शिमला, अहमदाबाद, दिल्ली/ दो प्रदेशों में विधानसभा और एक जगह स्थानीय निकाय के चुनाव हाल में हुए है गुजरात में बीजेपी ने भारी बहुमत से रिकार्ड जीत दर्ज की तो हिमाचल प्रदेश में उससे सत्ता छिन गई और यहां कांग्रेस ने अपना परचम लहराया जबकि आम आदमी पार्टी ने दोनों राज्यों में जीत के दांवे किए लेकिन उसे से सफलता नहीं मिली लेकिन उसे राष्ट्रीय पार्टी का तमंगा जरूर हासिल हो गया साथ ही आप ने नई दिल्ली के स्थानीय निकाय (एमसीडी) के चुनाव में उसने बीजेपी के 15 साल के आधिपत्य को खत्म कर वहां चुनाव जीता और एमसीडी पर कब्जा जमाया। चुनाव के नतीजो से साफ है कि बीजेपी कांग्रेस और आप को एक एक जगह सफलता मिली और कांग्रेस ने पाया तो बीजेपी ने खोया भी।
गुजरात का चुनाव और बीजेपी ने रचा इतिहास …
गुजरात में कुल 182 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें बीजेपी को अपार सफलता मिली उसने 156 सीट जीतकर रिकार्ड बनाया इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के रहते माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व कांग्रेस ने 149 सीट जीती थी। कांग्रेस को यहां भारी असफलता हाथ लगी 2017 में जिस कांग्रेस को 77 सीट मिली इस बार वह सिर्फ 17 सीट जीत सकी और 6 दशकों में कांग्रेस सीटों के मामले में सबसे निचले स्तर पर आ गई साथ ही उसका वोटबैंक जो 2017 में 43 फीसदी था उतर कर इस चुनाव में 27.28 फीसदी पर आ गया और आप को 12.92 प्रतिशत वोट के साथ 5 सीट से संतुष्ट होना पड़ा जबकि उसका दांवा 92 सीट जीतने का था। खास बात है जो बीजेपी 2017 में 99 सीट पर सिमट गई थी उसने 52.50 फीसदी वोट के साथ 57 सीटों का इजाफा किया यह आंकड़ा चौंकाने वाला हैं।
चूकि यह पीएम नरेंद्र मोदी का गृहराज्य है इसलिए यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का चुनाव भी था यहीं बजह यहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी साथ ही पार्टी ने इस बार के चुनाव में कई नएं फार्मूले भी तय किए जो सभी को रास नहीं आए। पीएम मोदी ने अधिकांश समय गुजरात में बिताया और दो दर्जन से अधिक रोड शो और रेलियां की इसके अलावा अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री यहां चुनाव प्रचार में लगे रहे इसके मुकाबले कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा यहां नही आया चुनाव प्रभारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरा जोर लगाया कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अंतिम समय में कुछ सभाएं की ,भारत जोड़ों यात्रा में बिजी राहुल गांधी के दो रैली के अलावा कांग्रेस ने एक तरह से बीजेपी को वाक ओवर सा दे दिया। जबकि आप और अरविंद केजरीवाल ने यहां कई रोड शो और सभाएं की और बीजेपी को हटाकर सत्ता पर काबिज होने का दांवा भी किया लेकिन वह 5 सीटों पर सिमट गई और ओवेसी की AIMIM खाता भी नहीं खोल पाई।
गुजरात में कांग्रेस का बुरा हाल हुआ उसके 44 प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा पाएं और उसके करीब 37 लाख मतदाता कांग्रेस की निष्क्रियता से आप के पाले में चले गए। साथ ही 27 आदिवासी सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 3 सीट ही जीत पाई सौराष्ट्र में भी वह 3 सीट पर सफल हो सकी इससे स्पष्ट हुआ कि आप ने बीजेपी की बजाय कांग्रेस के वोट बैंक में सैंध लगाकर उसको भारी नुकसान पहुंचाया। आप के 37 कैंडीडेट दूसरे नंबर पर रहे 22 फीसदी सीटों पर उसने अपनी छाप जरूर छोड़ी लेकिन उसके 128 प्रत्याशी अपनी जमानत नही बचा पाएं। जहां तक बीजेपी का सबाल है तो उसके बागी दबंग नेता मधु श्रीवास्तव सहित अन्य सभी बागी चुनाव हारे तो मोरबी जहां पुल टूटने से 134 लोगों की मौत हुई वहां भी बीजेपी प्रत्याशी कांतिलाल अमृतिया ने जीत हासिल की जिन्होंने हादसे के समय नदी में से लोगों को निकाला था। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घाटलोडिया सीट से 1.92 लाख वोटो से बड़ी जीत हासिल की चोरपासी सीट पर बीजेपी ने 2 लाख मतों से कब्जा जमाया साथ ही उसने 8 सीटें डेढ़ लाख से अधिक मतों से जीती।आप का सीएम कैंडिडेट इशूदान गड़वी प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और अल्पेश कथारिया चुनाव हार गये। गुजरात में सरकार के खिलाफ भारी एंटी इनकांबेंसी होने के बाबजूद मुद्दों की बजाय, विकास और पीएम मोदी और गुजरात के अपमान के निरेटीव पर बीजेपी ने भारी जीत हासिल कर इतिहास रच दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में रिकार्ड जीत की भविष्यवाणी की थी जो सही साबित हुई गुजरात में मिली जीत के बाद पीएम मोदी ने कहा गुजरात आपका धन्यवाद लोगों ने विकास की राजनीति को अपना आशीर्वाद दिया मैं जनशक्ति के आगे अपना सिर झुकाता हूं।
हिमाचल में जनता का रिवाज कायम, कांग्रेस को मिली सत्ता बीजेपी बाहर …
