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उत्तराखंड

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टनल से बाहर आई जिंदगी, सभी 41 मजदूर सकुशल आए बाहर बचाव टीम का जुनून और प्रयास ने 17 वे दिन दिलाई जीत, देसी तकनीकी पहुंची सफलता तक

Uttarkashi Worker Rescue

उत्तरकाशी / अंततः मौत हार गई और जिंदगी अपनी जंग जीत ही गई, 12 नवंबर को उत्तरकाशी के सिल्कियारा में स्थिति टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को 17 वे दिन मंगलवार को टनल से बाहर निकाल लिया गया, बाहर आए सभी मजदूरों को सिन्यालीसौड़ में बनाए गए अस्पताल में रखा गया है। जहां डॉक्टर उन्हें 48 घंटे मेडीकल चेकअप में अपनी निगरानी में रखेंगे।

12 नवंबर को दीवाली वाले दिन सुबह साढ़े पांच बजे इस टनल का ऊपरी हिस्सा एकाएक गिरा और बाहर जाने वाले रास्ते और मजदूरों के बीच मलबे की 60 मीटर लंबी मोटी दीवार बन गई इस घटना में 41 मजदूर दूसरी तरफ फंस गए।

इन्हें बचाने के लिए 400 जवान और 50 स्पेशलिस्ट की टीम लगातार जद्दोजहद करती रही जिसमें आईटीबीपी के 150 जवान एसडीआरएफ के 100 एनडीआरएफ के 50 जवान, 20 भारतीय और 10 विदेशी एक्सपर्ट इस रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल रहे। इसके अलावा एनएचआईडीसीएल के 50 नवयुगा कांस्ट्रेक्संक कंपनी के 50 लोग,50 ड्रिलिंग स्पेशलिस्ट के अलावा 50 अधिकारी और भारी संख्या में अन्य कर्मचारी पूरे 17 दिन तक जुटे रहे। जब ऑमर मशीन और उसका ब्लेड 45 मीटर पर फंस गए तो भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा क्योंकि टनल के रास्ते मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता ही बंद हो गया। तब ट्रेंचलेस के टेक्नीशियन बलविंदर और प्रवीण यादव ने 45 मीटर अंदर तक लगातार 16 घंटे प्लाजमा गैस कटर चलाया इससे ऑमर मशीन के शोफ्ट में फंसे मोटे सरियों को काटा गया इसके पास तक ब्लोअर से ऑक्सीजन भेजी गई इसके बावजूद अंदर की गर्मी दम घोट रही थी इसलिए 25 मिनट के बाद उन्हें हर बार बाहर आना पड़ रहा था।

रेस्क्यू ऑपरेशन में कई रूकावटे आई एक एक कर सभी विदेशी मशीन खराब होती गई आखिर में चूहों की तरह पहाड़ खोदने वाले दल अर्थात रेट माइनर्स के विशेषज्ञों ने हिम्मत दिखाई और देसी तकनीकी से सभी को बाहर निकाला इस टीम में शामिल 12 विशेषज्ञों ने लगातार 21 घंटे अपने हाथों से खुदाई की और आखिर में 15 मीटर का मलबा हटाने के साथ आगे वहां 800 mm का पाइप लगाकर रास्ता बनाया जिसके रास्ते सबसे पहले चंद्रन धोरेनी बाहर निकले उसे बाद सभी 40 मजदूर एक एक कर बाहर आए। उनका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने फूलमाला पहनाकर स्वागत किया गया।

