यह बिल्डिंग आगे की ओर से सीधी नीचे की ओर गिरी और उसका मलबा ज्यादा दूर तक नहीं पसरा यह यह इस टेक्निक की खूबी थी और इन ट्वीन टावर में 9600 छेद किए गए जिसमें 3700 किलोग्राम विस्फोटक भरा गया। और सिर्फ 9 सेकेंड में वह भरभरा कर जमीन पर आ गिरी।

80 लाख टन मलबा और उठाने के लिए 3 महिने का समय –

कानून की धज्जियां उड़ाकर बने इस ट्विन टावर को गिराने में 18 करोड़ की धनराशि का खर्चा आया है और उससे पहले पूरी तैयारियां की गई थी प्रभावित एरिए को सील करने के साथ दोपहर सबा दो बजे से पोने तीन तक पास का एक्सप्रेस वे बंद कर दिया गया था और 2 से 3 बजे तक उस क्षेत्र से प्लेन उड़ने पर पूरी पाबंदी लगा दी गई थी बताया जाता है इसको गिराने के बाद 80 हजार टन मलबा निकलेगा जिसमें से कुछ इसके ग्राउंड फ्लोर में भरा जाएगा बाकी मलबे को उठाने में करीब 3 माह का समय निर्धारित किया गया हैं। इस मलबे को उठाने के लिए 1200 वाहनों की जरूरत बताई गई है। जबकि मलबे के गिरने से उत्पन्न धूला के गुबार को पानी के छिड़काव से अप्रभावी किया जा रहा है। इस ऑपरेशन में मुंबई और दक्षिण अफ्रीका की कंपनी के 6 विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम थी इसके सदस्य मयूर मेहता का कहना है जैसी योजना बनाई थी उसही के मुतानिक इस बिल्डिंग को गिराने का काम हुआ किसी तरह का कोई नुकसान या किसी को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा यह बड़ी बात है।

प्रदूषण पर चिंता तो दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग –

इधर इसके खिलाफ कोर्ट में जाने वाली एमरोल्ड हाउसिंग सोसायटी के सचिव विशाल कुमार का कहना था कि इतने सालो के अंदर यह नियम विरुद्ध अवेध निर्माण पूरा होता रहा और नोएडा अथारिटी और स्थानीय प्रशासन को कोई जानकारी नहीं मिली यह असंभव हैं इसलिए जो भी अधिकारी इसमें लिप्त है उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही होना चाहिए उन्होंने यह भी कहा कि इस ट्विन टावर के गिरने की आवाज भले ही 10 – 20 मीटर तक गूंजेगी लेकिन इसका संदेश पूरे देश में गया है कि जो भी बिल्डर पैसा कमाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर लोगो के जीवन से खिलवाड़ करेगा उसका हश्र भी इसी तरह से होगा। जबकि एक अन्य समाजसेवी डिक्शू कुकरेजा ने इस बिल्डिंग के गिरने के बाद उत्पन्न प्रदूषण पर चिंता जताई है उन्होंने कहा 80 हजार टन मलबा निकलेगा जो तीन महिने में उठाया जा सकेगा इससे फिलहाल हमारी परेशानी कम नहीं होने वाली उन्होंने सवाल उठाया लेकिन ऐसा क्यों हुआ हमे 10 साल तक प्रतीक्षा करना पड़ी यह भी चिंता का विषय है।

क्या ट्विन टावर के अवेध निर्माण से शासन और प्रशासन पर सवाल नही उठते ?

जिस ट्विन टावर को पहले 11 मंजिला बनाया गया उसके बाद निर्माण कंपनी ने 24 – 24 मंजिला दो जुड़वा टावर अपेक्स और सेयेन के नाम से बनाना शुरू कर दिए और वह यही नहीं रुके और बेखौफ उन्हे 40 मंजिल तक बनाने की प्रकिया शुरू कर दी तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई और निर्माण रुका लेकिन तब तक यह दोनो टावर क्रमश 32 और 31 मंजिला तक बन चुके थे। इतना लंबा समय बीच में था जब स्थानीय रहवासी कोर्ट पहुंचे उससे पहले उन्होंने नोएडा अथारिटी से भी शिकायत की होगी फिर उसपर प्रशासन ने ध्यान क्यों नही दिया इसके क्या कारण थे ? क्या निर्माण कंपनी सुपर टेक ने उन्हें भारी रिश्वत दी थी ?

