close
Uncategorized

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अतीक अशरफ हत्याकांड मामला, 2017 से एनकाउंटर और रिटायर्ड जज से जांच की मांग, सुरक्षा के चलते आरोपी प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट

Supreme-Court
Supreme-Court

नई दिल्ली, प्रयागराज / माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा हैं, जिसमें रिटायर्ड जज और सीबीआई से जांच की मांग के साथ याचिका में 2017 से अभी तक के एनकाउंटर की जांच की मांग भी की गई है। जबकि अतीक और शहजाद दोनों के शवों को रविवार को सुपुर्दे खाक कर दिया गया। इधर तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायायिक हिरासत में भेज दिया है और सुरक्षा के मद्देनजर आज तीनों को नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया हैं। लेकिन इस हत्याकांड के दौरान आरोपियों को लेकर पुलिस की भूमिका पर भी अनेक सबाल उठ रहे हैं।

शनिवार को रात करीब साढ़े दस बजे प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज में मेडिकल के लिए लाने के दौरान गेंगेस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तावड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई थी जिसमें तीन आरोपी सनी सिंह अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी पकड़े गए थे पुलिस ने इन्हे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां उन्हे 14 दिन की न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इन दोनों के पीएम की ऑटोप्सी रिपोर्ट सामने आ गई है उसके मुताबिक अतीक को 9 गोलियां लगी जिसमें एक उसे सिर में बाकी 8 उसके जिस्म लगी जबकि अशरफ के 5 गोलियां लगी एक उसके चेहरे पर बाकी छाती और पीठ पर लगी। साफ है गिरने के बाद इनपर लगातार पिस्टल का चैंबर खाली होने तक फायरिंग की गई जिसमें 20 राऊंड फायरिंग में 14 गोलियां इन दोनों को लगी।

पोस्टमार्टम के बाद अतीक और अशरफ के शवों को रविवार को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया दोनों को बेटे असद के बगल में ही खोदी गई कब्र में मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया है अंतिम संस्कार के मौके पर अतीक के दोनों नाबालिग बेटे और अशरफ की दोनों बेटियां भी कब्रिस्तान पहुंची थी। इसके अलावा इनके बहनोई और अन्य रिश्तेदार सहित करीब सौ लोग मौजूद थे।

बताया जाता है यह तीनों आरोपी उत्तर प्रदेश के है हत्या की इस वारदात का सनी सिंह मास्टर माइंड है जो कासगंज के बघेला गांव का रहने वाला है जबकि दूसरा आरोपी लवलेश तिवारी उसका खास दोस्त है जो बांदा के कोतवाली थाना क्षेत्र का निवासी है जबकि अरुण मौर्य हमीरपुर का रहने वाला है यह कट्टरवादी सोच रखते है और तीनों ही अपराधी प्रवत्ति के है पुलिस को इन्होने बताया यह तीनों अपराध की दुनिया में जल्दी फेमस होना चाहते थे इसीलिए उन्होंने इन दोनों को मारने का फैसला लिया था। पुलिस के सामने इन तीनों ने आत्मसमर्पण कर दिया था पुलिस ने इन्हें कोर्ट में पेश किया जहां से इन्हें 14 दिन की न्यायायिक हिरसात में भेज दिया गया।

खास बात है आज इन तीनों आरोपियों सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य को प्रयागराज की नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया बताया जाता है नैनी जेल में अतीक अहमद का एक बेटा अली मोहम्मद भी बंद है असद की मौत के बाद उसने जेल में काफी हंगामा किया हुआ है पहले उसने अपने भाई के जनाजे में शामिल होने की मांग की थी इजाजत नहीं मिलने पर उसने अपना सिर जेल की सलाखों से दे मारा और घायल हो गया वह चिल्ला चिल्ला कर यह भी कह रहा है कि उसके भाई को धोखे से मार दिया। जेल में गैंगवार के डर से जेल प्रशासन ने तीनों को दूसरी जेल में शिफ्ट किया हैं।

अतीक अशरफ मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने के लिए यूपी सरकार और पुलिस तीन स्तर पर जांच शुरू करेगी , इसके लिए दो SIT गठित की गई है पहली एसआईटी DIG आरके वर्मा के नेतृत्व में गठित की गई जबकि दूसरी प्रयागराज कमिश्नर रमित शर्मा ने गठित की जिसकी जांच की जिम्मेदारी एडीशनल सीपी क्राइम शतीश चंद्र जो सौंपी गई है इसके अलावा योगी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए न्यायायिक आयोग का गठन पहले ही कर दिया हैं।