देसी तकनीक के रास्ते सफलता आई यह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जब 24 नवंबर को आखिरी ड्रिलिंग मशीन रुकी तो 60 मीटर मलबे के पार मोजूद मजदूरों के 45 मीटर तक पाइप डाला जा चुका था अब उनतक पहुंचने के बीच 15 मीटर मलबे की दीवार बकाया थी यह 15 मीटर का रास्ता सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण था इस बीच होरीजेंटल ड्रिलिंग बंद हो चुकी थी इसके बाद दिल्ली की ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेस के लोगों ने अपनी रेट हॉल माइनर्स की 12 सदस्यीय टीम को बुलाया। इस टीम के एक सदस्य ने बताया कि 15 मीटर का मलबा हटाने के लिए हमने तीन तीन लोगो के 4 ग्रुप बनाए आगे वाले साथी ने पाईप में जाकर हाथों के जरिए खुदाई की ,दूसरे ने मलबा इकट्ठा किया तीसरे साथी पहियों वाले स्ट्रेचर पर लेटकर मलबे से भरी ट्रॉली बाहर लेकर गया, स्ट्रेचर पर रस्सी बंधी थी जिसे बाहर खड़े जवान खैच लेते थे। हमारे साथ एक ऑक्सीजन ब्लोअर था जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं आई और उसने दम नही घुटने दिया। आधा मीटर खुदाई और मलबा हटने के बाद हम बाहर सिगनल भेजते थे और बाहर से लोग मशीन से पाइप को आगे पुश कर देते थे, इसी तरीके से 45 मीटर के पाइप में 6 ..6 मीटर के दो पाइप और लगाए गए थे, लेकिन पाइप बेल्डिंग से जोड़े जा रहे थे इसलिए उन्हें ठंडा होने में करीब एक घंटे का समय लग रहा था इसी प्रक्रिया को हमने अपनाया और उसका परिणाम आपके सामने हैं।

खास बात है पहले डाले गए तीन पाइप ने 41 मजदूरों के लिए लाइफ लाइन का काम किया, 12 नवंबर को सुरंग में मजदूरों के फंसते ही सुपरवाईजर गब्बर सिंह नेगी ने टनल में पानी भरता देखकर तुरंत पंप चला दिया पंप ने पानी खीचा और 4 इंच पाइप के जरिए बाहर खींचना शुरू कर दिया पाइप का एक छोर मलबे के दूसरी ओर था जिसके जरिए रेस्क्यू टीम को आवाज आ गई जिससे रेस्क्यू टीम निश्चिंत हो गई कि मजदूर जिंदा है इसी पाइप से मजदूरों से बातचीत हुई उन्हे चने बिस्किट भेजे गए। 20 नवंबर को मजदूरों ने खाना मांगा तो 6 इंच का पाइप मलबे में डाला गया जो आसानी से मजदूरों तक पहुंच गया इसके जरिए ठोस आहार जूस आदि भेजा गया तब 9 वे दिन मजदूरों ने खाना खाया इसके बाद 21 नवंबर को 800 एमएम चौड़ा पाइप अंदर भेजा गया क्योंकि 900 एमएम के पाइप आगे नहीं जा रहे थे। यही पाइप तीसरी लाइफ लाइन बने।

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उत्तराखंडचमोली

उत्तराखंड के चमोली में नमामि गंगे प्रॉजेक्ट के दौरान करेंट से 4 पुलिस कर्मियों सहित 16 लोगों की मौत, जांच के आदेश

Chamoli Hadsa

चमोली/ उत्तराखंड के चमोली में अलकनंदा नदी पर आज एक बड़ा हादसा सामने आया है जिसमें यहां चल रहे नमामि गंगा प्रोजेंट के कार्य के दौरान करेंट लगने से एक साथ 16 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, मृतको में एक पुलिस एएसआई और होमगार्ड के तीन जवान भी शामिल है। मुख्यमंत्री पुष्पक सिंह धामी ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

चमोली में अलकनंदा नदी पर चल रहे नमामि गंगे प्रॉजेक्ट का काम चल रहा है इस बीच वहां काम करने के दौरान अचानक बिजली का एक ट्रांसफार्मर फट गया इसके बाद वहां करेंट फेल गया जिसकी चपेट में करीब 25 लोग आ गए, उनमें से 23 लोग बुरी तरह से झुलस गए और उनमें से 12 कर्मचारी सहित एक एएसआई और 3 होमगार्ड के जवानों की करेंट लगने से मौत हो गई जबकि 7 लोग घायल हो गए है उनमें शामिल गंभीर रूप से घायल 4 लोगों को ऋषिकेश के अस्पताल में रेफर किया गया हैं।

इधर उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया से चर्चा में कहा जानकारी मिली कि अचानक हुई इस घटना में पहले एक व्यक्ति को करेंट लगा था लेकिन बाद में वह फेल गया और इसकी गिरफ्त में 16 लोग आ गए और उनकी मौत हो गई है घटना के बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता जांच के आदेश सीएम ने दिए है अब मामले की तफ्तीश के बाद ही हादसे के कारणों का खुलासा हो सकेगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दे दिए है साथ ही सीएम धामी घायलों को देखने ऋषिकेश के अस्पताल भी पहुंचे।

