श्रीहरिकोटा/ चंद्रयान 3 के सफल लॉन्चिंग के बाद आज भारत का मिशन आदित्य एल 1 भी लांच हो गया, जो चार महिने बाद सूर्य के नजदीक पहुंचेगा और वहां पहुंचने के बाद आदित्य एल 1 सूर्य और उसके आसपास का गहन अध्ययन करके कई रहस्यों से पर्दा हटायेगा।
इसरो के मिशन आदित्य एल 1 ने आज हरिकोटा के पीएसएलवी सी 57 रॉकेट के जरिए लॉन्चिंग की, शनिवार को सुबह ठीक 11 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी आदित्य एल 1अंतरिक्ष में 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करके 4 माह में अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा, लॉन्चिंग के बाद आदित्य एल 1, उड़ान के 64 वे मिनट में 648 किलोमीटर की ऊंचाई तय करते हुए यह प्रथ्वी की पहली कक्षा में पहुंचेगा।
आदित्य एल 1 धरती और सूरज के बीच अपने विशेष स्थान से सूर्य की हरएक गतिविधि पर 24 घंटे नजर रखेगा जो स्थिर अवस्था में अध्ययन करेगा यह प्रथ्वी सूर्य की परिक्रमा नही करेगा, शुरूआत में लॉ अर्थ ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद आदित्य एल 1 को अंडाकार कक्षा में घुमाया जायेगा और उसके बाद यह 125 दिनों में लैंगरेजियन प्वाइंट वन के होलो ऑर्बिट (प्रभामंडल कक्ष) में पहुंचेगा।
आदित्य एल 1 के जरिए हमारे वैज्ञानिक कई तरह के अध्ययन करेंगे साथ ही पता लगाएंगे कि सूर्य के चारों ओर ग्रह व्यवस्थित तरीके से कैसे परिक्रमा कर रहे है? सूर्य के तेज ताप और वह इस तरह कैसे बना और प्रथ्वी की उत्पत्ति कैसे और कहा से हुई ? इसका भी परीक्षण होगा कि क्या समूचा सौर मंडल सूर्य से ही उत्पन्न हुआ है या प्रथ्वी के साथ सौर मंडल के अन्य ग्रह कही और से आए हैं यह सब जानकारी जुटाने का कार्य आदित्य एल 1 करेगा। साथ ही वह प्रथ्वी और सूर्य के बीच उन 5 बिंदुओं का भी परीक्षण करेगा जहां से ना किसी चीज को खींच सकते है ना ही धकेल सकते है। आदित्य एल 1 के लांच होने के साथ अब भारत अंतरिक्ष के एलीट समूह में शामिल हो गया है।