गुजरात में अपार सफलता पाने वाली बीजेपी ने हिमाचल में अपनी सत्ता खो दी यदि कहे यहां की जनता ने अपना रिवाज कायम रखा तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि यहां के वोटर किसी भी पार्टी की सरकार की जिमेदारियों के प्रति असफलता को सहन नही करते और मौका मिलते ही तख्ता पलटने में माहिर हैं। हिमाचल की कुल 68 सीटों में से कांग्रेस को 40 सीटें (+19) मिली और उसने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया हैं जबकि बीजेपी को 25 सीट (-19) मिली और अन्य के खाते में 3 सीटें आई है जबकि आप हिमाचल में साफ हो गई उसका खाता भी नहीं खुला। खास बात रही कांग्रेस ने 43.9 फीसदी वोट के साथ 19 सीटें अधिक जीती जबकि बीजेपी ने 42.9 वोट शेयर के साथ 19 सीटें पिछले 2017 के चुनाव तुलना ने गंवा दी सिर्फ एक प्रतिशत मतांतर ने बीजेपी को बाहर और कांग्रेस को सत्ता पर काबिज कर दिया।
हिमाचल में बीजेपी की जयराम ठाकुर सरकार के 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए यह सिलसिला भी पुराना है हर चुनाव में सत्तासीन पार्टी के मंत्री चुनाव हारते आएं है 2003 में बीजेपी के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सरकार के 11 में से 6 मंत्री चुनाव हारे जबकि 2007 में कांग्रेस के वीरभद्र सिंह सरकार के 10 में 6 मंत्री और 2012 में बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल सरकार के 10 में से 4 और 2017 में वीरभद्र सिंह सरकार के 11 में से 5 मंत्री चुनाव में पराजित हुए थे। जबकि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के जिले की 5 सीटें भी बीजेपी हार गई।
बीजेपी ने हिमाचल के सत्ता पर पुनः काबिज होने के लिए पूरा जोर लगाया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने यहां रोड शो और सभाएं की तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जो हिमाचल से ही आते है गली गली वार्ड वार्ड पैदल घूमे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी खूब मेहनत की लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा की आम जनता के साथ कनेक्टिविटी ने बीजेपी के सारे सपनों पर पानी फेर दिया। उनका लोगों के बीच बोलने का लहजा और सादगी हिमाचल वासियों में स्व इंदिरा गांधी की छवि देख रही थी लोग सालोन में पहली सभा के साथ प्रियंका से जुड़ाव सा महसूस करने लगे। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सभाओं ने लोगों को बांधने के साथ एक नई आशा का संचार किया और उसमें कांग्रेस के मुद्दे और वायदों ने जीत का तड़का लगा दिया जिसमें पुरानी पेंशन बहाली कर्मचारी समस्या युवाओं को रोजगार के अवसर और फल उद्धोग व्यवसाय को बढ़ावा और उचित मूल्य उपलब्ध कराने का कांग्रेस का वादा लोगों को खूब रास आया। वही प्रभारी राजीव शुक्ला की चुनावी बिसात में फंसकर बीजेपी को करारी हार झेलना पड़ी।
हिमाचल में जीत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे हिमाचल की जनता के मुद्दो की जीत बताते हुए मिले जनादेश पर हिमाचल वासियों को धन्यवाद दिया हैं।
15 साल बाद बीजेपी को हटाकर एमसीडी पर आप का कब्जा …
दिल्ली म्यूनिस्पिल कार्पोरेशन पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमा लिया है हाल के चुनाव में उसने बीजेपी को सत्ता से हटाकर यहां बहुमत हासिल किया कुल 250 सीटों में से आप को 134 वार्ड में सफलता मिली तो बीजेपी ने 104 वार्डों में जीत हासिल की जबकि कांग्रेस का एक तरह से पत्ता साफ हो गया है वह केवल 9 वार्डों में अपना पार्षद बना पाई वहीं 3 वार्डो ने निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की । दिल्ली स्थानीय निकाय का यह चुनाव आप और बीजेपी की प्रतिष्ठा का चुनाव था आप की दिल्ली में सत्ता है तो बीजेपी पिछले 15 सालों से म्यूनिस्पल कार्पोरेशन का चुनाव जीतती आ रही थी MCD के पिछले चुनाव में बीजेपी ने 181 सीट हासिल कर अपना कब्जा जमाया था जबकि आप 48 वार्ड में जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी ।लेकिन इस बार बीजेपी को आप से हार खाना पड़ी।
इस बार का चुनावी मुद्दा दिल्ली में बड़ता प्रदूषण और कचरे के पहाड़ों के इर्द गिर्द सिमटा देखा गया। अरविंद केजरीवाल ने भी कचरे के इन पहाड़ों और उससे उत्पन्न प्रदूषण को मीडिया के माध्यम से खूब उछाला और बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया। साथ ही कर्मचारियों को स्थाई नौकरी देने के आश्वासन के अलावा शिक्षा स्वास्थ्य पेयजल और बिजली की अपनी सफल योजनाओं को भी खूब भुनाया जिससे बीजेपी बेकफुट पर आ गई।
बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं केंद्रीय मंत्री और स्थानीय नेताओं ने चुनाव प्रचार के साथ काफी मशक्कत की वहीं आप के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के साथ स्थानीय नेताओं ने पूरी तैयारी के साथ बीजेपी पर हमले किए जबकि कांग्रेस के किसी प्रमुख नेता ने इन चुनावों में कोई इंट्रेस्ट नहीं लिया।