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उत्तराखंड

उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में कार गहरी खाई में गिरी, 10 की मौत, कोकिलादेवी दर्शन को जा रहे थे

Accident

पिथौरागढ़ / उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक एसयूवी कार 600 फुट गहरी खाई में गिर गई इस हादसे में ड्राइवर सहित सभी 10 लोगों की मौत हो गई बताया जाता है यह लोग कोकिला देवी के दर्शन के लिए होकरा गांव जा रहे थे।

यह हादसा पिथोरागढ़ जिले के अंतर्गत मुसियारी ब्लॉक के होकरा गांव के पास गुरुवार की सुबह साढ़े सात बजे हुआ, जब अनियंत्रित होकर यह वहां अचानक 600 फुट गहरी खाई में जा गिरा, गहरी खाई होने से किसी की भी जान नही बच सकी सभी की मौत हो गई। स्थानीय ग्रामीणों ने कार को खाई में गिरते देखा और पुलिस को इसकी सूचना दी। होकरा गांव के सुंदर सिंह ने बताया कि बुद्धवार की रात इस इलाके में भारी बारिश हुई थी और होकरा आने वाले मार्ग पर मलबा फैला हुआ था जिससे सड़क काफी सकरी और छोटी हो गई थी अनुमान है कि गाड़ी निकलते वक्त झुक गई और फिसलकर खाई में समा गई संभावना है जिससे यह दुर्घटना घटी।

आईजी नीलेश आनंद ने बताया कि खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन सक्रिय हुआ और पुलिस ने एसडीआरएफ के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर गहरी खाई से सभी मृतकों के शव निकाल लिए है और उन्हें पीएम के लिए भेज दिया हैं। बताया जाता है कार में सबार 7 लोग बागेश्वर जिले के शामा गांव के और 3 लोग भानर गांव के रहने वाले हैं।

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जोशीमठ

जोशीमठ प्रभावितों ने निकाला मार्च, एनटीपीसी को बंद करने और पूरा मुआवजा देने की मांग पर अड़े, रोक के बावजूद पहाड़ों की तुड़ाई जारी, सीएम ने किया दौरा

Joshimath Cracks

जोशीमठ / उत्तराखंड राज्य की देवभूमि जोशीमठ और यहां के रहवासी धीरे धीरे बर्बादी की ओर बढ़ रहे है चिंता और बेघर होने के डर से आज उनकी रातें आंखों में कट रही हैं आज स्थानीय प्रभावितो ने सड़कों पर पैदल मार्च निकाला और धरना दिया उनकी मांग है कि उन्हें उचित पूरा मुआवजा और राहत देने के साथ जोशीमठ को बर्बाद करने वाला एनटीपीसी प्रोजेक्ट को बंद किया जाएं। जबकि आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्थानीय लोगो के यहां पहुंचे और उनसे मिले और कंबल वितरित किए। खास बात है सरकार की रोक के बावजूद जोशीमठ के पहाड़ों की कटाई और तोड़फोड़ कर उनको छलनी किए जाने का कार्य आज भी बदस्तूर जारी है

एक तरफ उत्तराखंड सरकार ने प्रभावितों 1लाख 50 हजार का मुआवजा देने का ऐलान किया है और शिफ्टिंग चार्ज के रूप में 50 हजार एडवांस देने को भी कहा हैं साथ ही 6 माह तक 4 हजार रुपए प्रति माह मकान किराया देने की हांमी भी भरी है बुद्धवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीपीठ पहुंचे और प्रभावित परिवारों से मिले और उन्होंने घर में मोजूद महिलाओं को कंबल भी वितरित किए।

लेकिन जोशीमठ के लोगों में भारी आक्रोश है लोगों का कहना है कि एनटीपीसी की वजह से हम और हमारा जोशी मठ बरबाद हुआ है पहले उसको बंद किया जाएं जबकि जोशीमठ पहले से ही संवेदनशील है मिश्रा रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी गई थी कि यहां के प्राकृतिक स्वरूप में छेड़छाड़ हुई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे उसके बाद भी यहां एनटीपीसी प्रोजेक्ट को लाया गया उसकी विस्फोटक कार्यवाही हमारी तबाही का बड़ा कारण है पहले इस प्रोजेक्ट को बंद किया जाए। स्थानीय लोगो का कहना है मुख्यमंत्री कंबल बांट रहे है हमें कंबल नही चाहिए उन्हे हम लोगो जमीन मकानों का पूरा मुआवजा देना चाहिए यह भ्रमित करने की बात कर रहे है हम बता देना चाहते है यह देवभूमि है इसका परिणाम मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी को जरूर भोगना होगा।

एक महिला ने आरोप लगाया कि एनटीपीसी प्रोजेक्ट का काम बंद होने की बात कही जा रही है लेकिन ऐसा नहीं है एनटीपीसी परियोजना का काम आज भी जारी है उसकी बात भी पूरी तरह सच है इतना सब हो जाने और सरकार और प्रशासन के सभी विकास एवं निर्माण कार्यों पर रोक के बावजूद जोशीमठ के पहाड़ों को इस आपदा के दौरान बड़ी बड़ी जेसीबी मशीनों और बुलडोजर से तोड़ा जा रहा है पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है हां दिन में नही अर्धरात्रि में यह काम जोरदार तरीके से आज भी जारी है जबकि यहां भूस्खलन हो रहा है जेपी कॉलोनी सहित शहर के कई जमीन और मकानों से मटमेले परनाले बह रहे है मकान दरारों से फट रहे है लोग सड़कों पर आ गए हैं। लेकिन विकास के नाम पर जोशीमठ और वहां के पहाड़ छलनी किए जा रहे है। जबकि भूगर्भ विशेषज्ञ पहले चेतावनी दे चुके है यदि विकास कार्य नहीं रोके गए तो जोशीमठ का अस्तित्व समाप्त भी हो सकता हैं।

जैसा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ देवभूमि है जो बद्रीनाथ से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल है यहां के 723 मकान गहरी दरारें आने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं जिनको डेंजर बताते हुए उनपर लाल निशान लगाएं गए है इसमें दो होटल भी शामिल है जिन्हे ढहाया जाना हैं लेकिन स्थानीय लोग अपने क्षतिग्रस्त मकान से जाने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है पहले बद्रीनाथ की तर्ज पर हमें पूरा मुआवजा दिया जाए जबकि सरकार उन्हे उत्तरकाशी की तर्ज पर मुआवजा दे रही हैं जो उन्हें मंजूर नहीं हैं।

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उत्तराखंड

हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, 4 हजार से अधिक परिवारों को राहत

supreme court

हल्द्वानी / उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेल्वे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे दे दिया है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट अब एक माह बाद 7 फरवरी को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा,सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से स्थानीय लोगों में भारी खुशी छा गई है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में हाईकोर्ट ने पिछले दिनों 42 एकड़ जमीन पर एक हफ्ते में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे इस जमीन पर रेलवे और शासन ने अपना अपना दावा जताया था, इस आदेश से यहां की गफूर बस्ती में रहने वाले 60 हजार लोगों और उनके 4365 घरों पर बेघर होने का संकट आ गया था इसको लेकर स्थानीय लोगो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।इस दौरान स्थानीय लोगो ने कहा कि उनके बुजुर्ग यहां आजादी से पहले 100 साल से भी अधिक समय से रह रहे है उनके पास मकानों के रजिस्टर्ड दस्तावेज है वे पानी बिजली बिल देते है मकान का टेक्स भरते है। बताया जाता है इस बस्ती में सरकारी स्कूल कॉलेज बैंक अस्पताल नगर पालिका निगम और सरकारी कार्यालय और अन्य सरकारी सुविधाएं भी सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार दी जा रही थी। साथ ही यहां मंदिर और मस्जिद भी है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री कोल ने आज हुए सुनवाई में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह ठीक है कि यह जमीन रेल्वे की है लेकिन सभी को पहले पुनर्वास का मौका दिया जाना चाहिए था जो लोग 60 से 70 साल से यहां रह रहे है अचानक उन्हे 7 दिन में बेघर कैसे किया जा सकता है वे कहा जाएंगे एससी ने इस स्थान को विकसित करने की बात भी कही है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रेल्वे और राज्य शासन को नोटिस जारी करते हुए अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए है और 7 फरवरी को अगली सुनवाई की तारीख नियत की है इस तरह फिलहाल 1 माह तक यहां तोड़फोड़ और अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी है।

