- मासूम बच्चों की मौत को मंत्री ने आँकडो मै उलझाया
- बीआरडी काँलेज का प्रिन्सीपल बर्खास्त..
- सीएस की कमेटी करेगी जांच
गोरखपुर – उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिध्दार्थ नाथ सिंह ने गोरखपुर के बीआरडी काँलेज एंड हाँस्पिटल में पिछले दो दिनो में मरने वाले 33 मासूम बच्चों के मौत पर बड़ा ही बचकाना बयान दिया, उन्होंने कहा कि अगस्त में तो सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती है वही उन्होने तीन साल में मरने वाले बच्चो का हवाला देते हुए आँकडो का पिटारा खोल दिया,
इतना ही नही चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टन्डन ने मासूमो की मौत का जिम्मेदार अकेले काँलेज के प्रिंसीपल को बताकर उसे बर्खास्त करने की जानकारी मीडिया को दी, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस से मौत के सही आँकड़े देने के लिये कहा, सी. एम.और मन्त्रियो ने मौत का कारण आँक्सीजन ना मिलना इससे इंकार किया परन्तु इतनी ज्यादा सख्या में मासूम कैसे मरे इसका उनके पास कोई स्पष्ट जबाब नही था, सरकार के पास तारीख 10 और 11 अगस्त के 48 घन्टो में 33 बच्चो और पाँच दिनो में कुल 64 मासूम बच्चों की मौत का कोई माकूल जबाब नही है उसके बयान खुद उसे सन्देहो के घेरे मै खड़ा कर रहे है,वो यह तो मान रही है कि लिक्विड आँक्सीजन गैस बाधित हूई पर उसकी बजह से बच्चो की मौत हुई उसे वह बिल्कुल नकार रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मीडिया मौत के तथ्यो और सख्या को सही रूप से प्रकाशित करे तो मानवता की सैवा होगी, पर इसके साथ वे दो दिन में 23 बच्चो की म्रत्यू की बात तो खुद ही स्वीकार कर रहे थे, मीडिया से बातचीत में उन्होने कहा मजिस्ट्रेट की जांच आजकल में आयेगी इसके अलावा चीफ़ सैकेट्री की अध्यक्षता में एक हाई प्रोफ़ाइल कमेटी बनाई है जो आँक्सीजन और सप्लायर के साथ अस्पताल की व्यवस्थाओ की बारीकी से जाँच कर सही तथ्यो का पता लगायेगी, उन्होने खुलासा किया कि मेरे अस्पताल के दौरे और मीटीन्ग के समय किसी ने भी आँक्सीजन सप्लायर के लेटर या पैसो की बात नही बताई, पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि आँक्सीजन की कमी के कारण मौते हूई है तो जघन्य क्रत्य है किसी को बख्शा नही जायेगा।
वही इससे पहले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री सामने आये और उन्होने मरने बाले बच्चो की साल दर साल हूई मोतो का पिटारा खोलकर घटना से ध्यान भटकाने का पूरा प्रयास किया, स्वास्थ्य मंत्री सिध्दार्थ नाथ सिंह ने कहा अगस्त 2014 एक साल में 567, अगस्त 2015 और अगस्त 2016 की साल में 587 बच्चों की इन्सफ़ैलाइटिस बीमारी की वजह से मौते हूई इस तरह एक दिन में 17-18 बच्चों की मौत तो मामूली बात है,साथ मै उन्होने स्वीकार कि रात मै दो बार लिक्विड आँक्सीजन गैस मै अवरोध उत्पन्न हुआ पर उसकी वजह से घटना नही हूई, जबकि चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोश टन्डन ने कहा कि सप्लायर पुष्पा सेल्स कम्पनी ने गैस सप्लाई क्यो रोकी इसपर उसके खिलाफ़ कडी कार्यवाही होगी उन्होने मेडीकल काँलेज के प्रन्सीपल डाँ.राजीव मिश्रा को इस क्रत्य मै दोषी बताते हुए निलंबित करने की जानकारी मीडिया को दी।
मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक इस घटना पर पर्दा डालते नजर आ रहे है वह सबकुछ स्वीकार करने के बावजूद इन 64 मासूमो की मौत की बजह आँक्सीजन के अवरोध को नही मान रहे उन्हे पिछले आँकड़ो को दर्शाकर एक स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा बताने की पुरजोर कोशिशो मै जुटे दिखाई दे रहे है, खास बात यह भी है कि स्वास्थ्य मंत्री को भी गैस सप्लायर ने चिट्ठी भेजी पर वे उसे नकार रहे है वही बी आर डी काँलेज के प्रिन्सीपल डाँ.राजीव मिश्रा ने सप्लायर का पैमेन्ट क्यो रोका ? जबकि 3 अगस्त को शासन ने उसका पैसा रिलीज कर दिया था।
बताया जाता है डाँ.मिश्रा की पत्नि जो खुद इसी अस्पताल में डाँक्टर है अस्पताल और काँलेज के लैनदैन का हिसाब किताब दैखती है सूत्र बताते है कि रिश्वत नही मिलने से सप्लायर का पैसा रोक दिया गया तो पुष्पा सेल्स कंपनी ने गैस की सप्लाई रोक दी जिसकी बजह से 64 मासूम बच्चे बेवक्त मौत की आगोश मै समा गये और माँ की गोदे सूनी हो गई परंतु जितना दोषी अस्पताल प्रशासन और सरकार है वही इन मौतो के लिये उतना ही जिम्मेदार गैस कंपनी का निदेशक और मालिक मनीष भन्डारी भी है जिसने जानते बूझते जीवन दायिनी आँक्सीजन गैस सप्लाई को रोक दिया और इतनी सख्या में बच्चे मर गये,बताया जाता है इस घटना की खबर लगते ही भंडारी फ़रार हो गया है।
इधर केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमन्त्री अनुप्रिया पटेल भी आज अस्पताल पहुँची और वहा का जायजा लिया उन्होने बताया कि पी. एम. नरेंद्र मोदी भी यहा की घटना से दुखी है और उन्होने प्रदेश सरकार को इस बावत हरसम्भव सहायता देने की बात कही है।