क्या बिल्डर को राजनेतिक संरक्षण था ? या उनके तार उत्तर प्रदेश के किसी अतिप्रभावी राजनेता या मंत्री से जुड़े थे ? जिन बजहों से स्थानीय नोएडा प्रशासन इतने लंबे समय और लगातार शिकायते मिलने के बावजूद हाथ पर हाथ रखे बैठा रहा और इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को बीच में आना पड़ा । इससे उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर सवाल उठना लाजमी है बल्कि यूपी के मुख्यमंत्री जो भ्रष्टाचार को खत्म करने के बड़े बड़े बयान देते है उनकी छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।

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तारीख 28 अगस्त समय 2 बजे लगेंगे सिर्फ 12 सेकंड, और धराशाई होगी भ्रष्टाचार की गगनचुंबी इमारत ट्वींस टावर

Twins Tower Demolition Noida

नोएडा / तारीख 28 अगस्त 2022, दिन रविवार दोपहर के दो बजे और सिर्फ लगेंगे 12 सैकेंड आप सोच रहे होंगे यह कोन सा फार्मूला है, हां आपने सही सोचा, फार्मूले में लिखी यह इबारत है उत्तर प्रदेश के नोएडा में भ्रष्टाचार के ऊपर खड़ी बहुमंजिला यानि 32 फ्लोर वाली इमारत को धराशाई करने की। जिसके लिए मुंबई और साउथ अफ्रीका की कंपनी सयुक्त आपरेशन करेंगी खास बात है उन्हे इस गगनचुंबी सुपरटेक ट्वींस टावर को गिराने के लिए 181 दिन की एक्सरसाइज करना पड़ी है और इस काम को अंजाम देने के लिए आधुनिक तकनीक “इम्प्लोजन” का प्रयोग किया जायेगा।

गारा ईट और लोहे पर खड़ा यह भ्रष्टाचार कैसे परवान चढ़ा –

सन 2004 में नोएडा प्रशासन ने सेक्टर 93 A में सुपरटेक कंपनी को एक हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए खुला प्लाट आवंटित किया था इसके लिए 2005 में मंजूर बिल्डिंग प्लान में बदलाव करके कंपनी ने 11 मंजिला में 15 टावर्स बना लिए उसके बाद वह यही नहीं रुकी 2006 में उसने फिर प्लान में बदलाव किया और 24 – 24 मंजिला दो जुड़वा टावर्स अपेक्स और सेयेन नाम के बनाना शुरू कर दिए हद तो तब हो गई जब मार्च 2012 में 24 मंजिल को बढ़ाकर उन्हे 40 – 40 मंजिला करने की हिमाकत निर्माण कंपनी ने की और आगे निर्माण भी शुरू हो गया लेकिन जब तक मामला कोर्ट में पहुंचा तब तक एपेक्स टावर के 633 फ्लैट बुक भी हो चुके थे।

आसपास रह रहे लोगों ने इस अनियमितता को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया –

इस द्रुत गति से बहुमंजिला इमारत के बनने के साथ स्थानीय लोगों की चिंता बड़ने लगी जब उन्हें निर्माण कार्य में अनियमितता और भ्रष्टाचार का पता चला तो दिसंबर 2012 में इमेरोल्ड हाइसिंग सोसायटी के रहवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे और याचिका में दलील दी कि गार्डन एरिया में दो अवेध बहुमंजिला टावर बनाएं जा रहे हैं और कोर्ट ने पूरे दस्तावेज देखते हुए हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में इनको गिराने का फैसला सुनाया साथ ही यह भी आदेश दिया कि जिन लोगों ने इस बिल्डिंग में फ्लैट बुक किए है उनको 14 फीसदी ब्याज के साथ निर्माण कंपनी पैसे वापस करे।