जैसा कि स्थानीय लोगों में हड़कंप व्याप्त था और वह इसके यहां रहने वाले महिला पुरुष युवा इस जाड़े के मौसम में भी सड़कों पर उतर आए थे धरना प्रदर्शन के साथ मस्जिदों में भी दुआओं का दौर जारी था। इस दौरान यहां भारी पुलिस बल और प्रशासनिक मशीनरी के अधिकारी कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए थे। इधर सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित पक्ष के वकील का कहना है कि इस जमीन पर यह लोग इनके पुरखे पिछले 100 साल से रहते आए है और उनके पास अपने मकानों के दस्तावेज एयर वोटर कार्ड है और वह हाउस टैक्स के साथ सभी सरकारी कर भर रहे है अब कहा जा रहा है सरकारी जमीन है लेकिन उनका कहना है रेल्वे इसे अपनी और सरकार इस जमीन को अपनी बता रहा है इससे पहले यह लोग कहा थे उनमें आपस में ही एक रूपता नही है। उन्होंने कहा हम अगली सुनवाई में मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे।

इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि यह जमीन रेल्वे की है वह इस बारे में कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय लेगा हम उसका पालन करेंगे।

स्थानीय लोगों का कहना है यह जमीन और उसपर बने मकान उनके पुरुखो के जमाने से उनके है लगता है इसी कारण अतिक्रमण बताने पर उन्होंने विस्थापित कर अपने पुनर्वास या अन्य जगह पर बसाने की कोई मांग नहीं की थी। सवाल यह भी है कि यदि पिछले छह सात दशक से लोग अतिक्रमण कर रहे थे तो रेल्वे ने अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की साथ ही सरकारी भवन और स्कूल कार्यालय यहां कैसे बन गए।

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उत्तराखंडकेदारनाथ

उत्तराखंड के कैदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रेश हुआ, पायलट सहित 7 की मौत

Helicopter crash in Uttrakhand

केदारनाथ / उत्तराखंड के केदारनाथ के गरुड़चट्टी इलाके में आज सुबह श्रद्धालुओं को ले जा रहा एक हेलीकॉप्टर क्रेश हो गया इस हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की मौत हो गई बताया जाता है यह हेलीकॉप्टर एक निजी कंपनी का था और कोहरे और खराब मौसम की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

जानकारी के मुताबिक आर्यन एवीएशेन कंपनी के इस हेलीकॉप्टर ने आज सुबह 11.25 बजे केदारनाथ के बेस कैंप से नारायण कोटि गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी लेकिन अचानक 15 मिनट बाद ही यह हेलीकॉप्टर गरुड़ चट्टी के पास क्रेश हो गया इसके दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण खराब मौसम और घना कोहरा बताया जा रहा है इस हादसे का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें आग और धुएं के साथ कुछ स्थानीय लोग आसपास दिख रहे है।

इस हवाई हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की मौत हो गई है मरने वालों में पायलट अनिल सिंह सहित पूर्वा नामानुज,कृति ब्रांड प्रेमकुमार काला, उर्वी,और सुजाता शामिल है। इससे पहले केदारनाथ इलाके में 2013 में बड़ा हादसा हुआ था जब बाढ़ ग्रस्त लोगों को सुरक्षित निकालने के दौरान एक विमान दुर्घटना ग्रस्त हुआ था जिसमें पायलट को पायलट सहित 20 जवान शहीद हो गए थे।

इस दुघटना पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया है और अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की है। जबकि नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दुख जताते हुए कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है हम उत्तराखंड सरकार के संपर्क में है और घटना का आंकलन कर रहे है और बराबर नजर बनाए है साथ ही NDRF की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई हैं।

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उत्तराखंड

उत्तरकाशी के द्रोपदी डांडा शिखर पर 29 पर्वतारोही बर्फीले तूफान का हुए शिकार 10 की मौत 8 को बचाया गया बाकी की खोजबीन जारी

