ऋषिकेश – पेड़ और पर्यावरण बचाने में पूरा जीवन न्योछावर करने के साथ चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा नही रहे , कोरोना पीड़ित होने के बाद आज 94 साल की उम्र में उन्होंने अपनी देह त्याग दी।
कोरोना संक्रमित होने के बाद 24 मई को सुंदरलाल बहुगुणा को ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया इलाज के दौरान शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली ससम्मान श्री बहुगुणा का आज ऋषिकेश में उनका अंतिम संस्कार किया गया उनके बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी।
1927 में उत्तराखंड में जन्म लेने वाले पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा देश के पर्यावरण और पेड़ पौधों को बचाने के हमेशा प्रयासरत रहे और उत्तराखंड में पर्यावरण को बचाने के लिये उन्होने अपना सारा जीवन लगा दिया। सन 1974 में सुप्रसिद्ध समाजसेवी गौरादेवी ने जब उत्तराखंड में पेड़ पौधों को बचाने के लिये आंदोलन शुरू किया तो चंडीप्रसाद भक्त के साथ सुंदरलाल बहुगुणा भी इस पर्यावरण को बचाने के आंदोलन से जुड़े और इसके बाद बिना रुके वे उत्तराखंड के पर्यावरण को बचाने में जुट गये इस बीच उंन्होने उत्तराखंड में टिहरी बांध के निर्माण के खिलाफ आंदोलन किया और उसे आगे बढ़ाया बल्कि उत्तराखंड में पेड़ पौधों और पर्यावरण बचाने के ” चिपको आंदोलन” का उन्होंने नेतृत्व किया उनका कहना था पहले मुझे काटो उसके बाद ही उत्तराखंड में पेड़ काटे जा सकते हैं। उन्होंने जिंदगी भर पर्यावरण को बचाने के लिये संघर्ष किया।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के जाने माने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर ट्वीट कर शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए इसे अपूरणीय क्षति निरूपित किया हैं। वही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दुख व्यक्त करते हुए अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं।