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ग्वालियरमध्य प्रदेश

नेत्रहीन शिक्षक और दिव्यांग पत्नी की गुहार, सरकार हमें रोजगार नहीं दे सकती तो मार दे

Divyang Wife
  • नेत्रहीन शिक्षक और दिव्यांग पत्नी की गुहार,
  • सरकार हमें रोजगार नहीं दे सकती तो मार दे,
  • पांच महिने से दिव्यांग दंपत्ति बेरोजगारी के हालात में दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर

ग्वालियर – अगर हमारी गरीबी और दिव्यांगता ही हमारा दोष है तो सरकार हमें बीच चैराहे पर खडा कर मौत की सजा दे दे। जिससे रोज-रोज की जिल्लत भरी जिंदगी से निजात मिल सके। ये पीड़ा उस दंपत्ति की है जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खुद को योग्य बना सकी। लेकिन सरकार के पास इस नेत्रहीन शिक्षक के लिए कोई काम नहीं है।

ग्वालियर के केआरजी कॅालेज में अतिथि विद्वान के रूप में सेवा देने वाले अरूण यादव को अपे्रल में अचानक हटा दिया गया। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई। हाई क्वालीफाई नेत्रहीन अरूण यादव उच्च शिक्षा मंत्री से लेकर अफसरों तक रोजगार की गुहार लगा चुके है लेकिन किसी को भी इस दंपत्ति के दुख से लेना देना नहीं है। दो दिन बाद दिवाली है लेकिन इस दंपत्ति को घर चलाने के लिए मकान मालिको और पडौसियों का मुंह ताकना पड रहा है। ये दर्द भरी कहानी नेत्रहीन शिक्षक अरूण यादव और उनकी विकलांग पत्नी नेहा यादव की है। ग्वालियर के न्यू साकेत नगर में रहने वाले अरूण यादव और उनकी विकलांग पत्नी को सब्र का बांध टूट चुका है।

सरकार कमजोकों के कल्याण के लिए कितनी भी योजनाये चलाने का दावा करे लेकिन हकीकत कुछ और है इंदौर के रहने वाले दिव्यांग अरूण यादव पडे लिखे होने के बावजूद बेरोजगार है पहले उन्हें अतिथि विद्वान बनाकर इंदौर,भोपाल और जबलपुर में पीरियड के हिसाब से संविदा पर रखा गया लेकिन ग्वालियर में के आर जी कालेज में अप्रैल में संविदा नियुक्ति के बाद उन्हें अचानक हटा दिया गया ।एैसा नही है कि अरूण की पढाई में कोई कमी है वे एम ए,एमफिल के साथ ही दो बार नेट की परीक्षा पास कर चुके है । अरूण का मात्र एैसे द्रष्टि बाधित है जिनके संस्कृत भाषा में दो बार अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है उनकी पत्नी नेहा भी विकलांग है वे घिसट घिसट कर अपने पति को जीवन के हर मोड पर साथ देती है । लेकिन अब बेरोजगारी की हालत में ये दंपत्ति बुरी तरह टूट चुके है ।

इस दंपत्ति को पहले प्रति प्रीरियड के हिसाब से पेट भरने लायक पैसे मिल जाते थे लेकिन अब वो चार महीने से मकान का किराया तक नही दे पाये है। पूरी तरह मकान मालिक और पडौसियो की सहायता पर ही ये दंपत्ति निर्भर है जब इस बारे में विभागीय मंत्री जयभान सिंह पवैया से बात की गई तो उन्होने दंपत्ति की समस्या से खुद को अंनजान बताया और कहा कि यदि मामला उनके संज्ञान में आएगा तो वे हर संभव दंपत्ति की मदद करेगे । लेकिन जब शाम को दंपत्ति आश्वासन के बाद पवैया से मिली तो उन्हें ना ही कोई आर्थिक मदद मिली और ना ही नौकरी का आश्वासन। अरूण पिछले चार सालो से अतिथि विद्धान के रूप में एक सीमित अनुबंध के लिए विभिन्न कालेजो में पढा रहे है । वेल क्वालीफाइड अरूण अब तक स्थायी नौकरी नही पा सके है । संविदा नियुक्ति के लाले पड ने से ये दंपत्ति अब पूरी तरह टूट गई है ।​

 

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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