Draupadi Danda Peak

उत्तरकाशी/ उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित 13 हजार फीट ऊंचे द्रोपदी डांडा के शिखर पर बर्फीले तूफान के दौरान हिमखंड की चपेट में आने से 29 पर्वतारोही फंस गए है बताया जाता है इनमे 21 लोगो को गंभीर चोटे आई जिसमें 2 महिला पर्वतारोहियों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है जबकि 8 लोगों को तुरंत बचा लिया गया था लेकिन पीटी आई ने 10 लोगों की मौत होने की खबर दी हैं।

बताया जाता है नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से संबद्ध एडवांस कोर्स के 29 प्रशिक्षु और उनके कोच आज सुबह साढ़े नो बजे बर्फीले तूफान के दौरान उत्तरकाशी की 13 हजार फुट ऊंची बर्फीली पर्वत माला द्रौपदी डांडा 2 से जब लौट रहे थे तो अचानक हिम स्खलन हुआ और एक बड़ा हिमखंड उनके ऊपर आ गिरा जिससे वे सभी उसमें फंस गए जबकि 8 लोगो को तो सुरक्षित बचा लिया गया लेकिन बाकी के 21 पर्वतारोही नही निकल सके जानकारी होने पर ITBP और NDRF की टीमें वायु सेना के दो चीता हेलीकॉप्टर सहित वहां पहुंची और उन्होंने राहत और बचाव कार्य शुरू किया। लेकिन फिलहाल किसी को बाहर नही निकाला जा सका हैं। चूकि यह हिस्सा ग्लेशियर वाला इलाका है जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी परेशानी आ रही हैं।

उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है 29 में से 8 को बचाया जा चुका है जिस तरह की घटना है बाकी सभी 21 लोगों के हताहत होने और चोटे आना स्वाभाविक हैं जल्द सभी को सुरक्षित निकाल लिया जायेगा।

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उत्तराखंडदेशहिमाचल प्रदेश

उत्तर भारत में बारिश का कहर, नदिया उफान पर, 26 की मौत, 18 लापता, रेल्वे चक्कीपुल गिरा, वाराणसी में छतों पर हो रहे है अंतिम संस्कार

Chakki Railway Bridge Collapsed

लखनऊ / देहरादून/ शिमला / उत्तर भारत के हिमाचल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश का कहर जारी है जिससे सभी प्रमुख नदियों में बाढ़ आ गई और पहाड़ दरकने के साथ भूस्खलन की घटनाओं से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है इस दौरान हिमाचल के कांगडा में अग्रेजों के समय का चक्की रेल्वे पुल चंबा नदी में समा गया। अभी तक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 26 लोगों की मौत हो गई और 18 लोग लापता है। विशेष बात है वाराणसी में सभी 84 घाट डूबने से मृतकों का अंतिम संस्कार लोग छतों पर कर रहे हैं।

देश में आसमानी आफत अब लोगों का हाल बेहाल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही और यह भीषण बारिश अब जानमाल का भी भारी नुकसान करने में लगी है खास कर उत्तर भारत के प्रांत इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं। हिमाचल प्रदेश में वर्षा का कहर टूट रहा है सबसे अधिक यहां के चार जिलों कांगड़ा मंडी और चंबा कुछ ज्यादा ही बारिश हो रही है वही बागेश्वर भी पानी के सैलाब की आगोश में है इस चंबा नदी उफान पर है और इस बाढ़ और भूस्खलन से अभी तक 22 लोगों की अकाल मौत हो गई जबकि 5 लोग लापता है।

जबकि हिमाचल प्रदेश की चंबा नदी पर बना रेल्वे का चक्की रेल्वे पुल टूटकर नदी में समा गया बताया जाता है यह पुल अग्रेजों के जमाने का था। यह चक्की पुल हिमाचल को जम्मू कश्मीर से जोड़ता था जिससे रेल्वे यातायात पूरी तरह से रूक गया हैं।

जबकि उत्तराखंड के देहरादून ऋषिकेश सरखेत में बारिश अपने पूरे शबाब पर है जिसके चलते लोग भारी मुसीबत में है सरखेत और मालदेवता क्षेत्र में बादल फटने से तबाही मच गई है अभी तक उत्तराखंड में पहाड़ों के दरकने और भूस्खलन से 4 लोगो की मौत हो गई और 13 लोग लापता बताए जाते है। जबकि बसगेश्वर में पहाड़ से हुई लेंस लाइड होने से बड़े बड़े पत्थर और मलबा स्टेट हाईवे पर आ गिरा जिससे रास्ता बंद होने से जाम लग गया।

