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भोपालमध्य प्रदेश

राष्ट्रीय संगठन के बीएल संतोष के बैठक लेने और शिवराज का कहना सत्ता है तब तक जलवा है के क्या हैं मायने

  • राष्ट्रीय संगठन के बीएल संतोष के बैठक लेने और शिवराज का कहना सत्ता है तब तक जलवा है के क्या हैं मायने …

  • सर्वे ने उड़ाई भाजपा की नींद

  • गद्दार का नारा और भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी बनी परेशानी का कारण

भोपाल – मध्यप्रदेश में अब कभी भी विधानसभा उपचुनावों की घोषणा हो सकती हैं इसको लेकर लगता है बीजेपी ऊपर से कह तो रही है वह सभी 27 सीटों पर जीत हासिल करेगी लेकिन उसकी यह बात तब खोखली नजर आती है क्योंकि हाल में पार्टी सर्वे के जो नतीजे सामने आये है वह उसके फेवर में कतई नही है यही बजह लगती है कि पिछले दिनों सांसद विधायको की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखे लहजे में खुलेआम कहा था कि ज्यादा हवा में ना रहे नामधारी और माला पहनने से कुछ नही होगा और जब तक हमारी प्रदेश में सत्ता है तभी तक हमारा जलवा और रुतबा है नही तो सब सड़क पर आजाओगे।

पार्टी में इसी चिंता के कोहरे के बीच राष्ट्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप के लिये आगे आना पड़ा और उसी का नतीजा है आज बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष दो दिनी दौरे पर भोपाल आये है और पार्टी नेताओं की उच्चस्तरीय बैठके ले रहे हैं।

सर्वे के मुताबिक 27 सीटों में से सिर्फ 6 बीजेपी के पाले में-

जैसा कि मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों सहित 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, पर सूत्रों के मुताबिक इन सीटों पर पिछले दिनों बीजेपी और आरएसएस ने आंतरिक सर्वे कराया तो उससे भाजपा नेतृत्व और उसके रणनीतिकारों की नींद उड़ाकर रख दी है।

सर्वे के अनुसार भाजपा को 27 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है। और इसके मूल कारण में महाराज गद्दार हैं, का नारा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ रही है।

क्या सिंधिया का आकर्षण कम हुआ –

भाजपा के सूत्रों के अनुसार उपचुनाव से पहले कराए गए इस सर्वे में यह बात तो बिल्कुल साफ हो गई है कि, सिंधिया को लेकर मतदाताओं में अब वो आकर्षण नहीं रह गया है, जो आकर्षण 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश के मतदाताओं में नजर आता था।बीजेपी हाईकमान को सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद ग्वालियर -चंबल संभाग में जिस चमत्कार की उम्मीद थी, पार्टी को लगता है आज वह इतना प्रभावी नही रहेगा ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा की हालत 2018 से भी ज्यादा कमजोर दिखाई दे रही है।

जबकि बीजेपी को सिंधिया के साथ मिलकर यहाँ की पूरी 16 सीटें जीतने का भरोसा था, पर सर्वे में कहा जा रहा है कि, अभी के राजनीतिक परिदृश्य और हालात में भाजपा को 16 तो क्या 2018 के बराबर सीटें मिलने के भी लाले पड़ सकते है।

इस सर्वे ने बीजेपी को और पीछे किया –

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को उपचुनाव वाली 27 सीटों में से 21 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है। जबकि, इसके पहले हुए आंतरिक सर्वे में पार्टी को 19 सीटों पर हार की आशंका जताई गई थी। सर्वे रिपोर्ट ने पार्टी नेतृत्व को चिंता में डालने के साथ उसकी नींद उड़ाकर रख दी है।

मालवा-निमाड़ में भी हालत ठीक नही –

इस दूसरे सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मालवा-निमाड़ की जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होना हैं, इस तरह वहां भी स्थितियां बीजेपी के अनुकूल नही दिखाई दे रही ।
यहां की 4 सीटों पर सिंधिया समर्थकों को लेकर मतदाताओं में नाराजगी और भाजपा नेताओं में विरोधी स्वर मुखर दिखाई दे रहे हैं। जिससे यहां भी बीजेपी के पाले में बड़े नुकसान की संभावना नजर आ रही है।

आम वोटरों की नाराजगी —

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उपचुनाव वाली सीटों के मतदाताओं में उन पूर्व विधायकों के प्रति भारी नाराजगी है, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और जिनकी वजह से अच्छी भली चलती हुई कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरी और प्रदेश में अकारण उपचुनाव के हालात बने। सर्वे में यह सुझाव भी दिया गया है कि जहां-जहां श्रीमंत समर्थकों का बहुत ज्यादा विरोध है और पार्टी को हार साफ़ नजर आ रही है,वहां-वहां सिंधिया समर्थकों के टिकट काटकर भाजपा के जिताऊ एवं प्रभावशाली नेताओं को बतौर उम्मीदवार उपचुनाव के मैदान में उतारा जाए।

सदस्यता अभियान भी बेअसर

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार में भाजपा ने ग्वालियर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल करने का जो सदस्यता अभियान चलाया था, उसका भी कहीं कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि कांग्रेस का कहना है कि जिन लोगों ने सिंधिया को समर्थन और ताकत देने के लिए भाजपा की सदस्यता ली है, वे कांग्रेस में कभी थे ही नहीं और न हीं वे कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए थे। ग्वालियर के कद्दावर कांग्रेस नेता चंद्रमोहन नागौरी कहते हैं कि, कांग्रेस के पाला बदलने वाले ज्यादातर कार्यकर्ता और पदाधिकार ऐसे हैं, जिनका अपने ही क्षेत्र में कोई जनाधार नहीं है और जिनकी राजनीति महल की कृपा पर जिंदा रही है।

बढ़ रहा सिंधिया समर्थकों का विरोध –

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में आए विधायकों वाली 16 सीटों पर श्रीमंत और उनके समर्थकों के खिलाफ लगातार विरोध बढ़ रहा है। सर्वे में 27 में से 23 सीटों पर श्रीमंत और उनके समर्थकों को लेकर स्थानीय एवं क्षेत्रीय भाजपा नेताओं में भारी नाराजगी है।

महाराज गद्दार हैं, नारा बना मुसीबत –

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा और श्रीमंत को महाराज गद्दार है-वाले नारे से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। यह नारा स्थानीय मतदाताओं की जुबान पर चढ़कर बोल रहा है। मतदाताओं का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है।

खास रिपोर्ट भोपाल से –
महेश दीक्षित , वरिष्ठ पत्रकार

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