निर्माण कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंची पर उसे नही मिली कोई रियायत –

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुपरटेक कंपनी सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची लेकिन एससी ने कोई रियायत ना देते हुए 21 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी भी मुहर लगा दी साथ ही प्रशासन और कंपनी को दोनो टावर 3 महिने के अंदर गिराने का आदेश भी जारी कर दिया उस पर नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा और कहा कि इनको गिराने की पूर्व तैयारियां मई 2022 तक पूरी कर ली जायेगी बाद में ट्वीन टावर को गिराने की अंतिम तारीख 28 अगस्त 2022 तय हुई।

ढहाने में आधुनिक “इम्प्लोजन” तकनीकी का होगा उपयोग –

रोक लगने और गिराने के आदेश तक अपेक्स टावर का निर्माण 32 मंजिल और सेयेन टावर का निर्माण 31 मंजिल तक हो चुका था जबकि इन्हें गिराने का कांट्रेक्ट मुंबई की एडिफाइड इंजीनियरिंग और साउथ अफ्रीका की कंपनी जेट डिमोलिशंस को सयुक्त रूप से मिली। चूकि इन बिल्डिंग के आसपास रिहायशी एरिया है और आसपास की ने इमारतों को कोई नुकसान नहीं हो इसलिए इन बिल्डिंग्स को आधुनिक “इम्प्लोजन” तकनीकी से गिराने का निर्णय लिया गया इस तकनीकि की विशेषता है कि कि विस्फोट के दौरान सभी चीजें अंदर की ओर सिमट जाती है और दूर तक फैलती नहीं है यानि इसका मटेरियल बिल्डिंग के स्थान पर ही दफ्न हो जायेगा। इसमें 55 हजार टन मलबा निकलेगा जिसकी ऊंचाई 15 मीटर होगी। इस तरह 21 हजार क्यूबिक मीटर मलबे को बाहर निकाला जायेगा और 1200 ट्रक मलबा हटाने के लिए लगेंगे।

12 सैकेंड का खेल 181 दिन में हुआ तय, कोनसा और कितना विस्फोटक लगेगा –

इन इमारतों को जमीदोज करने के लिए कुल 3700 किलो विस्फोटक प्रयोग में लिया जायेगा जिसमें डेटोनेटर इमलशन और शॉक ट्यूब शामिल है यह सभी जेल या पावडर के रूप में होंगा। विशेषज्ञों के मुताबिक विस्फोट के दौरान 4 तीव्रता के भूकंप जितना कंपन होगा लेकिन वह अत्यंत सीमित क्षेत्र में ही होगा। इस सब तैयारी में कुल 181 दिन यानि करीब 6 माह लगे आज विस्फोटक लगाने का काम पूरा होने के साथ अन्य सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इन अवेध के आसपास एक गहरा गोल गड्ढा भी किया जा रहा है जिससे मलबा उसी में गिरे आसपास न फैले। साथ ही बिल्डिंग के आसपास के इलाके को कल सुबह 7 बजे सील कर दिया जायेगा। खास बात है इन दोनो अवेध इमारतों में 15 दिन तक विस्फोटक लगाने का काम चला और केवल 12 सैकेंड में यह दोनो टावर धराशाई हो जायेंगे।

आसपास की इमारतों को कराया जा रहा है खाली –

विस्फोट वाले दिन एक सीमित क्षेत्र की आसपास की सभी इमारतों को खाली कराया जा रहा है इनमे रह रहे करीब 7 हजार लोगो को 28 अगस्त की सुबह 7 बजे से पहले अपने घर छोड़ना होंगा जबकि यहां रहने वाले लोग आज से ही मकान छोड़कर जाना शुरू हो गए है और नजदीक रहने वाले लोग अपना नाजुक एवं जरूरी सामान भी ले जा रहे है लगता है आज ही देर रात तक यहां के सभी परिवार अपना मकान छोड़कर यहां से चले जायेंगे।

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