लखनऊ/ उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर 13 नवंबर को चुनाव होना है जिसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे,उससे पहले चुनावी महाभारत का मैदान से सज गया है और रण की तैयारियां जोरो पर है। लेकिन उससे पहले बीजेपी और समाजवादी पार्टी में घमासान छिड़ा हुआ है दोनों ही दल अपनी जीत के दावे कर रहे है खास बात है मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए नारा दिया था “बटेंगे तो कटेंगे” तो उसके जबाव में अब अखिलेश यादव ने भी अपना नारा दिया है “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” अब 23 नवंबर की तारीख बताएंगी कि कौन का नारा किस पर भारी पड़ा।
उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों होने वाले उपचुनाव का मैदान सज गया है और सेनाएं तैनात हो गई है और अब चुनावी रण शुरू होने वाला है 13 को होने वाले संग्राम के बाद जीत हार का फैसला 23 नवंबर को आयेगा। यूं तो बसपा ने भी अपने कैंडिडेट खड़े किए है और एमआईएमआईएम (ओवैसी) और अपना दल (अनुप्रिया पटेल) के गठबंधन ने भी अपने प्रत्याशी इन विधानसभा चुनाव में उतारे है लेकिन मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच ही माना जा रहा है।
यदि एक नजर सपा और बीजेपी के उम्मीदवारों पर डाली जाए तो करहल विधानसभा सीट से बीजेपी ने अनुजेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है तो उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने तेजप्रताप यादव को खड़ा किया है जबकि सीसामऊ से बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को खड़ा किया है जबकि सपा ने यहां से नसीम सोलंकी को टिकट दिया है, कटेहरी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार धर्मराज निषाद के खिलाफ सपा ने महिला शोभावती वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। कुंदरकी विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी रामवीर सिंह है तो सपा ने उनके खिलाफ हाजी रिजवान ठाकुर को टिकट दिया है खैर विधानसभा बीजेपी ने सुरेन्द्र दिलेर को अपना प्रत्याशी बनाया है तो उनके खिलाफ सपा से डॉक्टर चारू कैन चुनाव लड़ रही है। गाजियाबाद विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी संजीव शर्मा है और उनके खिलाफ सपा ने सिंह राज जाटव को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि फूलपुर से बीजेपी के प्रत्याशी दीपक पटेल है तो सपा ने यहां से उनके मुकाबले मुस्तफा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है मझवाँ सीट से बीजेपी ने महिला प्रत्याशी सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है तो सपा ने डॉक्टर ज्योति बिंद को टिकट दिया है और मीरापुर विधानसभा से बीजेपी के उम्मीदवार मिथकेश पाल है तो उनके मुकाबले में सपा ने सुमबुल राणा को अपना प्रत्याशी बनाया है।
इन सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव के कई कारण है करहल से सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव जीते थे लेकिन उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से चुनाव लड़ा और वह सांसद बने और विधासभा से इस्तीफा दे दिया था इसी तरह कटहरी के विधायक लालजी वर्मा सपा के टिकट पर अंबेडकर नगर से लोकसभा चुनाव जीते थे जबकि कुंदरकी के विधायक जियाउल रहमान विर्क ने सपा के टिकट पर संभल से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते थे। इसी तरह खैर के बीजेपी विधायक अनूप बाल्मीक हाथरस से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की इसके अलावा सीसामऊ से सपा विधायक इरफान सोलंकी को एक प्रकरण में 7 साल की जेल हो गई है इसलिए इन सीटों पर उपचुनाव हो रहे है।
खास बात है कि कांग्रेस ने इन चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए बल्कि समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन दिया है कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से 5 सीट मांगी थी जिसपर अंत तक सहमति नहीं बन सकी बाद में सपा ने गाजियाबाद सहित दो सीट दी लेकिन कांग्रेस ने इन सीटों पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया और कांग्रेस ने गठबंधन धर्म निभाते हुए अंततः सपा को सभी 9 सीटों पर अपना समर्थन दे दिया था।
उल्लेखनीय है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले ही बीजेपी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेख यादव पूरी तरह से सक्रिय हो गए थे। चुनाव प्रचार के साथ यह उपचुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुट गए थे।
इस बीच योगी आदित्यनाथ ने हिंदूवादी रवैया अपनाया और एक नारा उछाला कि, यदि हम बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सैफ रहेंगे। इस नारे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आगे बढ़ाया और कहा, यदि आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे, वहीं आरएसएस ने भी योगी के सुर में सुर मिलाते हुए इसे सही बताया था।
इस नारे से स्पष्ट था कि बीजेपी और योगी की मंशा यूपी में हिंदू वोटरों को एकजुट कर अपने पक्ष में करने की रही होगी, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने लोकसभा की तरह एक तरफ अपने PDA के फॉर्मूले,यानि पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक मुस्लिमों के एजेंडे को आगे बढ़ाया वही इस नारे की काट के लिए अपनी तरफ से एक नारा “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” आज दिया है उन्होंने यह भी कहा जिसका जिस तरह का नजरिया होता है उसका नारा भी उसी तरह का होता है जबकि उनके चाचा और सपा नेता शिवपाल यादव पहले ही कह चुके हैं कि, पीडीए न बंटेगा, न कटेगा, इस तरह वोटर्स को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी योगी और अखिलेश की सपा दोनों ही कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते।
बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के बीच यह लड़ाई आर पार की दिखाई दे रही है सही भी है लोकसभा चुनाव में पिछड़ने के बाद योगी आदित्यनाथ और बीजेपी हर हाल में इन उपचुनाव में जीत हासिल कर हिसाब बराबर कर कुछ हद तक अपनी सांख बचाना चाहेगी तो लोकसभा चुनाव से उत्साहित सपा और अखिलेश यादव भी इन चुनावों में अपनी जीत को प्रशस्त कर अपना दबदबा बनाना चाहेंगे क्योंकि इन उपचुनाव की जीत हार कही न कही 2027 के यूपी विधानसभा के भविष्य की इबारत भी लिख सकती है।