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देशभोपालमध्य प्रदेश

बीजेपी ने 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को चुनावी समर में उतारा, एक दिग्गज महासचिव भी, क्या है हालात फंसे या उबरे?

BJP Flag
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भोपाल/  भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 संसद सदस्यों और एक राष्ट्रीय महासचिव को मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव का टिकट देकर मैदान में उतारा है।

पार्टी का सोच होगा कि इनके चुनाव लड़ने से इनके संसदीय क्षेत्र की सीटों के साथ साथ यह नेता अपने आभामंडल से आसपास की विधानसभा सीटों पर भी सकारात्मक प्रभाव बना पाएंगे जिससे अन्य सीटों पर भी पार्टी जीत हासिल करेगी और कही ना नही पार्टी को लाभ मिलेगा। बीजेपी का सोच होगा इस रणनीति से वह आसानी से एक बार फिर से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज होगी। पर बीजेपी का यह उद्देश्य पूरा होगा, क्या ऐसा हुआ क्या ? इस सबाल का सही जबाव 3 दिसंबर को मालूम पड़ेगा जब नतीजे घोषित होंगे। लेकिन इन सीटों के साथ अन्य सीटों से छनछनकर जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक बीजेपी के यह दिग्गज नेता अपने ही इलाके में विपक्षी घेराबंदी में बुरी तरह से फंस गए है और उन्हें उससे पार पाना ही मुश्किल हो गया है।

हॉट सीट दिमनी से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मैदान में …

इन सात सीटों में सबसे अधिक हॉट सीट है मुरैना जिले की दिमनी, जहां से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रत्याशी है जो मुरैना के सासंद भी है यहां उनके मुकाबले कांग्रेस से रविंद्र सिंह तोमर है और बीएसपी से बलवीर दंडोतिया प्रत्याशी है यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना दिख रही थी साथ ही जातिगत समीकरण के मुताबिक क्षत्रिय वोट बटने का खतरा भी था लेकिन एन समय पर क्षत्रिय समाज के प्रभावी लोग तोमर ठाकुर बाहुल्य गांव में पहुंचे और उन्होंने नरेंद्र सिंह तोमर के पक्ष में माहौल बनाया बताया जाता है जिससे समीकरण बदलना शुरू हुए । खबर यह भी है कि मतदान वाले दिन दलित वोटरों को मतदान करने के लिए घर से ही नही निकलने दिया गया और वह मतदान करने से वंचित रह गए। दूसरी तरफ ठाकुर और ब्राम्हण जातिवर्ग कई जगह आमने सामने आ गया और बीच मारपीट और टकराव की नौबत आ गई और वह आपस में उलझ गए जिससे मतदान प्रभावित हुआ। कुल मिलाकर पहले जहां बीएसपी बीजेपी को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही थी लेकिन अब बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में यह चुनाव आता दिखाई दे रहा है और नरेंद्र सिंह तोमर की जीत की प्रबल संभावनाएं पैदा हो गई है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अपने समाज के सामने नतमस्तक हो गया और रेस से ही बाहर हो गया।

निवास सीट से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को उतारा …

केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के बीजेपी से खड़े होने से निवास विधानसभा में मुकाबला दिलचस्प हो गया है यह आदिवासी बाहुल्य इलाका है यहां कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी चैनासिंह बरकड़े को बनाया है वह भी क्षेत्र में अपनी अच्छी खासी पकड़ रखते है खास बात है इस सीट से पिछला चुनाव कुलस्ते के भाई हार गए थे बीजेपी का प्रयास यहां अपनी खोई जमीन पाने का है कुलस्ते को एज जरूर है पर वह क्या जीत में बदल सकती है लेकिन यह बात 3 दिसंबर को ही पता चलेगी।

सीधी से सांसद रीति पाठक को टिकट …

सीधी से सांसद रीति पाठक को बीजेपी ने उतारा है यहां बीजेपी के वर्तमान विधायक कैदार शुक्ला का टिकट काट कर रीति को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है जिससे शुक्ला खासे नाराज है वह उनके खिलाफ बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। जैसा की सीधी में पिछले दिनों पैशाब कांड का जो आरोपी थे वह कैदार शुक्ला का समर्थक था। कांग्रेस के इस मुद्दे को लेकर घेरने की बजह से संभवतः शुक्ला को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। लेकिन आरोपी के पिता के समर्थन में ब्राम्हण समाज साथ एकजुट खड़ा नजर आया उन्होंने फंडिंग कर उनका टूटा मकान भी बनवाया। यहां बीजेपी की स्थिति जातिगत समीकरणों ने भी बिगाड़ दी है जबकि यहां की जनता भी बदलाव चाहती है और यह भी सही है जनता अपमान भी नही भूलती,इसलिए आपस की लड़ाई में यहां कांग्रेस मजबूत दिखाई देती है और कांग्रेस प्रत्याशी ज्ञानसिंह को वॉक ओवर मिल सकता है। लेकिन बीजेपी के बागी प्रत्याशी कैदार शुक्ला बीजेपी का कितना नुकसान करते है यह उसपर अधिक डिपेंड करता है।