इधर अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है बेवसाइट Live law के अनुसार एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट ने एक पीआईएल दाखिल की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में इस दोहरे हत्याकांड की जांच की मांग की गई है इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में 2017 से अभी तक हुए 183 पुलिस एनकाउंटर की जांच की मांग भी की गई है। इसके अलावा पूर्व IPS ऑफिसर अमिताभ ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक लेटर पिटीशन दायर कर इस हत्याकांड के मामले की CBI से जांच कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है।

यह दोनों अपराधी यूपी के बड़े डॉन माफिया थे पहले इन्हें जहां से लाया और ले जाया गया भारी पुलिस बल सुरक्षा में तैनात रहा फिर उस दिन रात के वक्त मेडिकल के लिए ले जाते समय सिर्फ सिर्फ 20 लोगों का फोर्स क्यों रखा गया जबकि पहले 100 या अधिक तादाद में सुरक्षा बल हमेशा तैनात रहा, उससे बड़ी चूक मीडिया को इनके पास क्यों जाने दिया गया जबकि किसी को भी उनके पास जाने की इजाजत नहीं थीं उनके पास तक मीडिया का पहुंचना बात करना यह पूरी तरह गलत था। इसके अलावा ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे आरोपियों को निशाना बनाना दूर उन्हें मोजूद पुलिस ने बल पूर्वक रोकने की कोशिश तुरंत क्यों नहीं की जब की पुलिस कस्टडी में जो अपराधी होते है उनापर हमला करने वालों को पुलिस मार भी सकती है लेकिन पकड़ने वाला निहत्था था और जिनके पास हथियार थे उन्होंने उनका प्रयोग ही नही किया लेकिन उनके सिरेंडर करते ही उन्हे पुलिस तुरंत पुलिस वाहन में बिठालकर घटना स्थल से दूर पुलिस थाने ले जाती है इस तरह पुलिस की यह भूमिका कई संदेह पैदा करती हैं।

लेकिन अतीक अशरफ हत्याकांड में कई पैचीदिगियां सामने आ रही है जिससे इनके बयानों पर संदेह पैदा होता है यह तीनों ही आरोपी सामान्य गरीब परिवार से आते है फिर इन तीनों के पास 6 लाख से अधिक कीमत की पिस्टल कहा से आई जो भारत में बेन है इसी मेड इन तुर्किये की जिगाना पिस्टल से सिद्धू मूसेवाला का भी मर्डर हुआ था। यह दोनों अपराधी यूपी के बड़े डॉन माफिया थे पहले इन्हें जहां से लाया और ले जाया गया भारी पुलिस बल सुरक्षा में तैनात रहा फिर उस दिन रात के वक्त मेडिकल के लिए ले जाते समय सिर्फ सिर्फ 20 लोगों का फोर्स क्यों रखा गया जबकि पहले 100 या अधिक तादाद में सुरक्षा बल हमेशा तैनात रहा, उससे बड़ी चूक मीडिया को इनके पास क्यों जाने दिया गया, जबकि किसी को भी उनके पास जाने की इजाजत नहीं थीं उनके पास तक मीडिया का पहुंचना बात करना यह पूरी तरह गलत था। इसके अलावा ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे आरोपियों को निशाना बनाना दूर उन्हें मोजूद पुलिस ने बल पूर्वक रोकने की कोशिश क्यों नहीं की जब की पुलिस कस्टडी में जो अपराधी होते है उनपर हमला करने वालों को पुलिस गोली भी मार भी सकती है लेकिन पकड़ने वाला निहत्था था और जिनके पास हथियार थे उन्होंने उनका प्रयोग ही नही किया लेकिन उनके सिरेंडर करते ही पुलिस तुरंत अपने वाहन में बिठालकर घटना स्थल से दूर पुलिस थाने ले जाती है इस तरह यूपी पुलिस की यह भूमिका कई संदेह पैदा करती हैं। जिसका जांच के बाद ही खुलासा हो सकता हैं।

Tags : Supreme Court

Leave a Response

error: Content is protected !!