इधर उत्तर प्रदेश में भी लगातार बारिश से यमुना और गंगा का जल स्तर काफी बढ़ गया और दोनों ही नदियां उफान पर है। प्रयागराज वाराणसी बलिया मिर्जापुर गाजीपुर में इसका खास असर पड़ रहा है आगरा में यमुना नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया अमरोहा में एक हाईवे का पुल ढह गया जिससे आवागमन बंद हो गया वाराणसी में गंगा नदी के सभी 84 घाट पानी में डूब गए है जिससे मृतकों के अंतिम संस्कार और गंगा आरती करने में भारी परेशानी हो रही है और लोगो को अंतिम संस्कार मकान की छतों के ऊपर करने को मजबूर होना पड़ रहा हैं।

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उत्तराखंडदेहरादून

उत्तराखंड में बस खाई में गिरी 26 की मौत, 4 घायल, मरने वाले सभी मप्र के पन्ना के

Accident

देहरादून – उत्तराखंड के डामटा नेशनल हाईवे पर आज एक यात्री बस अनियंत्रित होकर 300 मीटर गहरी खाई में गिर गई इस हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई जबकि 4 लोग घायल हो गये हैं बताया जाता है यह बस में सबार सभी यात्री मध्यप्रदेश के पन्ना के रहने वाले थे और चार धाम की धार्मिक यात्रा पर गंगोत्री जा रहे थे।

यह बस हादसा नेशनल हाईवे डामटा और नोगांव के बीच हुआ है यह बस मध्यप्रदेश के पन्ना से चारधाम यात्रा पर गंगोत्री जा रही थी जिसमें करीब 29 लोग सबार थे यह बस डामटा नेशनल हाईवे से नोगांव के नजदीक पहुंची तभी वह अनियंत्रित होकर रिखाऊ खड्ड में गिर गई और यमुना नदी मैं ना गिरते हुए करीब 300 मीटर नीचे जाकर बीच में अटक गई और बस के परखच्चे उड़ गये और आसपास शव बिखर गये।

घटना के बाद पीछे आ रही एक बस के चालक ने स्थानीय पुलिस को खबर दी उंसके बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थानीय नागरिको ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया उसके बाद पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया लेकिन इस बस दुर्घटना में 26 लोगों की मौत हो गई और 4 लोग घायल हो गये जिन्हें इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बस दुर्घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की है साथ ही केंद्र ने मृतकों के परिजनों को दो दो लाख मुआवजा और घायलों को 50 हजार की आर्थिक मदद देने की घोषणा भी की है। इस घटना पर गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दुख व्यक्त किया हैं।

जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए हरसंभव मदद का भरोसा दिया है साथ ही मृतकों के परिजनों को 5 -5 लाख और घायलों को 50 -50 हजार की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की है साथ ही मुख्यमंत्री चौहान खुद विमान से रात को ही उत्तराखंड के देहरादून रवाना हो गये है।

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उत्तराखंडदेशदेहरादून

देहरादून में रानीपोखरी पुल ढहा, कई वाहन नीचे पानी के तेज बहाव में गिरे

Uttrakhand flyover collapsed

देहरादून – उत्त्तराखण्ड के देहरादून में स्थित रानीपोखरी पुल अचानक ढह गया और दो हिस्सों में बट गया इस दौरान इस पुल पर गुजर रहे अनेक बड़े वाहन और मोटरसाइकिल पुल के नीचे गहरे पानी में गिर गये और नदी के तेज बहाव में बह गये।

आज दोपहर जब इस रानीपोखरी पुल पर काफी आवागमन जारी था इसी दौरान यह पुल अचानक दो हिस्सों में बट गया पुल के ढहने के दौरान उस पुल पर से कई चार पहिया और दो पहिया वाहन गुजर रहे थे उसमें से कई वाहन नदी के तेज बहाव में बहने लगे। पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंच गया और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया देहरादून पुलिस के मुताबिक़ किसी के हताहत होने की जानकारी सामने नही आई है और जो लोग पानी मे गिरे थे उन्हें बाहर निकाल लिया गया है जैसा कि यह पुल देहरादून और ऋषिजेश को जो जोड़ने वाला था।

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