सतना से बीजेपी ने सांसद गणेश सिंह को दिया मौका …

बीजेपी ने सतना से सांसद गणेश सिंह को टिकट दिया है जबकि उन्हें खुद भी ऐसी आशा नहीं थी कि पार्टी एकाएक उनको यहां से विधानसभा का कैंडीडेट घोषित कर देगी , जबकि घोषणा होने के बाद उन्हें समय भी काफी कम मिला जबकि इस सीट से भाजपा के कई और नेता भी टिकट की चाहत रखते थे लेकिन सांसद को टिकट मिलने से उनकी आशाओं पर तुसारपात हो गया चूकि यह पार्टी का आदेश है इसलिए वह अनमने मन से साथ दे रहे है।खास बात हैं विंध्य में बदलाव की लहर भी देखी जा रही है जिससे कांग्रेस का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है और इस तरह यह सीट भी फंसती दिख रही है और कुल मिलाकर गणेश सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाह के बीच जोरदार टक्कर देखी जा रही है अब ऊट किस करवट बैठता है यह आने वाला समय बताएगा।

जबलपुर से सांसद पूर्व बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह …

महाकोशल के जबलपुर से बीजेपी ने एक और सांसद राकेश सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है जो लोकसभा के व्हिप रहने के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं लेकिन यहां से परंपरागत कांग्रेस परिवार से आने वाले तरुण भनोट कांग्रेस के उम्मीदवार है भनोट परिवार की यहां अच्छी खासी साख है लेकिन दोनों के बीच करो या मरो का मुकाबला है चूकि तरुण भनोट जमीनी नेता है इसलिए उनका पक्ष भी मजबूत है इसलिए यहां मुकाबला बेहद रोचक है।

गाडरवाला से सांसद उदयप्रताप सिंह …

गाडरवाला से भाजपा ने एक और सांसद उदयप्रताप सिंह को खड़ा किया है जो कांग्रेस से बीजेपी में आए और सांसद बने यह नर्मदा का इलाका है यहां बीजेपी का पुराने समय से दबदबा रहा है संगठन भी उसका मजबूत है एक बात जरूर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ है जातिगत समीकरण के हिसाब से यह क्षेत्र कोरव बाहुल्य है और यहां उनके खिलाफ कांग्रेस की श्रीमती सुनीता पटेल है जबकि उदयप्रताप सिंह जाट कम्यूनिटी से आते हैं फिर भी काफी हद तक उनकी स्थिति मजबूत दिखाई देती है।

नरसिंहपुर से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल …

नरसिंहपुर से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है यदि कहे उनकी स्थिति सबसे अच्छी है एक तरह से उन्हें वॉक ओवर सा मिल सकता है वर्तमान में उसके भाई जालिम सिंह इस सीट से विधायक है और कांग्रेस से लाखन सिंह पटेल प्रत्याशी है दोनों ही प्रमुख प्रत्याशी एक ही जाति वर्ग से आते है लेकिन प्रहलाद पटेल की छवि उनका स्वभाव व्यवहार और संघर्ष कही न कही उन्हें मजबूती प्रदान करता है खास बात ही उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोई चाहत व्यक्त नही की लेकिन यदि भाजपा पुनः सत्ता में आती है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

इंदौर एक से दिग्गज नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय …

केंद्रीय मंत्री और सांसदों के अलावा एक सीट इंदौर 1 की भी पूरे प्रदेश में काफी चर्चा में है यहां से दिग्गज नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी का टिकट मिलने से यह हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल हो गई है लेकिन टिकट के ऐलान के तुरंत बाद कैलाश विजयवर्गीय ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी उससे लगा कि वह विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड ने नही थे लगा बेमन से मजबूरी में उन्होंने हामी भरी,उन्होंने कहा भी मैं सोच रहा था कि में विधानसभा चुनाव में आसपास गाड़ी से और हेलीकॉप्टर से जाऊंगा और रोजाना 7 से 8 सभाएं प्रत्याशियों के लिए लूंगा। लगा वह चुनाव लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार ही नहीं थे। वही जानकार भी मानते है यदि उनका पार्टी केम्पियन में उपयोग होता तो ज्यादा कारगर रहते आज तो वे खुद अपने क्षेत्र में उलझकर रह गए है जिसका एक बड़ा कारण है यहां से उनके मुकाबले में कांग्रेस ने संजय शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है जो उनके मुकाबले काफी दामदारी से चुनाव लड़ रहे है। साथ ही वह किसी भी मामले में कैलाश विजयवर्गीय से कमतर नहीं आंके जा सकते। साफ है यह सीट फिलहाल फंसती नजर आ रही है कुछ भी हो सकता है।

Alkendra Sahay

The author Alkendra Sahay

A Senior Reporter

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